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मुक्कमल ख़ामोशी रही थी। कुछ देर शांत बैठे रहने के बाद संदीप उठा अपने हाथो से उसने बच्चे के चेहरे से कपडा हटाया, सिर्फ कुछ पल निहारा था उसे और फिर के कमरे से वो बहार चला गया। कुदरत, श्रृष्टि सबसे बड़े शाहकार हैं उसने अजूबे को दिया था। में जो पल्लवी के साथ जिस्मानी तौर पर कभी सोया था। जिसने कभी उसे सम्पूर्ण देखा था उससे पैदा हुए बच्चे की शक्ल मेरी थी। -क्या यही आत्मा का प्यार था। -इश्क रूहों का। -मिलन के मन के हिलोरों का। उपन्यास ‘एक गली कानपुर की ‘ का अंश सुधीर मौर्य
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