कल भारतीय बल्लेबाजों का खेल देख यह प्रतीत हो रहा था कि काश यह खेल वह दो दिन पहले दिखाते तो आज हार का मुंह नहीं देखना पड़ता. खैर पहले दिन की लचर बल्लेबाज़ी और फिर गेंदबाजों के निराश प्रदर्शन की देन है कि विश्व नंबर एक टीम को बेइज्जती झेलनी पड़ रही है.
अगर इंद्र देव दक्षिण अफ्रीका पर मेहरबान रहे तो केवल दो गेंद दूर है जीत स्मिथ की टीम से. सचिन तेंदुलकर की अगुवाई में कल भारतीय बल्लेबाजों में जुझारूपन भी देखने को मिला जो सीरीज के आने वाले मैचों के लिए बहुत बढ़ियां है. टेस्ट कैरियर में कल सचिन तेंदुलकर ने अपना पचासवां शतक लगाया, धोनी ने भी अच्छी पारी खेली लेकिन शायद दोनों का यह प्रदर्शन व्यर्थ हो जाए.
1991 में इंग्लैंड के विरुद्ध सचिन ने पहला शतक जड़ा था. उस शतक की खास बात यह थी कि हार की कगार पर खड़ी भारतीय टीम ने वह टेस्ट मैच ड्रा किया था. लेकिन आज शायद उनका पचासवां शतक भारतीय टीम को ड्रा नहीं दिला पाए. क्रिकेट की दुनियां के भगवान लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर ने जब अपना पचासवां शतक जड़ा तो उनके चेहरे की अभिव्यक्ति साफ़ कह रही थी कि वह मायूस हैं. लेकिन सचिन भी यह जानते थे कि यह क्रिकेट है जिसमें हार-जीत लगी रहती है. लेकिन फिर भी सभी की चाहत थी कि “पचासवां आए और खुशी लाए.”
सीरीज शुरू होने से पहले कोच गैरी कर्स्टन को अनुमान था कि शायद पिछने 18 महीनों से घरेलू पिचों पर खेल रही भारतीय टीम को दक्षिण अफ्रीका के बाउंसी पिचों को ढालने में मुश्किल हो. इस मुश्किल से निपटने के लिए कोशिश भी की गयी लेकिन केवल कोशिश से यहां काम नहीं चलने वाला था, यहां ज़रूरत थी जुझारूपन की जो हमारे खिलाड़ियों में न दिखी. इसके अलावा ठीक मैच से पहले ज़हीर खान का घायल होना भी भारतीय टीम को महंगा पड़ा. तेज़ गेंदबाजी के नायक ज़हीर खान भारतीय टीम के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे, परन्तु उनके चोटिल होना से गेंदबाजी में कमी आ गयी जिसे जयदेव उनादकट भर न सके.
भारतीय टीम मैनेजमेंट को इसके अलावा एक और परेशानी से भी रूबरू होना पड़ रहा है वह है रैना का खराब प्रदर्शन. गौर करने वाली बात है कि टेस्ट मैचों में धमाकेदार एंट्री करने वाले रैना ने पिछले दो सीरीज में एक भी पचास नहीं लगाया है और दक्षिण अफ्रीका में तो वह असहाय से दिखे. ऐसे में शायद मुरली विजय या चेतेश्वर पुजारा में से किसी एक को मौका मिले.
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