भ्रस्टाचार रूपी भस्मासुर
भ्रस्टाचार रूपी भस्मासुर ने अब अपने देश भारत में
अपना अखंड साम्राज्य स्थापित कर लिया है . सन २०१०
में तो हद्द ही हो गई , भ्रस्टाचार आज अपनी चरम सीमा पर
पहुँच रहा है .रास्ट्रमंडल खेलों में अरबों का खेल हुआ .
२-जी स्पेक्ट्रम घोटाला , आदर्श सोसाइटी घोटाला ,
चावल निर्यात घोटाला , सार्वजनिक वितरण प्रणाली ,
एल आई सी हाऊसिंग आदि घोटालों ने देश की साख को
बट्टा लगा दिया . देश घुटालों के दलदल में फंसा हुआ है .
सरकारी तंत्र के हर हिस्से में लूट ही लूट है .नेताओं और
नौकरशाहों की मिलीभगत के परिणाम स्वरुप इस पर
लगाम लगाना कठिन होता जा रहा है .
एक अनुमान (ग्लोवल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी
अमेरिकी कंपनी द्वारा ) के अनुसार भारत के २२.५
लाख करोड़ रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा है .
भ्रटाचार अब तो कार्पोरेटजगत में भी फल -फूल
रहा है .
देश की जिन संस्थाओं पर भ्रस्टाचार को काबू में
करने की जिम्मेदारी है वे राजनीतिक हस्तछेप
के कारण न केवल निष्प्रभावी है बल्कि सत्ता आसीन
दलों की कठपुतली मात्र बन कर रह गईं हैं .सरकारी तंत्र
सत्ता बचाने के लिए गलत तथों का सहारा लेकर भ्रस्टाचार
पर पर्दा डालकर देश को गुमराह करने की कोशिश कर
रहेहैं . भला हो सुप्रीम कोर्ट का जो जी जान से लगी
है ऐसी देश विरोधी हरकत न कामयाब करने के लिए .
सत्तासीन दल को ठोस फैसले लेने का साहस जुटाना चाहिए .
साथ ही साथ अपनी कार्यशैली में पारदर्शिता का समावेश
मुख्यरूप से करना चाहिए .भ्रस्टाचारी केवल भ्रस्टाचारी ही
है चाहे वो सत्ता दल का हो या विपक्छ का ,उस पर
कठोरतम कार्यवाही नितांत आवश्यक है .
आम जनता की सहन शक्ति की भी कोई सीमा होती है.
इसका उदहारण मिश्र देश की जनता ने अपने देश में
व्याप्त भ्रस्टाचार के विरोध में आन्दोलन कर प्रस्तुत
किया है .हमारे देश के राजनेताओं को एवं नौकरशाहों
को इस से सबक लेना चाहिए .
६२ वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन
में ,नित नए भ्रस्टाचार की खुल रही पोल पर चौतरफा
छिड़ी चर्चा के बीच रास्ट्रपति ने भी आगाह करते हुए
इसे विकास का दुशमन करार किया है .उन्होंने जनसेवा
के छेत्र में व्याप्त संवेदन हीनता और लापरवाही पर
चिंता व्यक्त करते हुए जन कल्याणकारी एवं आर्थिक
विकास की योजनाओं में अधिक पारदर्शिता और
जबाबदेही की आवश्यकता पर भी बल दिया .
हम एक निर्णायक युग में प्रवेश कर रहे है .हमें
विश्व में एक महाशक्ति के रूप में अपने राष्ट्रको
उभारना है . यह तभी सम्भव है जब हमारी
सरकार चाहे किसी भी दल की हो ,देश विरोधी
कार्यकलापों एवं उनमें लिप्त व्यक्तियों की सच्ची
निष्ठा से पहचान करे और उन पर कठोरतम
कार्यवाही करे. हमें एक जुट हो कर देशको विकास
के मार्ग पर आगे बड़ानाहै .
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