भारतीय क्रिकेट टीम को आज विश्व क्रिकेट में खास पहचान दिलाने में युवा क्रिकेटरों ने अहम रोल निभाया है. युवा हर टीम की जान होते हैं और भारतीय टीम में भी युवा खिलाड़ियों को टीम की शान समझा जाता है. रैना, कोहली, कार्तिक, उथप्पा, रोहित शर्मा आदि खिलाड़ियों ने हमेशा ही टीम में जान फूंकने का काम किया है. सुरेश रैना युवा टीम इंडिया के सबसे कामयाब खिलाड़ी हैं. अधिक मौके और उन मौकों को भुनाना ही सुरेश रैना की खासियत है. सुरेश रैना टीम इंडिया के चुस्त फील्डर, विस्फोटक बल्लेबाज और एक उपयोगी गेंदबाज हैं.
सुरेश रैना की शैली (Suresh Raina Profile)
युवा सुरेश रैना भारतीय क्रिकेट टीम के उन चन्द खिलाड़ियों में से हैं जो मैदान पर अपने चुस्त क्षेत्ररक्षण के लिए जाने जाते हैं. रैना मैदान पर जितने आक्रामक हैं मैदान के बाहर उतने ही कूल रहते हैं. मैदान के बाहर रैना अक्सर मस्तियां करते नजर आते हैं लेकिन वह कभी भी मीडिया से ज्यादा बात करना पसंद नहीं करते. कप्तान धोनी उन पर बहुत ही भरोसा करते हैं और वह कप्तान के फेवरेट भी हैं. सुरेश रैना ने हाल के मैचों में खुद को बखूबी साबित भी किया है. वनडे के बाद इस खब्बू बल्लेबाज ने खुद को टेस्ट में भी साबित किया है.
सुरेश रैना का क्रिकेट सफर (Suresh Raina’s Career)
27 नवंबर, 1986 को रैना का जन्म श्रीनगर में हुआ था. उनके पिता कश्मीरी पंडित हैं. बचपन से ही उन्हें क्रिकेट का बड़ा शौक था और इसीलिए वह श्रीनगर से उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में शिफ्ट हो गए. 1999 से सुरेश रैना ने क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू किया.
2002 तक सुरेश रैना उत्तर प्रदेश की अंडर 16 टीम के एक काबिल खिलाड़ी के रुप में उभरे. इसी साल उन्हें भारत की अंडर 19 टीम के लिए इंग्लैण्ड दौरे पर भेजा गया जहां उन्होंने एक के बाद एक दो अर्धशतक लगाए. यहीं से सुरेश रैना ने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान खींचना शुरू किया. साल 2005 में उन्हें बॉर्डर-गावस्कर स्कॉलरशिप के लिए चुना गया और आस्ट्रेलिया में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया.
सुरेश रैना का कॅरियर
साल 2005 में सुरेश रैना को इंडियन ऑयल कप के लिए टीम इंडिया में चुना गया. हालांकि वह अपने पहले मैच में बुरी तरह फ्लॉप हो गए थे. गांगुली और कैफ जैसे खिलाड़ियों की गैर-मौजूदगी में रैना को बहुत मौके मिले और धीरे-धीरे वह टीम इंडिया के एक सदस्य बन गए. साल 2008 के बाद से ही सुरेश रैना भारतीय टीम के एक नियमित सदस्य हैं. 2008 में एशिया कप के दौरान रैना ने अपना पहला शतक बनाया था. इस सीरीज में रैना ने लगातार तीन मैचों में मैन ऑफ द मैच का खिताब जीता था. इसके बाद आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से उनके बेहतरीन प्रदर्शन ने टीम में उनकी जगह को पक्का कर दिया.
2008 से 2011 तक का सफर रैना के लिए बहुत ही बेहतरीन रहा. धोनी की कप्तानी में रैना ने कई अहम मौके पर नंबर तीन पर आकर धमाकेदार बल्लेबाजी कर टीम की डूबती नैया पार लगाई है. वनडे और टी-ट्वेंटी में विस्फोटक अंदाज से खेलने वाले रैना टेस्ट में भी एक सफल खिलाड़ी के रुप में उभरे हैं.
2011 क्रिकेट विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ रैना ने 34 रनों की अहम पारी खेली थी. क्रिकेट विश्व कप के बाद रैना को वेस्टइंडीज दौरे के लिए वनडे मैचों का कप्तान घोषित किया गया था. इस सीरीज में भारत ने विजय हासिल की थी.
आने वाले सालों में रैना से और भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. बेहतरीन खेल के साथ रैना में एक भावी कप्तान को भी देखा जाता है.
सुरेश रैना की उपलब्धियां (Suresh Raina’s Records)
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