divya jyoti mithila
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नये महल मे
फिर शुरुआत
अ आ अकड़ी और
तोतली बात
जितना ज्ञान मिला
था पहले
नये सिरे से उसे
कह ले
शुरु हुआ दिन और
रात
नया है, जग और
सुन्दर भी है!
राम मोहन यहा
चनद्र भी है!
अपने कर्म
अपना साथ
फिर रिस्ते और
बारात की डोली
होगी एक नया सा
होली
पेट भरता
देखो भात
चाचा, नाना, मामा
लुटे
हमे देख कर
जल्दी उठे
खट्टा हो गया
उस का दात्
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