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उस रात आखिरी बार देखा था

कहानियां
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women lifeहर रात कुछ कहती है पर रात का शोर हर किसी को सुनाई नहीं देता है. मुझे भी आज से सात-आठ साल पहले रात का शोर सुनाई नहीं देता था पर मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ कि उसके बाद रात के शोर ने मुझे कभी भी चैन से सोने नहीं दिया. मां हर रोज की तरह चिल्लाती हुई आई कि ‘कविता अब तो तैयार हो जा, यह ले क्रीम जरा इसे भी अपने मुंह पर लगा ले. हो सकता है कि इससे ही तेरे चेहरे पर चमक आ जाए’. मां की बातें कभी-कभी दुख तो पहुंचाती थीं पर यह सोच कर अपने दिल को समझा लिया करती थी कि यह भी मां के प्यार का एक रूप है.

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हर रोज मेरा प्रदर्शन किया जाता था. कभी कोई कहता था कि ‘कविता चलकर दिखाओ, कविता खड़ी हो कर दिखाओ’ सच में जिंदगी मजाक बनकर रह गई थी और एक बार तो हद ही हो गई थी जब एक लड़के के माता-पिता ने मेरे पिताजी से यह कहा कि ‘आपकी बेटी को तभी अपने घर की बहू बनाएंगे जब आप इसकी बदसूरती को छिपाने के लिए हमे मुंहमांगा धन देंगे’. उस दिन तो ऐसा लगा कि क्या सच मे मेरी कीमत लगाई जा रही है. उस रात मेरे कानों में एक शोर सा गूंजता रहा जैसे वो मुझसे कह रहा हो कि ‘कविता अपने माता-पिता का बोझ हल्का कर दे और इस जिंदगी से अलविदा कह दे’.

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पांच साल बाद जब दिन-रात एक जैसे गुजर रहे थे तब एक दिन अचानक एक लड़के का रिश्ता आया जिसकी पहले दो शादियां हो चुकी थीं और जिसमें से एक पत्नी की मौत हो चुकी थी और दूसरी पत्नी से उसका तलाक हो चुका था. बाबूजी मेरे पास आए और बोले कि ‘लड़का सच में अच्छा है और बेटी पता नहीं मैं कितने दिन का मेहमान हूं’. बाबूजी की यह बातें सुनने के बाद मैंने उस लड़के से शादी करने के लिए हां कह दिया था पर मुझे नहीं पता था कि मेरे अपने भी मुझ से बहुत कुछ छिपा रहे हैं.

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एक दिन अचानक पता चलता है कि उस लड़के के दो बच्चे भी हैं. अब मैं ऐसी दुविधा में फंस चुकी थी जिसका कोई हल नहीं था. दो दिन बाद मेरा उस लड़के के साथ विवाह होना था. मैंने उस लड़के से विवाह करने का फैसला तो नहीं बदला पर हां, विवाह से पहले एक बार मैंने अपने चेहरे को जरूर देख लिया था क्योंकि स्वयं को इस बात पर ऐतबार करवाना मुश्किल हो रहा था कि यह चेहरा किसी की पत्नी और बहू बनने लायक नहीं है.

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महिलाओं को पसंद हैं ऐसे मर्द जो…

मर्द बेचारे क्या-क्या नहीं करते…….

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