Menu
blogid : 4238 postid : 791077

व्यंग्य : एक पत्र सन्नी लियोन के नाम

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
  • 196 Posts
  • 153 Comments

प्यारी सन्नी लियोन
सादर निर्लज्जस्ते!
नीली फिल्मों की चर्चित हे निर्लज्ज सुंदरी आशा है तुम मजे में ही होगी। विदेशों में पोर्न जगत में अपना झंडा फहराने के पश्चात आखिरकार तुम्हारी कुदृष्टि भारत पर पड़ ही गई और यहाँ की फिल्मों में अपने अर्द्धनग्न शरीर की नुमाइश करके देश में चरित्रहीनों की एक नई फसल तैयार कर डाली। लुच्चजनों की हे आदर्श नायिका अब तो तुम्हारा ऐसा जलवा हो गया है, कि हर फिल्मकार तुम्हें अपनी फिल्म में लेकर देश के लुच्चजनों और चरित्रविहीनों को अपनी फिल्म देखने के लिए आकर्षित करके अपनी तिजोरी भरने को आतुर रहता है।
निर्लज्जता में तुम्हारे आगे तो पारंपरिक कोठे की सुंदरी भी पानी भरती है। जिस काम को वह छिपे तौर पर अपना पेट पालने के लिए करती है उसे तुम सिनेमा के पर्दे पर ताल ठोंक कर करती हो। तुम्हारी पावन देहलीला देखकर तुम्हारे प्रशंसकों में दैत्यीय कीटाणु उत्पन्न हो उठते हैं और देश के किसी न किसी कोने में मासूम लड़कियाँ अथवा बच्चियाँ दुष्कर्म का शिकार हो जाती हैं। मतलब कि तुम तो उन अभागी नारियों से भी बुरी हो जो कोठों पर अपना बदन बेचकर अपना गुज़र-बसर करती हैं। वे तो समाज की सारी गंदगी अपने भीतर समा लेती हैं, लेकिन तुम जैसी निर्लज्ज सुंदरियाँ सिनेमा में कुकृत्य दर्शाकर समाज में गंदगी फ़ैलाने का कार्य करती हैं। भारतीय फिल्मकारों के स्वार्थ से इन दिनों तुम देश में बहुत चर्चा बटोर रही हो। आज हर छोटा-बड़ा आयोजक तुम्हारे यौवन का सदुपयोग कर अपना उल्लू सीधा करना चाहता है। तुम इन दिनों फिल्मों व सामाजिक कार्यक्रमों की जान बन गई हो। यह शायद हमारे तथाकथित चारित्रिक मूल्यों की वृद्धि है। राम राज्य की आदर्शवादिता में डूबा यह देश तुम्हारे पवित्र तन और निर्मल मन को नहीं समझ सकता। आदर्शवाद के समर्थन में व सांस्कृतिक अवमूल्यन के विरोध में झंडा उठाने वाले मूर्खों की इस देश में कोई कमी नहीं है। अरे वो अल्पज्ञानी क्या जाने व्यभिचार, नग्नपन और अश्लीलता का आनंद ही कुछ और है। वो बेचारे तो पुरातन काल में खोये रहने वाले भोले जीव जो ठहरे। उन्हें क्या पता आधुनिक काल में जो मजा चरित्रहीनता में है वह भला चरित्रवान बने रहने में कहाँ है? कलियुग की हे स्वप्न सुंदरी तुमसे प्रभावित होकर अन्य फ़िल्मी नायिकायें भी सिनेमा के पर्दे पर ऐसे मनोरम दृश्य देने लगी हैं कि पारंपरिक कोठे की सुन्दरियाँ भी दाँतों तले उंगलियां दबाकर उनकी इस लीला के समक्ष नतमस्तक हो जाती हैं। उनके परिधानों को देखकर यह शोध किया जा सकता है कि इनके परिधानों ने उनका बदन ढक रहा है या फिर बदन ने परिधानों को ढका हुआ है।
पिछले दिनों सुना कि सर्च इंजनों पर तुम्हें सबसे अधिक खोजा गया। अब तुम्हारे जैसी सर्वगुण संपन्न नारी को उच्च गुणों से युक्त लोग ही सर्च करेंगे न कि हम जैसे निकृष्ट श्रेणी के मानव जिनमें अभी भी चरित्रवान बने रहने का अवगुण फलफूल रहा है। तुम्हारी दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। इसे देखकर तो ऐसा ही लगता है कि देश में नैतिकता, लज्जा और आदर्श जैसे भारतीय अवगुण लोप होने वाले हैं और सन्नी लियोनी संस्कृति देश के जनमानस पर हावी होकर इसे मानसिक पतन की ओर अग्रसर करने वाली है।
तुम्हें अपने भारत देश के फिल्म जगत से तड़ीपार किए जाने की प्रार्थना करता हुआ
भारतीयता में आस्था रखने वाला
एक आम भारतीय

लेखक : सुमित प्रताप सिंह
http://sumitpratapsingh.com/

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh