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गोरखालेंड एक नया राज्‍य

divya jyoti mithila
divya jyoti mithila
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सब को कुछ न कुछ जरूरत है, और उन जरूरत मे कई परेशानी है! देश मे जॅहा सब से बड़ा मुदा भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर है! आये दिन यहा वहा रेलीया इस के लिये हो रही है! लोक सभा मे इस बिल को पास कर दिया गया है, पर राज्‍य सभा मे अटक गया है! जो हो ए समय हमे बता ही देगा, पर इन सब के बीच अलग अलग जगह पर अलग अलग मुदो के लिये रलिया हो रही है! उसी मे से एक बड़ा मुदा अलग राज्य बनाने के लिये है जो बंगाल से अलग होना चाहते है, गोरखलेन्ड के नाम से अलग राज्य बनाना चाहते है जिस मे दार्जलिंग सिल्लीगोडी तेरए और डूअर्स एरिया मिला कर गोरखलेन्ड राज्य बनाना चाहते है, गोरखा लोगो का मांग है की मुझे एक अलग राज्य घोषित किया जाये, क्योकि बंगाल सरकार से ए एरिया हमेशा से उपक्षित होता आया है! इनका मांग भी एक तरह से सही है, क्योकि बंगाल के कुलचर और इन के एरिया के कल्चर मे बहुत अंतर है, अलग पहनावा, अलग रहन सहन, अलग भाषा है, इनका मांग  आजादी के पहले से है!नेता वादे और विकास के बात तो कर जाते है, पर आज तक इस एरिया का विकास न के बराबर हुआ है, दार्जलिंग सिल्लीगोडी चाय और पर्यटक के लिये मशहूर है, पर उस तरह से इसका विकास नही हुआ है!

गोरखा का एक तरह से देश के विकास मे उतना ही योगदान है जितना और नागरिको का इन के ईमानदारी तो आज भी मशहूर है, ए  प्राण दे देगे पर अपना ईमान नही देगे बंगाल सरकार से इनका उपेक्षा अब इनके बच्चो को अनुचित लग रहा है! इस लिये ए सड़क पे आकर अपना अलग राज्य के मांग रख रहे है! इनकी वीरता हमारे देश के सेना मे भी दिखती है,जहा इन के लिये अलग से राजिमेन्ट बनाया गया है, जो भारत चीन युद मे अपना प्राणगत दिखा चुके है, ए देश के हर संकट के घरी मे बहादुरी के साथ उस संकट का सामना किया है, और विजये पाया है एसे वीर है जो अपना प्राण देकर देश के शान को झुकने नही दिया है, ए गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा के नाम से पार्टी बना कर गोरखलेन्ड राज्य के मांग कर रहे है, इनका मांग सविधान के धारा 3 (क) और 3 (ग) को आधार मान कर छोटे राज्य गोरखलेन्ड चाहिये, आज बड़े राज्य के सबसे  बड़ा समस्या है की ओ अपने राज्य के हर क्षेत्र को समान रूप से नही देखती है जिस के कारण राज्य के अंदर क्षेत्रीय आर्जकता पर जाती है और जो क्षेत्र उपेक्षा होता है अपने राज्य के मुख मंत्री द्वारा या किसी से, उन को भी हक है उनके क्षेत्र मे हर प्रकार का विकास हो और उस क्षेत्र के आने वाले पीढी को परेशानी का सामना न करना पड़े!

गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा का मांग है की हमारा गोरखलेन्ड क्षेत्र के हिसाब से अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, मणिपुर, शिक्कीम से बड़ा है तो हम क्यो नही राज्य बन सकते है! इस राज्य के मांग मे 1200 लोगो का मोत 1985 से 1988 तक हो चुका है! गोरखा लेंड राज्य को ले कर भारत सरकार और बंगाल सरकार के बीच समझोता भी हुआ है, गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा और विजेपी मे समझोता है की हम आपको एक अलग राज्य के दर्जा देगे विजेपी लोक सभा के चुनाव मे अपने मनोफेस्टो मे ए घोषणा किया है, आप के मांग को पूरा करेंगे, मोदी जी सिल्लीगोडी के चुनावी रेली मे लोक सभा के समय बोले गोरखा का सपना हमारा सपना है, और गोरखा लोग उमीद लगा के है की बीजेपी सरकार हमारे मांग को पूरा करेगी! इन गोरखालेंड राज्य के लोग जन्‍तर मन्‍तर पर 9मार्च से 17मार्च तक अपने मांग के लिये धारणा पर बेठे रहे, उस क्षेत्र के सांसद आखरी दिन आकर इनको सांतवना  तो दिया की मे यहा आने से पहले  मोदी जी और पार्टी फॉर्मं मे ए बात रखा हु ! गोरखा लोगो के मांग को पूरा किया जाये! ए गोरखा लोग अपने सांसद के बात सुन कर खुस हुए पर इनको अपना मांग मिल जायेगा वेसे भी बीजेपी सरकार झारखण्ड बिहार से अलग किया, उत्तर प्रदेश से उतराखंड और मध्य प्रदेश से छत्तीसगर्ह, तो कांग्रेस जाते जाते आंध्रा प्रदेश  से तेलागाना राज्य बना दिया है ! हमारे देश मे अभी 29 राज्य है अगर गोरखलेन्ड राज्य बन जायेगा तो देश मे 30 राज्य हो जायेगे इन गोरखा का अपना नारा है अधिकार हमारा गोरखालेंड, समान हमरा गोरखलेन्ड, इन को अगर राज्य सरकार अधिकार देते तो ए देखने को जन सभा नही मिलता आज हर राज्य मे ए समस्या है!

हर राज्य के मंत्री अपना सपना मनि मनि कर लेते है, पर इन जनता के सपना को हनि हनि छोड़ देते है! इससे राज्य के क्षेत्र तो पीछा होता ही है, वहा छोटी छोटी मुख्य जरूरत भी पूरा करने की साधन नही होता है! अगर जो मंत्री बन के आते है ओ अगर अपने क्षेत्र का विकास करे तो और अलग राज्य बनाना नही पड़ेगा इन गोरखा की मांग 1907 से चली आरही है, गोवरनर जनरल ऑफ ब्रिटिश इंडिया के समय से, इन गोरखा के अभी तक पूरा नही हुआ है! गोरखा आज भी वही उमीद से अपना अलग राज्य मांग रहे है,  इन के मांग कों सरकार पूरा करता है, अगर बंगाल का ए हिस्सा अलग राज्य बन जाता है तो जेसे बिहार से अलग होने पर बिहार को पानी और रेत हाथ लगा वेसे ही बंगाल के हाथ लगने बला है! गोरखालेंड पर्यटक और चाय उत्पादन क्षेत्र है, अगर बंगाल से अलग हो जाता है तो बंगाल की सुन्दरता अलग हो जायेगी!

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