divya jyoti mithila
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हर बार जोड़ ले तू
हर बार जोड़ ले!
टूटता बिखरता
हर बार जोड़ ले !!
है, यहा दुनिया की
दीवार पे ए आईना
कही जन्मा है, गाँधी
कही जन्मा है, डायना
सब से अलग अपने को
इस मे तू छोड ले!
खुल के तू निकल दूर तक,
एहसास के गलीमे सुर तक
ईंसान है ईन्सान का
तू एक डोर ले!
आया यहा पे, आके
कुछ और भी तमाशा
चल नया रोज एक, एक
पाशा
न हो अपना तो
तू यहा होर ले!
रह जायेगा देखता
तस्वीर अलग अलग
रिश्तो के नाम का
तकदीर अलग अलग
अपने तरफ सब को
तू तो मोड ले!
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