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फेसबुक संस्थापक के नाम एक भारतीय का पत्र

आहत हृदय
आहत हृदय
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आदरणीय,मार्क जुकरबर्ग!
संस्थापक व मुख्याधिकारी,फेसबुक
4 फरवरी 2004 को इंटरनेट की दुनिया में आपकी कल्पनाओं का साकार रुप ‘फेसबुक’ का आगमन,इस सदी का चमत्कारिक ईजाद माना जा सकता है।तब,आपकी उम्र महज 21 वर्ष की थी,जब आपने फेसबुक रुपी चमत्कारिक ईजाद के प्रणेता बनने का गौरव हासिल किया था।आपका यह चमत्कारिक ईजाद,आज नई दुनिया,नई सोच व नये समाज का प्रतिनिधित्व कर रहा है।सूचना प्रौद्योगिकी के,इस नवीन युग में,12 वर्ष की लघु समयावधि में फेसबुक ने कई क्रांतिकारी परिवर्तनों की आधारशिला रखी है।इस छोटे समयंतराल में यह लोगों की ताकत बन चुका है।भारत सहित दुनियाभर में आज इसके करीब 2 अरब प्रयोगकर्ता हैं।बिछडे दोस्तों व सहकर्मियों को आपस में जोडने का श्रेय इसी को जाता है,तो नये लोगों के साथ संपर्क बढाने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।आज यह अपराधियों को पकडने और उनके छानबीन में मदद कर रहा है,तो दूसरी ओर,यह अफवाह और अंधविश्वास फैलाने का एक बडा जरिया बन गया है।फेसबुक के कुछ दुर्गुण हो सकते हैं,लेकिन अच्छाइयां उसपर भारी पडती दिखती है.कॅरियर निर्माण की दहलीज पर खडे युवाओं को इसकी लगी लत,सुनहरे भविष्य को दांव पर लगाने के समान है,तो सतर्कता से प्रयोग करने वाले युवाओं का यह भविष्य भी संवार रहा है.अपने इस अनूठे प्रयोग के लिए आप बधाई के पात्र हैं।एक पिता के तौर पर आप बहुत हद तक सफल साबित हुए।आपने,अपनी प्रथम पुत्री के जन्म पर संसार के बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा के लिए फेसबुक का अपना 99 फीसदी शेयर दान करने का अभूतपूर्व,अद्भुत निर्णय लेकर,पूरी दुनिया को अचंभित कर दिया।आपका यह कार्य,दुनियाभर के पिताओं के लिए प्रेरणा है।फेसबुक पर आपके नये-नये प्रयोगों से इसकी गुणवत्ता दिन ब दिन निखर रही है.इसलिए,प्रयोगकर्ताओं की सूची भी लंबी होती जा रही है।आज भारत सहित दुनिया भर में इसके करीब दो अरब प्रयोक्ता हैं।
आंकडे बताते हैं कि आज भारत की 60 फीसदी आबादी इंटरनेट की पहुंच से दूर है।भारत सरकार ने गांवों को इंटरनेट से जोडने को लक्षित ‘डिजिटल क्रांति’ अभियान का शुभारंभ भी किया है।बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कैलिफाॅर्निया स्थित फेसबुक के अपने कार्यालय में एक मुलाकात के दौरान,आपने देश में डिजिटलीकरण प्रक्रिया में साथ देने का भरोसा दिलाया था।यह भी रोचक है कि आपके एक आह्वान पर डिजिटल क्रांति को अपना समर्थन जाहिर करने की खातिर,लाखों भारतीयों ने संदेश मिलते ही झट से,अपनी प्रोफाईल फोटो,तिरंगे के रंगों से सराबोर कर लिया था।
इधर,टीवी चैनलों के साथ-साथ फेसबुक के पेज पर ‘फ्री बेसिक्स’ हेतु लोगों के समर्थन के लिए आपने अभियान चला रखा है।एक प्रयोगकर्ता होने के नाते यह जानने की उत्सुकता हुई कि आखिर यह है क्या?जब जाना,तो आपके इस कदम पर मुझे संदेह हुआ.अगर आप वाकई वंचित भारतीयों को इंटरनेट से जोडना चाहते हैं तो यह खुशी की बात है।लेकिन सिर्फ फेसबुक को ही प्राथमिकता क्यों?क्यों ये भारतीय केवल उन्हीं साइटों को खोल पाएंगे,जिसे आपने चुना है।उपभोक्ताओं को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वे इंटरनेट पर क्या खोलेंगे।यह तो ठीक वैसे ही हो गया कि आप कौन सा अखबार पढेंगे यह आप नहीं बल्कि अखबार विक्रेता तय करेगा।या मुझे रुपये उधार देने वाला व्यक्ति यह तय करे कि मैं उधार लिये गये पैसे किन-किन चीजों में खर्च करुं।यह तो नाइंसाफी ही होगी।इसीलिए अगर आप वाकई भारतीयों को तकनीकी रुप से साक्षर बनाना चाहते हैं तो निःस्वार्थ भाव से सहयोग करें।इस तरह का बंधन कतई ना लगाएं,जो नागरिकों के मन मस्तिष्क पर संदेह के बादलों का निर्माण करते हों।

सुधीर कुमार

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