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सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की जरुरत

आहत हृदय
आहत हृदय
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भारत विविध भाषाओं,धर्मों व संस्कृतियों का सुंदर गुलदस्ता है।इसके फूलों की खुशबू सदियों से वैश्विक क्षितिज पर तैरती रही है।किसी विद्वान ने भारतीय संस्कृति से प्रभावित व प्रेरित होकर कहा था-‘भारत एक चमत्कार है’।सिंधु नदी घाटी के तट पर पुष्पित व पल्लवित विश्व की प्राचीनतम सभ्यता सदियों से दुनिया को आकर्षित करती रही है।भारत देश की भूमि अत्यंत निराली है।यहां कबीर,रैदास,नानक जैसे महान् संत और गांधी,अंबेडकर,ज्योतिबा फूले और ईश्वरचंद विद्यासागर जैसे विशिष्ट समाज सुधारकों ने जन्म लिया है।दुनिया के 2.4 फीसदी क्षेत्र पर फैला यह प्रदेश प्राकृतिक भूदृश्यावलियों के साथ-साथ अपनी गौरवशाली सभ्यता,संस्कृति,ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म की अद्वितीयता के बल पर अपने विचारों से संपूर्ण विश्व को ऊर्जावान किया है।इस अमूल्य विरासत को सहेजने की जिम्मेदारी वर्तमान तथा आने वाली पीढियों की है।यह काम चुनौतियों भरा है.संसार के अन्य संस्कृतियों की देती दस्तक के बीच अपनी प्राचीनता को संभालते हुए उसे अंगीकार करना और भी चुनौतिपूर्ण मालूम पडता है।आज का हमारा युवा वर्ग इस ओर अपना योगदान दे सकते हैं।उनका यह दायित्व है कि सोच-समझ कर निर्णय लिया जाए।बीते कुछ दशकों के दौरान चंद अराजक व स्वार्थी तत्वों ने गौरवशाली भारत की एकता और अखंडता को तोडने की पुरजोर कोशिशें की हैं।मौजूदा समय में देश की विकास-विमुख राजनीति तथा समावेशी विकास का अभाव इसके उपज के प्रमुख कारण हो सकती हैं।हमारे नेतागण भी सियासी लाभ के लिए सारी हदें पार कर देते हैं।वहीं,कभी-कभी नागरिकों का धैर्य भी जवाब देता दिखा है।संविधान द्वारा प्रदत्त मूल कर्तव्यों की सूची में यह भी शामिल है कि नागरिकों को हिंसा से दूर रहना है और सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करनी है।बावजूद इसके देश में हिंसा की लहरें उठती हैं जिससे ना सिर्फ देश का माहौल असहिष्णु होता है बल्कि हिंसक आंदोलनों की आग में करोडो अरबों रुपये की संपत्ति बेवजह स्वाहा हो जाती है.भारत की सम्प्रभुता,एकता और अखंडता की रक्षा को हमें आगे आना होगा।हमें भारत की सम्प्रभुता,एकता और अखंडता की रक्षा के लिए भी तत्पर रहना होगा।धर्म,जाति,मजहब के नाम पर एक-दूसरे के जान के दुश्मन न बनकर आपसी प्रेम,सौहार्द्र व भाईचारे की मिसाल बनने की कोशिश करें तो गौरवशाली भारत की एकता और अखंडता को तोडने की पुरजोर कोशिश करने वाले चंद अराजक व स्वार्थी तत्व हमारा कुछ भी नहीं बिगाड पाएंगे।समय कितना भी बदले हमारे पूर्वजों द्वारा अर्जित नैतिकता,सहनशीलता व इंसानियत के उच्च आदर्श हम भारतीयों के हृदय में हमेशा जीवंत रहने चाहिए।

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