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मैंने कथा -कहानियों में या लोगों से सुना था कि जिसकी मौत जिस तरह ,जिस स्थान पर लिखी होती है उसी तरह उसकी मौत होती भी है । इसपर बहुत विश्वास नहीं होता था पर दो दिन पूर्व यानि शुक्रवार को जिस प्रकार की घटना मेरे सामने घटी उससे मुझे विश्वास हो गया कि कथा -कहानियों में लिखी बातें सही है । शुक्रवार को मैं बाढ़ स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहा था । मैं जिस ट्रेन का इंतजार कर रहा था उसके पूर्व एक मेला स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आ गई , बहुत सारे लोग उसमें चढ़ गए ,इसी बीच सूचना हुई कि सुपर एक्सप्रेस आ रही है । एक्सप्रेस ट्रेन के आने की सूचना पाकर कई लोग यह सोचकर प्लेटफॉर्म पर खड़ी मेला स्पेशल ट्रेन से उतर गए कि आनेवाली ट्रेन पहले जाएँगी किन्तु ,इसी में फिर सूचना हुई कि मेला एक्सप्रेस स्टार्ट हो रही है ,सूचना होते ही प्लेटफार्म पर तेज हलचल मच ने गई ,लोग स्पेशल ट्रेन कि तरफ लपक पढे ।यह वही लोग थे जो पहले जाने के लिए इससे उतर चुके थे और फिर पहले जाने के लिए उसकी तरफ लपक रहे थे , ट्रेन खुल गई ,गति भी आ गई एक युवक गति पकर् चुके ट्रेन को पकड़ना चाहा पर हेंडल को पकड़ न सका और ट्रेन के नीचे आ गया ,वह मौत से बचने के लिए हाथ -पेर चला रहा था ,मौत उसे मारना चाह रही थी और वह मौत से बचने की कोशिश कर रहा था ,लोगों ने भी उसे मौत से बचाना चाहा ,पर मौत और युवक के बीच की जंग में युवक हार गया ट्रेन की अंतिम वोगी के चक्के ने उसके शरीर के दो भाग कर दिये । मौत के इस भयावह दृश्य का एक मुक-असहाय दर्शक मै भी था । इसी बीच मेरी ट्रेन आ गई । मै ये सोचता आ गया कि आखिर गलती किसकी थी उस युवक कि जो पहले घर जाना चाहता था या फिर उस सूचना की जिसने जल्दी जाने वालों के अंदर हलचल पैदा कर दी । उस वक़्त मेरे समझ में कुछ नहीं आया कयोंकि मेरे सामने एक युवक की मौत हुई थी मन -मस्तिष्क कुछ दूसरा सोचना भी नहीं चाहता था । बस ईश्वर की नियति को स्वीकार कर वापस घर आ गया ।
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