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हिसाब (लघु कथा)

सुमित के तड़के - SUMIT KE TADKE
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रिंग रोड के मेडिकल फ्लाई ओवर से पहले एक आदमी को लिफ्ट के लिए विवशता में चिल्लाते देख भूपेन्द्र की बाइक में अचानक ब्रेक लग गए। हालाँकि उसकी बाइक में ब्रेक लगने का मतलब था कि आज ऑफिस के लिए लेट होना और लेट लतीफी के लिए ऑफिस में सीनियर की हिदायत भरी डांट सुनना। फिर भी अपनी आदत से बाज न आते हुए भूपेन्द्र बीच सड़क पर बाइक रोकते हुए बुदबुदाया, “लगता है बेचारे की बस छूट गयी है। वैसे भी बस ज्यादा दूर नहीं गई है बस कुछ पलों में ही अपनी बाइक के पीछे होगी।”

वह आदमी बाइक पर बैठते ही गिडगिडाया, “भाई वो टाटा सूमो वाला मेरा बैग लेकर भाग रहा है प्लीज उसका पीछा करो।”

भूपेन्द्र तेजी से बाइक भगाते हुए फिर बुदबुदाया, “ये साला टाटा सूमो वाला तो आई.एन.ए. की ओर जा रहा है और अपन को जाना है मोतीबाग। यानि कि आज डांट तो पक्की. पर किसी मदद करने के आगे डांट खाना छोटी-मोटी बात है। पर इस बन्दे का बैग टाटा सूमो में क्या कर रहा है?” भूपेन्द्र ने उस आदमी से पूछ ही लिया, “भाई साहब आपका बैग टाटा सूमो में कैसे रह गया?”

“क्या बताऊँ भाई ऑफिस को लेट हो रहा था। जब कोई बस नहीं मिली तो इस टाटा सूमो की सवारी बनना पड़ा। मेडिकल पर पैसे खुल्ले करवाकर ड्राइवर को दे रहा था। जब पीछे मुड़कर देखा तो वहाँ गाडी ही नहीं थी।“ उस आदमी ने एक सांस में ही पूरी घटना बता डाली।

भूपेन्द्र ने उसे सांत्वना दी, “कोई दिक्कत नहीं। देखें वो साला कहाँ तक भागता है।“

कुछ देर में ही टाटा सूमो के बगल में बाइक खडी थी और वह आदमी अपना बैग उसमें से निकालकर उसके ड्राइवर की माँ-बहन एक कर रहा था। टाटा सूमो के ड्राइवर के माफ़ी मांगकर वहां से चले जाने के बाद वह आदमी भूपेन्द्र की ओर मुड़ा और बड़ा अहसानमंद होते हुए बोला, “भाई आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने मेरा हजारों का नुकसान होने से बचा लिया।”

“भाई साहब धन्यवाद की कोई जरुरत नहीं है। मैंने तो अपना हिसाब चुकाया था।” भूपेन्द्र ने मुस्कुराते हुए कहा।

उस आदमी ने हैरान हो पूछा, “कौन सा हिसाब?”

“एक बार मैं भी बड़ी मुसीबत में फँसा हुआ था, तब एक भले इन्सान ने मुझे उस मुसीबत से निकाला था। मैंने भी उसे जब धन्यवाद करना चाहा तो उसने कहा था किसी मुसीबत के मारे की मदद कर देना हिसाब चुक जाएगा। अब मैंने तो अपना हिसाब चुका दिया। अब आप अपना हिसाब चुकाएँ या न चुकाएँ ये आपकी मर्जी।” इतना कहकर भूपेन्द्र ने अपनी बाइक अपने ऑफिस की ओर दौड़ा दी।

तभी उसे पीछे से उस आदमी की तेज आवाज सुनाई दी “भाई हिसाब जरुर चुकाया जायेगा।”

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

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