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सरबजीत के बहाने

kahunga
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भारत और पाकिस्तान की मीडिया में कोहराम मचा है, भारतीय सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेसी सांसद पीएल पूनिया के अनुसार जरदारी की भारत यात्रा के दौरान मनमोहन और जरदारी के बीच एक मौखिक समझौता हुआ था, इस समझौते के अनुसार भारत को डॉ. चिश्ती को रिहा करना था और पाकिस्तान को सरबजीत को…..इस समझौते का एक चरण भारत ने पूरा कर दिया..और डॉ. चिश्ती रिहा हो गए..पर समझौते का दूसरा चरण पाकिस्तान ने पूरा नहीं किया….सरबजीत की रिहाई नहीं हो पाई..सरबजीत की जगह सुरजीत अपने वतन वापस लौटे….सरबजीत के लिहाज से ये गलत हुआ..पर सुरजीत के नजरिए से पाक ने कम से कम एक भारतीय को रिहा जरुर किया है….जो तीस सालों से पाक जेल में बंद था..इस फैसले का स्वागत का किया जाना चाहिए….अब मूल बात क्या पाकिस्तान की जेल में सिर्फ सरबजीत ही बंद है या सिर्फ मीडिया की सुर्खियों के कारण ही सरबजीत का मामले में सरकार गंभीर दिख रही है…पर अहम सवाल ये है कि भारत ने अब तक कूटनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कैदियों को पाक जेलों से रिहा करने क्या कोशिशें की है….मेरे अल्प ज्ञान में अब तक ऐसे किसी कदम की कोई जानकारी नहीं है…रही बात पाकिस्तान की..तो पाकिस्तान में छद्म लोकतंत्र है….लोकतंत्र के नाम के नीचे सेना और आईएसआई के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता….भारत भी समझ चुका है…पर भारत भी पाक से व्यर्थ की ऐसी उम्मीद करता रहा है जो कभी पूरी नहीं हो सकती…पिछले 60 सालों में ऐसे कई मौके आए है जब भारत को पाक ने धोखा दिया है..और हमने कभी भी लंबा और कठोर विरोध दर्ज नहीं कराया..हम अक्सर उदार बनने की कोशिश करते रहे…क्या भारत-पाक संबंधों में हम कुछ ज्यादा ही लचीले नहीं रहे….हमारी सहनशीलता,कूटनीति और विदेशनीति पर विचार करने का समय आ गया है…ये भी सोचना होगा कि पाक समर्थित आतंकी घटनाओं पर हमारा रुख कैसा रहा है और भविष्य में कैसा रहना चाहिए…पाक के साथ व्यापार अच्छी पहल है..पर इसकी शर्त क्या होनी चाहिए…..आत्म विश्लेषण करें तो हम ये पाएंगे कि भारतीय पक्ष की उदारता का अनुचित लाभ पाक ने उठाया है..हम हर बार विश्वास करते है….ये कब तक चलेगा..पाक के संदर्भ में स्पष्ट नीति का अभाव नजर आता है..क्या अब वो समय नहीं आ गया है कि हम साफ-सुथरी नीति बनाकर उस पर चलना शुरु करे जो भारत की शांति के लिहाज से आवश्यक है….अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान के खिलाफ हमने कभी भी ठोस कदम नही उठाएं…वो तो अमेरिका का भला हो..जो अब पाकिस्तान की नीयत समझ रहा है वर्ना अब तक अमेरिका पाक को अपनी गोद में लेकर हमें नजरअंदाज कर रहा था..( आतंकी मसले पऱ)
पाक की अंदरुनी हालत कैसी है ये किसी से छुपी नहीं है…पर भारत पाक पर कैसे दबाव बनाता है ये सबसे ज्यादा जरूरी है..जरुरत है तो सही निर्णय,नीति और नीयत की…..

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