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पूनम की ख्ाुशी का ठिकाना न था। कंपनी से मिले फ्लैट को वह बडे मन से सजाने लगी। अब कई बार रविवार की इकलौती छुट्टी में भी प्रत्यूष को ऑफिस जाना पडता। पूनम को उसकी कमी बहुत खलती, लेकिन बढते बैंक बैलेंस से दोनों का उत्साह बना रहता। सुबह दोनों ही जल्दी में होते। नाश्ता कौन बनाता। ऐसे में चाय और कुछ स्नैक्स लेकर दोनों ऑफिस निकल पडते, ब्रेकफस्ट और लंच ऑफिस में होता। रात में नौ-दस बजे घर पहुंचते तो कभी होटल से खाना ऑर्डर करते या फिर दूध-ब्रेड या अंडा खाकर गुजारा होता।
…जल्दी ही इस व्यवस्था से दोनों ऊब गए तो टिफिन सिस्टम शुरू हो गया। अब सुबह-शाम टिफिन घर में आने लगा। एक साल में उनके पास हर वो चीज थी, जिसके सपने उन्होंने संजोए थे। इस बीच पूनम को सिंगापुर की ब्रांच में छह महीने के लिए जाने का ऑफर मिला। इस प्रमोशन ने उसकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। अब वह अकसर ही दूसरे देशों के टूर पर रहती। प्रत्यूष भी अपनी दुनिया में मस्त रहता। उनका संवाद सेलफोन या मेल्स तक सीमित हो गया। साथ होते तो भी ऑफिस के ढेरों असाइनमेंट्स उनके बीच रहते। कभी मोबाइल बजता तो कभी इंटरनेट चलता रहता।
पांच वर्ष पंख लगा कर उड गए। बदले में मिला बंगला, गाडी, प्रतिष्ठा, शोहरत और बैंक बैलेंस। पूनम अब कभी-कभार ही सहेलियों से मिल पाती। उनकी साधारण गृहस्थी पर उसे दया आती। विभा की बेटी ने नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। एक छोटे से आयोजन में पूनम भी आमंत्रित थी। संयोग से उस शाम प्रत्यूष भी फ्री होकर वहीं आ गया था। बचपन की सखी का आग्रह वे टाल नहीं पाए। एक कीमती गिफ्ट लेकर वहां पहुंचे।
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उस साधारण सी पार्टी में ऐसा कुछ भी नहीं था, जो उन्हें आकर्षित करता, लेकिन मातृत्व सुख से दमकती विभा की छवि पूनम के मन पर अंकित हो गई। अपनी सूनी गोद का दर्द उसे एकाएक कचोटने लगा। घर लौटते समय उसने पति की बांह थामकर कहा, प्रत्यूष अब हमें भी बच्चे के बारे में सोचना चाहिए।
पता नहीं, प्रत्यूष ने सुना या नहीं, लेकिन स्टीरियो पर बजती धुन कुछ और तेज हो गई, साथ ही गाडी की रफ्तार भी। प्रत्यूष के दिमाग में बडी-बडी प्लानिंग थी। कुछ व्यक्तिगत, कुछ कार्यगत, अभी नया ऑफिस मुंबई में सैटल करना था। फार्म हाउस की बात भी चल रही थी।
दूसरे दिन फिर से पूनम ने बच्चे वाली बात प्रत्यूष के सामने दोहरा दी। प्रत्यूष को एक हफ्ते के लिए कोलकाता जाना था। इस बार पूनम ने भी ऑफिस से छुट्टी ले ली और प्रत्यूष के ही साथ जाने का कार्यक्रम बना डाला।
दो दिन का संक्षिप्त हनीमून अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि एक अचानक मीटिंग के लिए पूनम को दिल्ली से बुलावा आ गया। मीटिंग में तीन दिन का समय लगा। चौथे दिन पूनम ने कोलकाता के लिए फ्लाइट बुक कराई ही थी कि प्रत्यूष का फोन आया, उसे अचानक दुबई जाना पड रहा है। जानेमन हम फिर कभी बेबी प्लान कर लेंगे। अभी तो लाइफ एंजॉय करने का समय है.., पति ने फोन पर ही बडी बेफिक्री से जवाब दिया। पूनम जानती थी यह कभी अब शायद ही कभी आएगा। अपनी विवशता और महत्वाकांक्षा के बोझ तले वह पिसने लगी..।
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