मेरे सपनो का भारत
बचपन में सोचा था , घर में पैसो का पेड़ होगा
हरी पत्तियों से भरा, मेरा आंगन होगा
लोग भूखे भले सो जायेंगे, बिना वस्त्रो के रात बिताएंगे
फिर भी
मेरे घर में बस, खुशियों का सवेरा होगा
मेरे सपनो का भारत, तो ऐसा ही होगा ….
ईमानदारी किसी को, सुहाती न होगी ,
बस नोटों की हुकूमत, दुनिया को चलाती होगी
दिल-दिमाग से चेतनाहीन, हर प्राणी होगा
दिखाकर दुःख दर्द, हर काम पूरा होगा
मतलबी जहान में, भाईचारा कही गुम होगा
शिक्षा से दूर नव-जीवन , अज्ञानता के करीब होगा
देखा था मैंने इसी भारत का सपना,
जिसे नेता बन मैंने पूरा किया
देखा था जो ख्वाब, वो ख्वाब पूरा किया
सपनो के भारत का, नव-निर्माण पूरा किया !!
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