Menu
blogid : 312 postid : 854

इस दीवार को तोड़ना है मुश्किल

Team Indiaतीसरा टेस्ट मैच खत्म हुआ हमने एक बार फिर साबित कर दिया कि टीम इंडिया को टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक के पायदान से हटाना इतना आसान नहीं है. लेकिन आशा तो यह थी कि बंगलादेश से बुरी तरह पराजित हुए न्यूज़ीलैण्ड टीम को हम आसानी से मात दे सकेंगे. सभी का अनुमान था कि धोनी की इस टीम को तीनों टेस्ट मैच जीतने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. लेकिन पहले टेस्ट मैच में हम हार के बहुत करीब पहुंच गए थे वह तो शुक्र हो भज्जी का जो हमने पहला टेस्ट मैच ड्रा कर लिया. शायद यही कुछ खूबियां हैं जो हमको नंबर एक टीम बनाती हैं.

दूसरा टेस्ट मैच भी ड्रा रहा लेकिन तीसरे टेस्ट मैच का निर्णय निकलने में चार दिन भी नहीं लगे. जो टीम निरंतर अच्छा प्रदर्शन कर रही थी वह दोनों पारियों में 200 रन भी नहीं बना सकी. वहीं टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने रनों की झड़ी लगा दी. ऐसा दो दिनों में क्या हो गया कि हमने जो भी चाल चली वह कामयाब हुई?

अहमदाबाद और हैदराबाद टेस्ट मैच के बाद कप्तान कूल महेंद्र सिंह धोनी एक बात से बहुत नाराज़ दिखे वह था पिच का सपाट होना. उनका तो यहां तक कहना था कि अगर ऐसी पिच में मैच होते रहे तो मैच का निर्णय दस दिन में भी नहीं निकल सकता. दोनों जगह की पिचों में तेज़ और फ़िरकी दोनों गेंदबाजों के लिए कोई भी मदद नहीं थी. बल्लेबाज़ को शॉट खेलने में किसी भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा था. और ऐसे में रन बनाना बहुत आसान हो गया था.

India New Zealand Cricketलेकिन नागपुर के जामथा स्टेडियम की पिच में गेंदबाजों के लिए मदद थी. गेंद उछाल ले रही थी वहीं फ़िरकी गेंदबाज़ गेंद को घुमाने में कामयाब हो रहे थे. बस उनको करना यह था कि गेंद सही स्थान पर फेंकनी थी और गेंदबाज़ी में थोड़ी विविधता लानी थी. भारतीय गेंदबाजों ने इन स्थितियों का पूरा फायदा उठाया और पहली पारी में न्यूज़ीलैण्ड को 193 पर समेट दिया. अब बारी थी बल्लेबाज़ी की जिन्होंने विशाल स्कोर खड़ा करने में कुछ भी कसर नहीं छोड़ी. स्पिन को खेलने में महारत हासिल किए हुए भारतीय बल्लेबाजों ने विटोरी और उनके सभी गेंदबाजों के प्रहार व्यर्थ कर दिए. पहली पारी के आधार पर हमने बहुत बड़ी बढ़त बना ली जिससे हमारी जीत का रास्ता प्रशस्त हुआ. दूसरी पारी में न्यूज़ीलैण्ड को हमने एक बार फिर सस्ते में आउट कर मैच के साथ सीरीज भी जीत ली.

भारत की इस जीत से एक बात यह भी साफ़ हो गई कि जीत-हार में पिच का बहुत बड़ा हाथ रहता है अतः पिच क्यूरेटर की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वह ऐसी पिच बनाए जो भारतीय गेंदबाजों को मदद दे.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh