कैरेबियन द्वीपों में इन्द्र देव का ऐसा साया छाया कि, कोलिंगवुड को कभी रोनातो कभी हंसना आया
जहाँ 3 और 4 मई को टी20 विश्व कप के लीग चरण के चारो मैच वर्षा से बाधित थे, वहीं इन सभी मैचों का निर्णय डकवर्थ-लुइस नियम से निकला. तीन तारीख के पहले मुकाबले में श्रीलंका ने जिंबाब्वे को 14 रनों से मात दी वहीं दूसरे मैच मे 191 रन का विशाल स्कोर बनने के बाद भी इंग्लैंड की टीम हार गयी. टीम की हार से खिन्नाए इंग्लैंड के कप्तान पाल कोलिंगवुड अपनी निराशा छुपा नहीं सके और अपनी सारी भड़ास सिस्टम पे उतारते दिखे. इसके साथ-साथ उन्होंने टी20 के लिए नियमों में बदलाव की कवायद भी कर दी.
4 तारीख के खेले मैचों में एक बार फिर वर्षा का बोल-बाला रहा परन्तु इस बार यह कोलिंगवुड के लिए वरदान साबित हुयी. आयरलैंड के खिलाफ पहले खेलते हुए इंग्लैंड मात्र 120 रन का लक्ष्य ही खड़ा कर पाया, परन्तु इस बार बारिश ने उसका काम सुलझा दिया और अंत में उसको जीत हाथ लगी. वहीं दूसरे मुकाबले में भी डकवर्थ-लुइस का प्रयोग करना पड़ा जिसके तहत न्यूज़ीलैण्ड ने जिंबाब्वे को 7 रन से हरा दिया. इस तरह दोनों टीमों ने अंतिम आठ में जगह बना ली.
क्यों गुस्साए कोलिंगवुड
सोमवार को ग्रुप डी के एक मुकाबले में इंग्लैंड ने अपने 2010 टी20 विश्व कप का अभियान मेजबान वेस्टइंडीज के खिलाफ शुरू किया. वेस्टइंडीज कप्तान क्रिस गेल ने टॉस जीता और मेहमान टीम को बल्लेबाजी करने के लिए आमंत्रित किया. इंग्लैंड की तरफ से सलामी बल्लेबाज माइकल लंग और क्रेग कीसवेटर ने पारी की तेज शुरुआत की, इसके बाद इयान मोर्गन के 55 और ल्युक राइट नाबाद 45 के बीच 95 रन की हुई आतिशी साझेदारी की बदौलत इंग्लिश टीम ने 191 रन का विशाल लक्ष्य खड़ा किया. टी20 में 191 रनों का लक्ष्य अच्छा मन जाता है, अभी तक हुए सभी अंतराष्ट्रीय मैचों मे केवल दो बार ही, इतने बड़े लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया गया है.
विशाल लक्ष्य के आगे मेजबान टीम को क्रिस गेल और चंद्रपाल ने विस्फोटक शुरुआत दिलाते हुए 2.2 ओवर में 30 रन ठोक दिया, लेकिन बारिश के खलल डालने से इंग्लैंड की उम्मीदें धुल गई. जब मैच शुरू हुआ तो मेजबान को डकवर्थ-लुइस नियम अनुसार छह ओवर में 60 रन बनाने का संशोधित लक्ष्य मिला जिसे वेस्टइंडीज ने 5.5 ओवर में दो विकेट खोकर हासिल कर लिया.
परन्तु अगर यह मैच पूरा खेला जाता तो क्या वेस्टइंडीज 192 लक्ष्य का पीछा कर लेता? क्या इंग्लैंड को हार का मुंह देखना पड़ता? शायद इन सवालों का उत्तर देना कठिन है. अगर हम आंकड़ों पर गौर करे तो, अभी तक अंतराष्ट्रीय टी20 में केवल दो बार 192 या उससे ज्यादा का लक्ष्य सफलतापूर्वक पीछा किया गया है. अगर आप इतना बड़ा स्कोर खड़ा करते है तो आपके जीतने की सम्भावना नब्बे प्रतिशत से अधिक हो जाती है, और आप विपक्ष पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बना लेते हैं. अतः इस संदर्भ में कोलिंगवुड का निराश होने उचित था.
