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अन्ना जी के अनशन के एलान से सरकार ने शुरू में ऐसी मुद्रा अपनाई की उसे कोई फिकर नहीं है,,एक कांग्रेसी नेता ने तो तुरंत ब्यान दिया की अन्ना जी आज से ही अनशन कर लें ,हम भी चितित हो गए की सरकार तो अन्ना जी को भी खड्डे लाइन लगाने के चक्कर में है ,लेकिन तुरंत ही पता चल गया की ये कितने बड़े योद्धा हैं |तुरंत दिल्ली पुलिस से धारा १४४ की घोषणा करवा दी ,शांति पूर्वक अनशन से इतना खतरा उत्तपन हो गया ,देश द्रोही इनकी नाक के नीचे भड़काऊ भाषण दे कर जाते हैं ये उनका संज्ञान भी लेने से इनकार करते हैं |तो हमें तो लगता है की (चोर के पैर नहीं होते ,जल्दी ही उखड जाता है ) ये कहावत सही है |भ्रटाचार के विरुद्ध बोलने वालों के खिलाफ तो लगता है की ये सरकार नहा धो कर पीछे पड़ गयी है |मुझे तो नवाबों की याद आ रही है की वे भी अपनी चाटुकारों की मण्डली के नारों [ सरकार का इकबाल बुलंद हो ]को सुन -सुन कर सत्ता के नशे में मदहोश रहते थे | जनता से उन्हें कोई मतलब नहीं रहता था ,अब इस सरकार का न तो इकबाल बुलंद है ,न ही विश्वास .|बस सत्ता को पकड़ रखा है सोच ये है की जनता तो बावली है ,इस काम में ये लोग गोयबल्स की विचारधारा का भी सहयोग ले रहे हैं ,नेक लोगो के विरुद्ध दुश्पर्चार अभियान चला रखा है| कुछ मीडिया भी इनके उल्टे सीधे परचार को भी महत्वपूर्ण ख़बरों में स्थान देता है केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित दिल्ली पुलिस का तर्क देखें की संसद के सत्र के चलते हम सुरक्षा कारणों से अनुमति नहीं दे सकते ,भाई संसद पर इन्हें हमला थोड़े ही करना है ये तो शांतिप्रिय लोग हैं देश हित की आवाज उठा रहे हैं ,हमला करने वाले तो तिहाड़ में बिरयानी व् कबाब खेंच रहे है ,पूर्णतया सुरक्षित माहोल में ,अन्ना जी तो सादी रोटी -दाल से गुजर कर रहे है ,खतरा ये की न जाने सरकार कब गिरफ्तार करवा दे | स्वामी रामदेव व् बाल्क्रिशन जी का इंतजाम करने की तय्यारी में तो सारे सरकारी अमले को लगा ही रखा है ram
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