पिछले कुछ समय से रुला रही भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने प्रशंसकों को आखिरकार बत्तीसी दिखाने के लिए कुछ लम्हें दे ही दिए. भला हो रैना, युसूफ पठान और गेंदबाजों का जिन्होंने जिम्बाब्वे को दोनों टी20 मुकाबले में आसानी से हरा दिया. लेकिन क्या इस जीत को हम आसान जीत कहते हैं, जब पहले मैच में 112 रनों का पीछा करते हुए हम 40 रन पर अपने शुरूआती चार विकेट खो देते हैं और दूसरे मुकाबले में आखरी के ओवरों में इतना पिटाते है कि गेंद भी रोने लगती है परन्तु चलो जीते तो हम.
लेकिन अब मंच बड़ा हो चला है, अब खड़ी है चुनौती एशिया के सिकंदर कहलाने की. जिम्बाब्वे श्रंखला के बाद एशिया कप के लिए कप्तान बदल गया है, टीम बदल गयी है, कुछ चोटिल हैं तो कुछ को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. अब तो टीम इंडिया के सीनियर सिटिजन कहे जाने वाले खिलाड़ियों को आराम भी मिल गया है. अब न तो आईपीएल की थकान रोड़ा बनने वाली है न तो वेस्टइंडीज की उछाल भरी पिचों के बाउंसर आड़े आने वाले और अब माहौल भी घर जैसा है. तो मान लिया जाये कि एशिया कप अब भारत में ही आने वाला है. परंतु क्या कप्तान कूल धोनी इस बात पर मोहर लगा सकते हैं कि हम ही जीतेंगे? शायद इस प्रश्न का ज़वाब वक्त ही बताएगा लेकिन यह बात तो पक्की है कि अगर धोनी की किस्मत ने रंग दिखाया तो यह होगा नंबर 11वां.
अब अगर हम आराम की बात करें तो धोनी, भज्जी, ज़हीर, गौतम गंभीर, नेहरा, प्रवीण कुमार और सहवाग ने बहुत आराम कर लिया है. शायद इन्होंने इन दिनों अपना वज़न भी घटाया हो और कुछ ने विज्ञापन द्वारा पैसा भी कमाया हो. लेकिन दूसरी तरफ़ रैना, रोहित शर्मा, रविन्द्र जडेजा, युसूफ पठान, प्रज्ञान ओझा, अशोक डिंडा, विराट कोहली और आश्विन को तो शाररिक और मानसिक यातना झेलनी पड़ रही है लेकिन कैसे. देखिए पहले तो 13 तारीख तक इन्होंने मैच खेले और अब 36 घंटों का सफर कर इनको श्रीलंका पहुचना है. जहाँ जिम्बाब्वे में इनको ठंडे मौसम का सामना करना पड़ा वहीं अब श्रीलंका में इनको गर्मी और उमस के बीच अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा तो हो गया न टार्चर. पर क्या इतनी यातना सहने के बाद यह खिलाड़ी अच्छा खेल दिखा पाएंगे? अगर टीम में अपनी जगह पक्की करनी है तो इन्हें खेलना ही होगा.
युवराज बने यमराज
एक समय था जब युवराज सिंह को भारतीय टीम का युवराज कहा जाता था चाहे वह स्टुअर्ट ब्राड के एक ओवर में लगाये छः छक्के हों या फिर श्रीलंका के खिलाफ़ नागपुर में खेली गयी मैच जिताऊ पारी. वह सभी के आँखों के तारे थे और धोनी के दुलारे थे. बॉलीवुड की अभिनेत्रियों के साथ उनका नाम जुड़ा रहता था. परन्तु आज इस भारतीय टीम के सबसे खतरनाक बल्लेबाज़ की टीम से छुट्टी कर दी गयी है, जिसका कारण उनका खेल के प्रति लचर प्रदर्शन और खराब फॉर्म बताया गया है. युवराज जी अगर क्रिकेट आप को राजा बनाता है तो आप को इसकी पूजा भी करनी चाहिये अगर यह आपसे रुष्ट हो गया तो आपको मुंह के बल गिराता है.
झारखण्ड का दूसरा धोनी
अभी तक आपने सौरभ तिवारी को आईपीएल में गेंदबाजों के छक्के छुड़ाते देखा था. एक के बाद एक इस सुनहरे, लंबे बाल वाले खिलाड़ी ने मुंबई को कई मैच जिताए और मुंबई को फाइनल तक पहुचाने में अहम भूमिका निभाई इसके अलावा घरेलू प्रतियोगितओं में भी उन्होंने बेहतरीन खेल खेला है और इसी का परिणाम उनको मिला भारतीय टीम में चुनने के साथ. अब अगर वह अच्छा खेले तो बल्ले-बल्ले वरना दूसरे लाइन में खड़े हैं.
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