2010 में खेल जगत की हलचलों का अगर हम आकलन करें तो हमारा कंधा गर्व से चौड़ा हो जाता है. इस वर्ष हमने न केवल क्रिकेट में कमाल दिखाया बल्कि बैडमिंटन, मुक्केबाजी, कुश्ती, एथेलेटिक्स, टेनिस और शूटिंग में भी असीम सीमाएं नापीं. इसके अलावा हमारे खिलाड़ियों ने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में फिर एशियाई खेलों में अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन भी किया.
आइए देखें 2010 में भारतीय खेल जगत के टॉप 10 सुनहरे पल
1- सचिन तेंदुलकर का एकदिवसीय में दोहरा शतक: 24 फरवरी 2010 ‘ग्वालियर’ क्रिकेट के सुपरमैन सचिन तेंदुलकर ने ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसकी कल्पना बहुत से खिलाड़ी करते ही नहीं हैं. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ खेले गए दूसरे एकदिवसीय मैच में दोहरा शतक जड़ सचिन ने साबित कर दिया की उम्र का उनके खेल में कोई प्रभाव नहीं है. इसके साथ पुरुष क्रिकेट इतिहास में वह पहले खिलाड़ी बन गए जिसने एकदिवसीय मैच में दोहरा शतक जड़ा हो.
2. शतकों का अर्द्धशतक: वर्ष का दूसरा कारनामा भी सचिन तेंदुलकर के नाम जाता है. 20 दिसम्बर 2010 को सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ खेले गए पहले टेस्ट की दूसरी पारी में शतक जड़ उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में शतकों का अर्द्धशतक पूरा किया. उन्होंने यह कारनामा अपने 175वें टेस्ट क्रिकेट की 286 वीं पारी में अंजाम दिया.
3.सोमदेव देवबर्मन का एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक: भारत के स्टार टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देवबर्मन के लिए यह साल बहुत बेहतरीन रहा. जहां उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में टेनिस की पुरुष एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता वहीं इस वर्ष एटीपी रैंकिंग में भी उन्होंने टॉप 100 में जगह बनाई. लेकिन एशियाई खेलों में सोमदेव देवबर्मन के द्वारा जीते गए दो स्वर्ण पदक उनके इस वर्ष के सबसे स्वर्णिम पल थे.
4.गगन नारंग का स्वर्णिम सफ़र: भारत के स्टार शूटर और 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता के विश्व रिकॉर्ड धारी गगन नारंग ने दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए चार स्वर्ण पदक जीते.
5.एशियाई खेलों में भारत का प्रदर्शन: 2010 ग्वांगझाऊ एशियन गेम्स में हमने 14 स्वर्ण, 17 रजत और 33 कांस्य पदक सहित रिकार्ड 64 पदक जीते. पदक तालिका में हमारा स्थान छठां था. इसके साथ ही हमने 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों में जीते 57 पदकों के आंकड़े को भी पीछे छोड़ दिया.
6. दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल: दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल आयोजित कर हमने दिखा दिया कि हम भी विश्वस्तरीय खेल प्रतियोगिता कर सकते हैं. लेकिन उससे भी बड़ा कारनामा हमारे खिलाड़ियों ने किया जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया. राष्ट्रमंडल खेलों में हमने 38 स्वर्ण, 27 रजत और 36 कांस्य पदक जीते, पदक तालिका में हमारा स्थान दूसरा रहा.
7. सायना नेहवाल का जादू: भरत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल के लिए यह वर्ष यादगार रहा. हालांकि उन्होंने इस वर्ष कई ख़िताब जीते लेकिन इन सब में सबसे खास था हांगकांग ओपन जहां उन्होंने चीनी खिलाड़ी चीन की शिजियान वांग को फाइनल में हरा साबित कर दिया कि भले बैडमिंटन में चीन का दबदबा हो लेकिन सायना नेहवाल से टक्कर लेना उनके लिए भारी पड़ेगा.
8. विजेंद्र कुमार का मुक्का: भले राष्ट्रमंडल खेलों के सेमीफाइनल मुकाबले में विजेंद्र को हार का मूह देकना पड़ा हो लेकिन भिवानी के इस मुकेबाज़ ने हार नहीं मानी और एशियाई खेलों में फाइनल मुकाबले में विश्व चैम्पियन एबोस एटोये को एक तरफ़ा (7-0) मुकाबले में हरा खेलों में स्वर्ण पदक जीता. इसी स्वर्ण पदक के कारण हम तालिका में चीनी ताईपे से ऊपर रहे.
9. महिलाओं की डबल सफलता: पहले राष्ट्रमंडल खेल फिर एशियाई खेलों में महिलाओं की 4X400 दौड़ में स्वर्ण पदक जीत एक नए युग की शुरुआत की. किसी ने दौड़ की इस स्पर्धा में स्वरण पदक की आस नहीं की थी परन्तु हमने यह कारनामा कर दिखाया.
10.पांचवीं बार विश्व चैम्पियन: ब्रिजटाउन में संपन्न हुए विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रोमानिया की स्टेलुटा डुटा को 16-6 से हरा कर लगातार पांचवी बार विश्व चैंपियनशिप में खिताब जीतकर इतिहास रच दिया.
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