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मजदूर

divya jyoti mithila
divya jyoti mithila
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मजदूर हम सब
है, मजदूर
कोई पास, कोई अपनो
से है दूर
जीवन के इस
कड़ी मे,
तपता सब समय के
दरी मे,
सब का मंजिल
एक जरूर
खेप खाप के पार
गया कोई
जीता और हार
गया कोई
मेहनत से सब
है, चूर
भटक भटक के दोड
लगाये
खुद से खुद मे
होर लगाये
बजता है, किस का
सुर
चलो सबेरा होता जब
है,
अपना है पर
अपना कब है,
देख रहा सूरज
है, दूर

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