ओलंपिक खेलों से कुश्ती खेल को हटाए जाने के अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के फैसले से भारत में हड़कंप मचा हुआ है. खेल से जुड़ा हर व्यक्ति इस बात से परेशान है कि कैसे कोई कुश्ती जैसे महत्वपूर्ण खेल को ओलंपिक से हटा सकता है जिसमें भारत ने हाल के वर्षो में एक नई उड़ान भरी थी. देश के पहलवानों को आशंका है कि इस फैसले से देश में कुश्ती को लेकर जो नया उत्साह पैदा हुआ था वह समाप्त हो जाएगा.
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गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने मंगलवार को कुश्ती को 2020 ओलंपिक खेलों के कार्यक्रम से हटा दिया है. 25 नए खेलों को 2020 के ओलंपिक खेलों में शामिल करने का प्रस्ताव आईओसी के 125वें सत्र में रखा जाएगा जो कि सात से 10 सितंबर तक अर्जेंटीना में होगा. आईओसी का यह फैसला नए खेलों को ओलंपिक में शामिल करने के लिए है. कुश्ती की जगह कौन सा खेल ओलंपिक का हिस्सा बनेगा, इसका फैसला मई में होगा. यह खेल हालांकि 2016 में रियो डी जेनेरियो में होने वाले ओलंपिक खेलों का हिस्सा रहेगा.
कुश्ती अब उन सात खेलों में शामिल हो गई है, जिन्हें 2020 के ओलंपिक खेलों में शामिल होने के लिए आवेदन करना होगा. अन्य खेलों में बेसबॉल एवं सॉफ्टबॉल, कराटे, स्क्वाश, रोलर स्पोर्ट्स स्पोर्ट क्लाइम्बिंग, वेकबोर्डिंग और वुशु शामिल हैं. इनमें से किसी एक खेल को ही 2020 खेलों में जगह मिल पाएगी.
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भारत खेल जगत पहले ही खेल संघों की आंतरिक अव्यवस्था से परेशान है. आईओसी के नए फैसले ने इस परेशानी को और बढ़ा दिया है. लंदन ओलंपिक खेलों के रजत पदक विजेता सुशील कुमार ने कहा, ‘‘मुझे यकीन नहीं हो रहा है इस तरह का फैसला किया गया है. मैं ऐसा कोई कारण नहीं देखता जिससे 2020 ओलंपिक खेलों से कुश्ती खेल को हटाया जाए.” हालांकि भारतीय कुश्ती में इतिहास बनाने वाले सुशील को उम्मीद है कि कुश्ती ओलंपिक खेलों का हिस्सा बनी रहेगी.
जिस खेल में हम सबसे ज्यादा उम्मीद लगाकर बैठे थे कि आने वाले ओलंपिक में भारत की पदकों की स्थिति और ज्यादा सुधरेगी उस पर यह गहरा आघात साबित हो सकता है. इस फैसले ने सबके सपनों को तोड़ दिया. इसका असर भारत के युवा पहलवानों पर ज्यादा देखने को मिलेगा जो भविष्य के ओलंपिक खेलों को ध्यान में रख कर तैयारी कर रहे हैं.
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