aawaz
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लक्ष्य है ,बड़ा पर होंसला है बुलंद ,इम्तेहान है बड़ा पर मकसद है नेक
अगनित आड़चन आन है .सामने विशाल काय चप्तान है .
पर फिर भी होंसला है बुलंद .
टूट गया ,बिखर गया ,तिनका तिनका जो जोड़ा था वो सब बिखर गया
साथ न कोई है पर जीवन की काया अनेक है ,जो कल तक काबिलियत
थी आज वो नाकामयाबी में तब्दील हो गयी .फिर भी होंसला है बुलंद
इन्तेकाम चाहे जैसा हो .मोड़ चाहे कैसा भी हो पर होंसला है बुलंद
राह थमने तक ,कामयाबी मिलने तक बस होंसला है बुलंद ,होंसला है बुलंद
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