दांबुला (श्रीलंका) का रणगिरी स्टेडियम क्रिकेट प्रेमियों से खचाखच भरा था. मौका था एशिया में क्रिकेट की बादशाहत का. एक तरफ़ थी छक्को के महाराजा शाहिद अफरीदी की पाकिस्तानी टीम तो दूसरी तरफ थी कुमार संगकारा की श्रीलंकाई टीम जो घरेलू दर्शकों के समर्थन से उत्साहित दिख रही थी. इसके अलावा यह खास मौका था क्रिकेट जगत में रावलपिंडी एक्सप्रेस यानी शोएब अख्तर की वापसी का.
दांबुला की पिच का हमेशा से मिजाज़ धीमा रहा है जहाँ रन बनाना आसान नहीं होता. इसके अलावा यहां जैसे-जैसे मैच चलता है यह पिच धीमी होती जाती है और धीमी गति के गेंदबाजों को मदद भी करती है. इन्हीं धारणाओं को ध्यान में रखते हुए श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया.
सोचिए बल्लेबाजों के मन में क्या खौफ़ होगा जब लंबे गठीले कद का गेंदबाज़ आपकी तरफ़ दौड़ के आ रहा हो और जब वह 150 की.मी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकता होगा तो ऐसा लगता है, जैसे आग का गोला आपकी तरफ़ आ रहा हो. कुछ ऐसा ही माहौल श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने भी महसूस किया जब शोएब अख्तर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की और अपने पहले ही मैच में 3 विकेट लेकर श्रीलंका को बड़े स्कोर की तरफ़ बढ़ने से रोक दिया. अगर हम श्रीलंका के बल्लेबाजों की बात करे तो सिर्फ महेला जयवर्धेने और आलराउंडर मैथ्यूज ही अर्द्धशतक बना सके. श्रीलंका निर्धारित 50 ओवरों में केवल 242 रन ही बना सकी.
जीत के लिए मिले 243 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए पाकिस्तान के प्रारम्भिक बल्लेबाज़ मलिंगा के कहर का शिकार बन गए और एक समय पाकिस्तान का स्कोर 4 विकेट पर 32 रन हो गया था. उसके बाद मैदान में उनके कप्तान अफरीदी आये. अगर हम अफरीदी की बात करे तो कप्तान बनने के बाद आजकल उनका आत्मविश्वास बढा हुआ प्रतीत होता है और ऐसा ही कुछ आज भी देखने को मिला जब केवल 102 गेदो में शतक और विश्व के सबसे बढ़िया आफ स्पिनर गेंदबाज़ मुरलीधरन की तो उन्होंने खूब धुनाई की. मुरलीधरन की 25 गेंदों में उन्होंने 52 रन बटोरे और धीरे-धीरे ऐसा प्रतीत होने लगा कि यह मैच श्रीलंका के हाथों से फिसला जा रहा है. तभी गर्मी के चलते अफरीदी ऐंठन का शिकार होते दिखे. मुरलीधरन की एक उछाल खाती और घूमती गेंद अफरीदी के हाथ से टकराई और संगकारा ने एक बेहतरीन कैच पकड़ मैच का रुख बदल दिया. अफरीदी ने आउट होने से पहले 76 गेंदों पर आठ चौके और सात छक्को की मदद से 109 रन बनाए.
उसके बाद फिर से चला मलिंगा का जादू और पाकिस्तानी टीम लक्ष्य से 16 रन पीछे रह गयी. इस तरफ श्रीलंका ने अर्जित की पहली सफलता. अगर आज शायद अफरीदी का साथ दूसरे बल्लेबाज़ देते तो कहानी कुछ और होती.
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