Menu
blogid : 2262 postid : 222

बीमारी शारीरिक नहीं, मानसिक है !!(पार्ट-2)- Hindi Story

कहानियां
कहानियां
  • 120 Posts
  • 28 Comments

हेलो नील! बरसों बाद इरा को यों अचानक सामने पाकर नीलाभ सकपका सा गया मानो अंतत: कोई चोर पुलिस के हत्थे चढ गया हो। कैसे हो? क्या मैं यहां बैठ सकती हूं? नीलाभ अभी भी सकते में था, जबकि इरा अप्रत्याशित तौर पर सामान्य दिखने की कोशिश कर रही थी। इतने सालों बाद यहां देख कर अच्छा लग रहा है। तुम थोडा बदल गए हो, लेकिन इतने भी नहीं कि पहचान न सकूं, इरा मुस्कराई। उसके सामान्य व्यवहार को देख कर नीलाभ भी थोडा संयत हुआ, तुम भी थोडा बदल गई हो। पहले कितनी चुलबुली, बेिफक्र सी हंसी दौडती रहती थी तुम्हारे चेहरे पर, मगर अब काफी धीर-गंभीर सी भद्र स्त्री नज्ार आ रही हो।

इस बात पर दोनों ही अचानक मुस्करा पडे। चंद औपचारिक बातों का आदान-प्रदान हुआ। जो अध्याय अचानक बिन कहे-बिन सुने ही समाप्त हो गया था, या यों कहें कि नीलाभ ने जानबूझ कर उसे बंद कर दिया था, उस अध्याय तक पहुंचने में दोनों ही थोडा कतरा रहे थे। मगर कब तक बच पाते उस पल से।

इसकी बातों की कायल तो मैं पहले से ही थी: (पार्ट -1)- Hindi Story


जानती हो इरा, हमेशा से दिल में यह डर बना रहा कि अगर किसी दिन िकस्मत ने तुम्हारा सामना करा दिया तो क्या होगा.. तुम्हें कैसे फेस करूंगा..कैसे नज्ारें मिला पाऊंगा, मैने तुम्हें धोखा दिया, अभी तक यह ग्लानि-बोध मुझे बेचैन करता है।

बुरा न मानो तो पूछ सकती हूं कि मुझमें या मेरे प्यार में ऐसी कौन सी कमी रह गई थी जो तुमने यूं अचानक मुंह फेर लिया? या फिर तुम्हारे दिल में मेरे लिए कुछ था ही नहीं और प्यार के नाम पर एक खेल खेल कर..

इरा की बात को बीच में ही काटता हुआ नील बोला, नहीं नहीं इरा..मेरा प्यार खेल नहीं था। जब तक तुम्हारे साथ था, पूरी तरह समर्पित था, मगर जब मेडिकल में चयन हो गया तो बडे शहर के मेडिकल कॉलेज में उन्मुक्त माहौल मिला और उन रंगीनियों ने मेरा दिमाग्ा खराब कर दिया। ऐसा खोया कि तुम्हारा साथ छोटा लगने लगा। मॉडर्न और खुले स्वभाव वाली लडकियों के आगे तुम पिछडी लगने लगी। मैं बहक गया और उसकी सज्ा आज तक भुगत रहा हूं। क्योंकि जिस भी लडकी के संपर्क में आया, उससे तुम्हारी वफा और समर्पण की उम्मीद की। नतीजा? अब तक उस सच्चे प्यार से महरूम भटक रहा हूं, जो कभी तुमसे मिला था।

इसकी बातों की कायल तो मैं पहले से ही थी: (पार्ट -2)- Hindi Story


नीलाभ के चेहरे पर पछतावे व दर्द की लकीरें उभर आई, मुझे यकीन है कि तुम्हारे मन में मेरे प्रति सिर्फ ग्ाुस्सा भरा होगा। चाहो तो आज उसे निकाल कर अपना मन हल्का कर सकती हो। पता नहीं यह मौका दोबारा मिले भी या नहीं। नीलाभ का स्वर भीगा हुआ था मानो, बरसों पहले किसी बेशकीमती चीज्ा के खोने की टीस अब तक साल रही हो।

मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है नील, बल्कि मैं तो हमेशा तुम्हारी एहसानमंद रहूंगी। कुछ समय के लिए ही सही, तुमने मुझे जीवन के उस सबसे खूबसूरत एहसास का अनुभव कराया जो हर किसी को नसीब नहीं होता। किसी के प्यार में पूरी तरह डूब कर अपने अस्तित्व को खो देने का एहसास। अगर तुम मेरे जीवन में न आए होते तो मैं यही मान बैठती कि जो कुछ और जितना भी मुझे अपने पति से मिल रहा है, बस वही प्यार है और तब शायद मुझे प्यार से नफरत हो जाती। मगर अब विश्वास है कि एक न एक दिन प्यार अपने वास्तविक रूप में मुझ पर ज्ारूर बरसेगा और यह विश्वास मुझे तुम्हारे कारण मिला है, जो मेरे जीवन का सहारा है।

कुछ क्षणों के मौन के बाद इरा उठ खडी हुई, अच्छा चलती हूं, मेरा अपॉइंटमेंट है। इरा चली गई और नीला भ उसे जाते देखता रह गया, रोक न सका। सच ही तो है, कुछ प्रेम कहानियां विफल होकर भी अपना वजूद नहीं खोतीं।

मन करता है चीख-चीख कर रोऊं और चिल्लाऊं


Tags: hindi story, hindi story in socialissues, हिन्दी कहानियां, कहानियां

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh