uefa-euro-2012
इंडियन प्रीमियर लीग 2012 का खुमार खत्म हो चुका है, विजेता घोषित किए जा चुके हैं. लगभग दो महीनों तक चला क्रिकेट का यह बुखार अब सितम्बर महीने में देखने को मिलेगा जब श्रीलंका में टी-20 विश्व कप आयोजित किए जाएंगे. लेकिन खेलों की दुनियां में रुचि रखने वालों के लिए कोई भी प्रतियोगिता समाप्त नहीं होती है. ऐसी ही एक प्रतियोगिता है जिसकी भव्यता को देखते हुए पूरा विश्व ही इसका दीवाना है. जी हां, हम बात कर रहे हैं यूरो 2012 की. पोलैंड-यूक्रेन की संयुक्त मेजबानी में फुटबॉल के दूसरे विश्व के सबसे बड़े टूर्नामेंट का आगाज शुक्रवार से हो गया.
कौन किसके ग्रुप में
विश्व को अपने रंग में रंगने वाले इस टूर्नामेंट में यूरोप की 16 टीमों ने यूरो 2012 का बादशाह बनने के लिए कमर कस रखी है. टीम को चार ग्रुपों में बांटा गया है:
ग्रुप-ए: पोलैंड, ग्रीस, रूस, चेक गणराज्य
ग्रुप-बी: नीदरलैंड, जर्मनी, डेनमार्क, पुर्तगाल
ग्रुप-सी: स्पेन, इटली, क्रोसिया, रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड
ग्रुप डी: इंग्लैड, फांस, स्वीडन, यूक्रेन
कब और कहां खेले जाएंगे मैच
उद्घाटन मुकाबला मेजबान पोलैंड और यूनान के बीच शुक्रवार 08 जून को खेला जाएगा. प्रतियोगिता का क्वार्टर फाइनल मुकाबला 21 जून से शुरू होगा जबकि सेमीफाइनल 27 जून और फाइनल 01 जुलाई को खेले जाएंगे.
टूर्नामेंट के मुकाबले आठ शहरों वारसा, ग्दांस्क, व्रोक्लाव, पोजनान, कीव, लीव, दोनेस्क और खारकीव में खेले जाएंगे. ये सभी विश्व की सबसे सुंदर जगहों में शामिल हैं.
खेल का प्रसारण
दुनिया की सबसे मशहूर और बड़े पैमाने पर प्रसारित की जाने वाली खेल प्रतियोगिता, यूरो कप का आधिकारिक प्रसारण नियो स्पोर्टस करेगा. इस चैनल ने कार्ल्सबर्ग, कैडबरी, इंटेल जोलो, डीएचएल और रिलायंस नेट कनेक्ट के साथ करार किया है. विज्ञापन स्पॉट खरीदने वालों में पारले एग्रो, सैमसंग और कोका कोला जैसी कंपनियां शामिल हैं.
फेवरेट टीम और खिलाड़ी
विश्व विजेता और गत चैंपियन स्पेन की टीम के पास यूरो कप फुटबॉल टूर्नामेंट में तीसरी बार खिताब जीतकर इतिहास बनाने का सुनहरा मौका होगा. स्पेन के अलावा प्रतियोगिता के मजबूत दावेदारों में इटली, इंग्लैंड, जर्मनी, पुर्तगाल और फ्रांस भी शामिल हैं. पुर्तगाल की गोल मशीन क्रिस्टियानो रोनाल्डो भी इस बार भी सबसे फेवरेट खिलाड़ी रहेंगे, इसके अलावा आंद्रेस इनिएस्टा , रॉबिन वेन पर्सी, वेन मार्क रूनी, डेविड सिल्वा.
यूरो का इतिहास
दर्शक के दिलों में एक अलग सी लहर पैदा करने वाले इस खेल का जन्म 1960 में हुआ. उस समय इस प्रतियोगिता का नाम यूरोपीय नेशंस कप था. प्रतियोगिता के पीछे मुख्य हाथ था फ्रेंच फुटबॉल फ़ेडरेशन के सचिव हेनरी डेलॉने का. पहला टूर्नामेंट सोवियत यूनियन ने यूगोस्लाविया को मात देकर जीता था.
क्रिकेट का बुखार जहां आठ से दस देशों तक सीमित है वहीं फुटबॉल ने पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है. दुनिया का ऐसा कोई सा कोना नहीं है जहां इस खेल के दीवाने न हों. इस तरह की प्रतियोगिता में लोगों का उत्साह और उमंग देखते ही बनता है. भारत भी इससे पीछे नहीं है. पश्चिम बंगाल से लेकर पूरे उत्तर-पूर्व में इसके ऐसे दीवाने हैं जिन पर फुटबॉल का चढ़ा रंग कभी नहीं उतरता.
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