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धूप

divya jyoti mithila
divya jyoti mithila
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धूप गर्म है
चिल चिल है,
बेचन सब का
करता दिल है,
धूप………………….
सुबह सुबह लगे जलाने
ठंडी लस्सी ए पिलाने
धूप………………..
जानवर आदमी सब
तर बतर है,
ढूढता छाव इसका
असर है,
धूप…………………….
कही सिर् पे
छाता चुनडी
भाग रही है,
देखो सुंदरी
धूप……………………..
सड़क जमी सब
धूल उडाता
सोच रहा क्यो
ए मोसम आता
धूप…………………………
बूढ़े बचे सब शयने
छुप रहे है आने काने
धूप……………………………

धूप गर्म है

चिल चिल है,

बेचन सब का

करता दिल है,

धूप………………….

सुबह सुबह लगे जलाने

ठंडी लस्सी ए पिलाने

धूप………………..

जानवर आदमी सब

तर बतर है,

ढूढता छाव इसका

असर है,

धूप…………………….

कही सिर् पे

छाता चुनडी

भाग रही है,

देखो सुंदरी

धूप……………………..

सड़क जमी सब

धूल उडाता

सोच रहा क्यो

ए मोसम आता

धूप…………………………

बूढ़े बचे सब शयने

छुप रहे है आने काने

धूप……………………………

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