टेस्ट मैचों में नंबर वन का ताज और विश्व कप के साथ इंग्लैण्ड पहुंची भारतीय टीम ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसे इस टेस्ट श्रृंखला में वाइटवॉश की भी नौबत देखने को मिल सकती है. दुनिया की सबसे मजबूत बल्लेबाजी क्रम और युवा गेंदबाजों से भरी टीम इंडिया अब वह टीम इंडिया नहीं लगती जो कुछ दिन पहले इंग्लैण्ड आई थी. आधे से ज्यादा टीम हताश है. कई अहम खिलाड़ी चोट से सीरीज को अधर में छोड़कर जा चुके हैं और 3-0 से पिछड़ रही टीम अपने अंतिम टेस्ट मैच में खुद को बचाने के लिए उतर रही है.
चोटों की समस्या और टेस्ट सीरीज गंवाने के बाद आलोचनाएं झेल रही भारतीय टीम 18 अगस्त से शुरू होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट मैच में आत्मविश्वास से लबरेज इंग्लैंड के खिलाफ वाइटवॉश की शर्म से बचने और सम्मान बचाने के लिए ‘द ओवल’ मैदान में उतरेगी.
टीम इंडिया दुनिया की नंबर एक टेस्ट रैंकिंग के साथ इस सीरीज में खेलने उतरी थी लेकिन पहले तीन टेस्ट मैचों में लगातार करारी शिकस्त से उनकी टेस्ट में बादशाहत छिन गई. सीरीज में अब तक अपने निराशाजनक प्रदर्शन से कड़ी आलोचनाएं झेल रही भारतीय टीम अगर इस मैच में हार गई तो वह टेस्ट रैंकिंग में खिसककर दक्षिण अफ्रीका के पीछे तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगी. लेकिन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ओवल में जीत से वापसी करने के लिए बेताब होंगे क्योंकि चौथे टेस्ट में जीत से मेहमान टीम सीरीज में वाइटवॉश की शर्म से बचने में तो सफल रहेगी ही बल्कि इससे उसका पांच मैचों की वनडे सीरीज से पहले जरूरी आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.
धोनी भी बेहद परेशान हैं क्यूंकि उन्हें बतौर कप्तान पहली सीरीज में हार का मुंह देखना पड़ा है. भारत को 79 वर्षों के दौरान चार या इससे ज्यादा टेस्ट में पूरी तरह से वाइटवॉश का सामना केवल तीन बार करना पड़ा है. इससे पहले उसे इंग्लैंड ने 1959 में और वेस्टइंडीज ने 1961-62 में 5-0 से हराया था और आस्ट्रेलिया से 1967-68 से 4-0 की शिकस्त का मुंह देखना पड़ा था. भारत को इससे पहले तीन बार 3-0 की हार का सामना करना पड़ा है जिसमें उसे दो बार 1967 और 1974 में इंग्लैंड से और 1999-2000 में आस्ट्रेलिया से पराजय मिली है. टीम इंडिया के लिए हालांकि अच्छी खबर यह है कि सीरीज का अंतिम टेस्ट द ओवल में खेला जाएगा जो बड़े स्कोर के लिए मशहूर है और इस मैदान पर मेहमान टीम का रिकार्ड भी काफी अच्छा है.
धोनी के साथ टीम की त्रिमूर्ति भी बेहद परेशान और बेरंग दिख रही है. सचिन तेंदुलकर अपनी फार्म हासिल नहीं कर पाए हैं लेकिन उनकी निगाहें श्रृंखला में पहला सैकड़ा जमाकर 100 अंतरराष्ट्रीय शतकों के जादुई आंकड़े को छूने पर लगी होंगी. भारत के संकटमोचन वीवीएस लक्ष्मण भी इंग्लिश हालातों से जूझ रहे हैं. थोड़ी बहुत राहत द्रविड़ ने दिलाई है लेकिन वह भी द वॉल की अपनी उपाधि से न्याय करते नहीं दिख रहे. और इन सबके बीच पहले सहवाग और गंभीर की कमी और बाद में उनका ना चल पाना टीम के लिए और भी परेशानी बढ़ा रहा है.
चोटों से घिरे जहीर खान और फार्म से जूझ रहे हरभजन सिंह की अनुपस्थिति में ईशांत शर्मा की अगुवाई वाला भारतीय आक्रमण सामान्य दिख रहा है. भारत की खराब गेंदबाजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एजबेस्टन में इंग्लैंड को 700 रन से ज्यादा का स्कोर बनाने दिया.
दूसरी तरफ, अपराजेय बढ़त हासिल करने और दुनिया की नंबर एक टीम बनने के बावजूद इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस हार से पस्त भारत पर किसी तरह के रहम दिखाने के मूड में नहीं हैं और वह चार मैचों की सीरीज का सकारात्मक अंत करना चाहते हैं.
अगर टीम इंडिया को वाइटवॉश की स्थिति से बचना है तो जरूरी है कि बल्लेबाजी में वीरू अपने रंग में दिखें और सभी अहम बल्लेबाज अपना रोल निभाएं और गेंदबाजी में ईशांत शर्मा और प्रवीण कुमार थोड़ा दम दिखाएं. अगर आज भी टीम इंडिया यह मैच हार जाती है तो फिर आगे आने वाली एकदिवसीय सीरीज में उसके लिए राहें और भी कांटे भरी हो जाएंगी.
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