भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को 1983 के बाद 2011 में विश्व कप ट्रॉफी का तोहफा देने में भारतीय क्रिकेट के कई अहम खिलाड़ियों का हाथ रहा है. यू तो इस जीत में पूरी भारतीय टीम ने एकजुट होकर अपना प्रदर्शन दिखाया पर इस जीत में एक ऐसा खिलाड़ी भी था जिसने अपने जुनून से इस विश्व कप की तस्वीर ही बदल दी.
युवराज सिंह को विश्व कप से पहले आउट ऑफ फार्म माना जा रहा था और उनके चयन को लेकर भी बहुत संदेह था लेकिन विश्व कप की टीम में जिस तरह का प्रदर्शन उन्होंने दिखाया उसने उन्हें “प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट” बना दिया. भारतीय क्रिकेट टीम के लिए ट्रम्प कार्ड के रुप में साबित होने वाले इस खिलाड़ी को पहले कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, अपने गिरते प्रदर्शन की वजह से टीम से बाहर बैठना पड़ा लेकिन कभी हार ना मानने की आदत ने उन्हें दुबारा टीम में जगह दिला ही दी.
युवराज सिंह की शैली : Batting Style of Yuvraj Singh
बायं हाथ के इस विस्फोटक बल्लेबाज का मिजाज बेहद मजाकिया और मस्ती भरा रहता है. लेकिन अपने खेल के प्रति इनका समर्पण किसी से नहीं छुपा है. जितना मजाक और मस्ती वह मैदान और मैदान के बाहर करते हैं उतनी ही लगन वह मैच के बीच अपना खेल दिखाने में लगाते हैं.
कई ऐसे मौके भी आए हैं जब हमने युवी को गुस्सा होते हुए भी देखा है लेकिन युवराज हमेशा अपने आलोचकों को जो जवाब देते हैं उसे अपने प्रदर्शन से सही भी साबित करते हैं.
युवराज सिंह का जीवन : Yuvraj Singh’s Biography
युवराज सिंह का जन्म 12 दिसम्बर, 1981 को पंजाब के एक सिख परिवार में हुआ था. वह पूर्व क्रिकेटर खिलाडी और फिल्म अभिनेता योगराज सिंह के बेटे हैं. 1976 में भारतीय टीम की ओर से महज एक टेस्ट मैच खेलने वाले योगराज सिंह ने अपने बेटे को क्रिकेट सिखाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. चोट की वजह से और कुछ अन्य कारणों से योगराज सिंह को क्रिकेट छोड़ना पड़ा लेकिन उनके मन में एक टीस थी जिसे उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेट की दुनिया का युवराज बनाकर निकाल ली.
बचपन में एक ऐसा भी मौका था जब युवी, स्केटिंग की प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत कर पिता के पास दिखाने के लिए गए तो पिता ने गले से मेडल को निकाल कर फेंक दिया और साफ व सख्त शब्दों में कह दिया कि आज के बाद सिर्फ क्रिकेट ही खेलना है. और तब से ही उन्होंने युवी को क्रिकेट सिखाया. खुद युवी भी मानते हैं कि उनके पिता उन्हें क्रिकेट सिखाते समय कई बार कठोर हो जाते थे लेकिन उस मार-डांट का आज उन्हें फल मिल रहा है.
युवराज की मां का नाम शबनम सिंह है. युवराज उन्हें ही अपना आदर्श मानते हैं.
युवराज सिंह का कॅरियर: Yuvraj Singh’s Career
युवराज सिंह पहली बार कूच-बिहार ट्राफी के दौरान चर्चा में आए जब उन्होंने पंजाब क्रिकेट टीम की तरफ से खेलते हुए 358 रन बनाए. इस प्रदर्शन के बल पर उन्हें साल 2000 में अंडर 19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में खेलने का मौका मिला. भारत ने इस साल यह प्रतियोगिता जीत भी ली.
साल 2000 में ही युवराज को भारतीय क्रिकेट टीम के लिए भी चुना गया. आईसीसी नॉक-आउट ट्राफी के दौरान केन्या के खिलाफ उन्होंने अपना पहला मैच खेला. इस सीरीज के दूसरे ही मैच में युवी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ विस्फोटक रुख अपनाते हुए अपने बल्ले की धाक दिखा दी थी. इस मैच में उन्होंने 82 गेंदों पर 84 रन बनाए पर सीरिज के बाद युवी को टीम में दुबारा जगह बनाने के लिए एक साल का इंतजार करना पड़ा.
2002 में नेटवेस्ट सीरीज के दौरान युवराज सिंह ने मोहम्मद कैफ के साथ मिलकर फाइनल में भारत की जीत में अहम रोल निभाया था. यह मैच युवराज के कॅरियर के लिए एक टर्निंग प्वॉंइट की तरह साबित हुआ. साल 2002 से लेकर 2005 तक कई अहम मौकों पर युवी ने राहुल द्रविड़ और कैफ के साथ मिलकर भारत को कई जीतें दिलाईं.
जल्द ही युवराज सिंह भारतीय टीम के एक मैच विनर और फिनिसिंग प्लेयर के रुप में पहचान बनाने लगे. कभी अंडर 15 की टीम से अपनी खराब फिल्डिंग की वजह से बाहर होने वाले युवी भारत के सबसे बेहतरीन फिल्डर बनकर उभरे.
युवराज सिंह ने 2007 टी-ट्वेंटी विश्व कप में इग्लैण्ड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के जमाकर अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी का परिचय दिया था. अहम मौकों पर टीम का साथ देना युवी की बल्लेबाजी की खासियत रही है और बल्लेबाजी ही नहीं युवी तो अब गेंद से भी कमाल दिखाते हैं. वर्तमान में वह दुनियां के दूसरे नबंर के ऑलराउंडर हैं.
2011 विश्व कप के इस हीरो ने विश्व कप 2011 में 362 रन और 15 विकेट लेकर मैच ऑफ द टूनामेंट का खिताब अपने नाम किया था. अपने वनडे कॅरियर में युवी ने 274 मैचों में 8051 रन बनाए हैं जिसमें 13 शतक भी शामिल हैं. सचिन, द्रविड, सौरभ के बाद वह आठ हजार रन बनाने वाले भारत के चौथे बल्लेबाज हैं. अगर वह इसी तरह रन बनाते रहे तो एक दिन जरूर वह अपने आदर्श सचिन की तरह वनडे में कई मील के पत्थर खड़े कर देंगे. गेंदबाजी में भी युवी ने अहम मौकों पर विकेट झटक कर 109 विकेटें हासिल की हैं.
वनडे के उलट टेस्ट में युवी का बल्ला थोड़ा धीमा दिखा है. संयम की कमी की वजह से युवी अभी तक टेस्ट मैचों में अपनी जगह पक्की करने में विफल रहे हैं. लेकि युवी को उम्मीद है कि वह एक दिन टेस्ट के भी युवराज बनेंगे. टेस्ट में युवी ने 34 मैचों में 1639 रन बनाए है जिसमें सिर्फ तीन शतक शामिल है.
अपने कॅरियर में युवी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. युवराज कई बार पार्टी करने और मॉडलिंग आदि की वजह से विवादों में रहे हैं. आईपीएल पार्टियों में हसीनाओं के साथ ठुमके लगाने की उनकी तस्वीरें तो अखबारों की हेडलाइन तक बन जाती हैं. साथ ही उनके प्रेम-प्रसंग भी लोगों के हॉट फेवरेट होते हैं.
युवराज सिंह के रिकॉर्ड: Yuvraj Singh’s Records
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