divya jyoti mithila
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बिना दया का पात्र
समझ ले
सब को तू यहा
छात्रा समझ ले
है पाठशाला दुनिया
थोड़ी
जोर घटाव सबने
जोरी
पल भर का तू
म़ात्र समझ ले
कई ज्ञान के
खण्डार
रखना होगा अपने
अंदर
ए क़िस्मत का
हाथ समझ ले
सब को थोड़ा मिला
जुला कर
जाना होगा तुझे
भुला कर
ए सत्य तू बात
समझ ले
उलझन सारी
अपनी बस्ती
है दिखावा सब तो
हस्ति
उसका तू ए
घाट समझ ले
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