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अक्सर वो मेरे ख्यालों में आती थी {अमर प्रेम }

aawaz
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अक्सर वो मेरे ख्यालों में आया करती थी
फूल भरी रेशम से मुस्कान छिडकाया करती थी
चुपके से फिसल के बेह्काके मुझे वो छु जाया करती थी
दिल में मेरे खव्ब उसके अक्सर पनपते थे
पल- पल उन प्यार भरी यादो में डूबा रहता था में
हर दम वक़्त का दमन थमके उसके साथ रोज़ जीने
मरने की कसमों की बातें किया करता था में }
उसकी याद में बिताया हुआ हर पल मनो मुझे याद था
उसे पाकर थकन मेरी मनो पल में उतसह में बदल जाती
उसकी साथ ली हर कसम मनो मुझे याद थी
आज वो मेरे पास नहीं है पर फिर भी अक्सर वो मेरे ख्यालों
में आया करती है
मनो उसने मेरे सीना में एक नया उतसह भर दिया हो ये कहके की
जी ले उन पलों को फिर से ,ताज़ा कर ले ,और बढ़ जा अग्निपथ पर
जो सुधारेगा तेरे भविष्य को निराश न हो मैं नहीं तो क्या तू मेरे सपनो
को पूरा कार्य उम्मीद मुझे तुझसे है की खरा उतरेगा इन पर ये मेरी तुझसे
दुआ है ;

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