आखिरकार यह साबित हो ही गया कि जिस तरह सचिन तेंदुलकर को अपने महाशतक के लिए इंतजार करना पड़ रहा है उसी तरह सचिन तेंदुलकर को अभी भारत रत्न पाने के लिए भी बहुत इंतजार करना पड़ेगा. खेल मंत्रालय ने इस साल भारत रत्न के लिए खेल के क्षेत्र से दो नाम सुझाए हैं जिसमें मेजर ध्यानचंद और पर्वतारोही तेनजिंग नॉर्गे शामिल हैं. सचिन तेंदुलकर का नाम ना ही बीसीसीआई ने उठाया और ना ही खेल मंत्रालय ने.
क्यूं नहीं दिया सचिन का नाम
देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न अब तक केवल साहित्य, कला, विज्ञान और लोकसेवा के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए दिया जाता था, लेकिन पिछले दिनों इसमें बदलाव कर दिया गया जिसके बाद से सचिन तेंदुलकर को यह दिए जाने की काफी आवाज उठी. मंत्री से लेकर आम आदमी तक ने इसकी वकालत की लेकिन जब गृह मंत्रालय और पीएमओ को नाम भेजने का समय आया तो सचिन तेंदुलकर का नाम ही नहीं लिया गया. इस विषय में बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने इस पर कहा कि भारत रत्न के लिए नाम भेजा नहीं जाता है. खेल मंत्रालय खुद नामों की सिफारिश करता है. लेकिन इसके विपरीत खेल मंत्री अजय माकन का कहना है कि जिन नामों की उनसे सिफारिश की गई उनके नाम उन्होंने पीएमओ भेज दिए और इन नामों में सचिन का नाम नहीं था.
इस वर्ष हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और एवरेस्ट फतह करने वाले पर्वतारोही तेनजिंग नॉर्गे के नाम खेल के क्षेत्र से भारत रत्न के लिए पीएमओ और गृह मंत्रालय को भेजे गए हैं.
मेजर ध्यानचंद
ध्यानचंद के कारण ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में हॉकी में स्वर्ण पदक जीता था. मेजर ध्यानचंद हॉकी का वह नाम हैं जिन्हें भुला पाना आसान नहीं है. वह ना सिर्फ एक अच्छे खिलाड़ी थे बल्कि उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में इस खेल को आगे बढ़ाने के लिए प्रशंसनीय कार्य किए. मेजर ध्यानचंद की उपलब्धता को तो हम भारत रत्न में भी नहीं माप सकते.
तेनजिंग नॉर्गे
वहीं नेपाल के तेनजिंग नॉर्गे (इन्होंने भारत की नागरिकता हासिल की थी) दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जो माउंट एवरेस्ट पर पहुंचे. 29 मई, 1953 को इन्होंने एवरेस्ट पर पहुंच कर यह कारनामा किया था. इस सफर में उनके साथ एडमंड हिलेरी भी थे.
सचिन को इस पुरस्कार से बाहर रखने का एक कारण उनका व्यवासायिक कार्यों में भी लिप्त होना माना जा रहा है. आज के समय में मीडिया और एड जगत ने सचिन तेंदुलकर का इतना अधिक प्रचार किया हुआ है कि लोग ना चाहते हुए भी सिर्फ उन्हें ही देखते हैं. उन्होंने अपने कॅरियर में बेशक भारत के लिए कई बड़ी पारियां खेली हैं और इस खेल को आगे ले जाने में बहुत मेहनत की है लेकिन कहीं ना कहीं आज भे लोगों को लगता है कि कोला और अन्य बेकार पदार्थों का प्रचार करने वाला यह महान खिलाड़ी उतना महान नहीं कि भारत रत्न पा सके.
वहीं दूसरी ओर अगर क्रिकेट जगत से किसी को भारत रत्न का पुरस्कार दिया ही जाना है तो सचिन तेंदुलकर के सामने चुनौती गावस्कर और कपिल देव जैसे खिलाड़ियों की भी होगी जिन्होंने अपने समय में इस खेल के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर किया था. हालांकि सचिन तेंदुलकर हर जगह उनसे आगे हैं पर मुकाबले में यह खिलाड़ी भी रहेंगे.
तेनजिंग नॉर्गे और मेजर ध्यानचंद ने ना सिर्फ अपने खेल और क्षेत्र में कमाल किया था बल्कि इन लोगों ने समाज में इस खेल को आगे बढ़ाने के लिए भी कई कदम उठाए थे. अब 26 जनवरी को ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि भारत का नया भारत रत्न कौन है?
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