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हार का गम {बस अब साथ नहीं हैं }

aawaz
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हार का गम बातो में बताये ये हमसे बयांन नहीं होता ,जो गलती की है उसे भुलाया नहीं जा सकता व्यक्त करने को लव्सओ में ये बातें शर्मिंदगी महसूस होती है .की जो मोका हाथ आया था
उसे यूँ ही फिसलने दिया ,आब येह बात हमको बर्दाश नहीं हैं
हार को क़बूल न आसान नहीं हैं .कलेजे का दर्द बयां करना खतरे से खली नहीं हैं
अन्दर छुपा हुआ दर्द मनो मेरे सीने को काट रहा हो , मन और आत्मा हमेशा मुझे
कोसते रहेंगे, धिकारते रहेंगे ये खवाब सोचना आसान नहीं है
प्रायश्चि इसके कई कियॆ पर कोई जवाब नहीं है., चैन से सोने को नींद नहीं है
सामने अँधेरा है पर रोशनि की पुकार कही नहीं है
आत्मविश्वास मेरा अब मेरे साथ नहीं है
,साथ देने को अब कोई राज़ी नहीं है
नसीहत देने के लिए कोई काजी नहीं है
अब रोने के सीवाई मेरे पास कोई काम या चारा नहीं है
क्यूंकि मेरी सिहाई नहीं है
कहेने को आवाज़ दबी पड़ी है
लबस के स्वर अब बाकि नहीं है
क्यूंकि अब कहेने को लबस ही बाकि नहीं है .

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