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हराये भी मुझसे

divya jyoti mithila
divya jyoti mithila
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होते भी गये, मेरे
और पराये भी मुझसे
जीता वही पर,
ओ खुदको हराये भी मुझसे
हर तरफ, हर बार
मिलने लगे
मे तलाशता रहा, ओ
मुझ मे खिलने लगे
लड़े ओ, और
पछताये भी मुझसे
इंतजार मे दिन और
रात के अड़चन
देखा और मचला मन
मुलाकात किया, और
जुदाई भी मुझसे
आना जाना इन
रास्तो पर
दिल के हर
कस्तो पर
कुछ कहा नही,
पर सुनाये भी मुझसे
ए देख कर रुख बदला
लेना कुछ और था,
लिया कुछ और अगला
अपने तो खरीदा,
और खरीदवाया भी मुझसे

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