पाल कोलिंगवुड ने डकवर्थ-लुइस नियमों का विरोध करते हुए कहा कि ”एकदिवसीय मैचों के संदर्भ में डकवर्थ-लुइस नियम उचित बैठता है, किन्तु क्या टी20 जैसे संक्षिप्त संस्करण में इसकी उपयोगिता सार्थक है?
क्या है डकवर्थ-लुइस नियम
डकवर्थ-लुइस नियम एक गणितीय विधि है जिसके जरिए, द्वितीय सत्र में बल्लेबाजी करने वाली टीम का लक्ष्य निर्धारित करते हैं. यह नियम एकदिवसीय और टी20 क्रिकेट में तब लागू होता है, जब मैच वर्षा या किसी और कारणों से बाधित हो जाता है. इस नियम का अविष्कार ब्रिटेन के दो सांख्यशास्त्री फ्रांक डकवर्थ और टोनी लुइस ने किया था. इस नियम का पहली बार उपयोग 1996-97 में इंग्लैंड और जिंबाब्वे के मैच के दौरान किया गया था, जिसे जिंबाब्वे ने 7 रनों से जीता. आई.सी.सी ने 2001 में इस नियम को वर्षा से बाधित मैचों का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए अपनाया.
टी20 क्रिकेट और डकवर्थ-लुइस
चाहे वह टी20 क्रिकेट हो या एकदिवसीय, हमेशा से इस नियम की आलोचना होती रही है, परन्तु अगर हम टी20 के संदर्भ में देखे तो यह आलोचना किसी हद तक सार्थक भी है. डकवर्थ-लुइस नियम के अनुसार ओवर से ज़्यादा महत्व विकेट को दिया जाता है, जिसके तहत अगर कोई टीम बड़े लक्ष्य का पीछा कर रही है, और बारिश की आशंका है तो वह अपेक्षित रनगति से धीमें खेल कर भी मैच जीत सकती है परंतु मूलतः वह अपने विकेट ना खोए. किंतु अगर हम टी20 की बात करते हैं तो, यहाँ केवल 20 ओवर खेले जाते हैं अतः विकेट के साथ-साथ ओवर भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं.
दूसरी आलोचना पावर-प्ले ओवर का आकलन करने मे आती है, जहाँ अगर किसी टीम ने अपने पावर्-प्ले के ओवर खेल लिए गए हैं या फिर कुछ ओवर बचे है तो, यह आकलन करना कठिन हो जाता है कि उसका लक्ष्य क्या होगा, और किसी भी संदर्भ में हम पावर-प्ले ओवरों की उपेक्षा नहीं कर सकते.
इसके अलावा डकवर्थ-लुइस नियम एक जटिल नियम है जिसे समझना बहुत कठिन है, और इससे भी ज़्यादा कठिन इसको इस्तेमाल में लाने पर है.
अगर हम इन आलोचनाओं पर गौर करें तो किसी हद तक, कोलिंगवुड का निराश होना उचित है. टी20 जैसे छोटे फॉर्मेट के लिए इस नियम में त्रुटियाँ है. नियमों का पालन समानता बनाने के लिए किया जाता है, परन्तु अगर हम टी20 में डकवर्थ-लुइस नियम का पालन करें तो, असमानता होती है, जहाँ यह एक टीम को फायदा करता है वहीं दूसरी टीम को हानि. अतः टी20 क्रिकेट में इस नियम में बदलाव की ज़रूरत है. बदलाव के तौर पर ओवरों की महत्ता को बढ़ाने की ज़रूरत है, पावर-प्ले ओवरों की परस्पर सादृश्यता के साथ-साथ इसकी जटिलता को कम करने की ज़रूरत है.
परन्तु अगर हम कोलिंगवुड की बात करे तो जनाब, जहाँ कल इस नियम ने आप को हराया था वही आयरलैंड के खिलाफ इसने आप को बचाया भी, नहीं तो शायद आपका सुपर आठ का सपना आयरलैंड के हाथों ही समाप्त हो जाता.
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