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कहते हैं स्त्री तो माँ बहन और भार्या होती है…..
कल रात, नारी के मन की व्यथा एक मलवे में पड़ी एक अपाहिज ईंट की तरह मेरे सपने मे आई……. और सामने आए उसके ये नफरत और तिरस्कार भरे शब्द अगर तुम लोग सत्य-धर्म के पुजारी होते और पुरुष होने के साथ नारी मर्म को समझते तो आज मैं इस हाल में ना होती कहते हैं सदियों से पुजती आई हूँ मैं दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, शेरा वाली के रूप में अगर पैदा और रक्षा करने वाला ही पापी है तो फिर क्यों इस धरती माँ ने बाप का साया पति धर्म निर्वाह, भाई के दुलार का रिश्ता बनाया अगर पापी अपनी बहिन को दुलार, इज्जत और सम्मान दे सकता है तो दूसरे की बहिन, माँ, भाभी को क्यों नहीं देता वही इज्जत वही दुलार तू ही बता रे मन कि तेरी रक्षा को उस समय क्यों कोई धार्मिक भाई न आया जब तू तड़फ रही थी जब तू सिसक रही थी तेरा वजूद तो तार-तार हो गया पर अब क्यों दुनियां तेरा मजाक बना रही है…… आज सब सड़कों पर खड़े होकर कह रहे है बहनों को बचाओ, बेटियां हमारी लाज है बेटियां हमारी शान हैं,हम तुम्हारे साथ हैं उस समय ये हुजूम कहाँ था, कहाँ थे ये सब जब उसी सड़क पर मैं अकेली असहाय सी पड़ी थी और उन पापियों को जरा दया न आई मुझ पर… वो तो अब भी रोज नये-नये रूप धरकर भेड़ियों की खाल में शिकार कर रहे हैं…. इससे पहले भी कई निरीह मासूमों को छला है पर अफ़सोस, कि हे धर्म के भाइयों तुम सबको अपने धर्म, कर्म और फर्ज का ज्ञान नहीं जब से होश संभाला है, हे मेरे मन अबलाओं को इन्ही सवालों में घिरे पाया है…. ऐ इंसा जिस इमारत के लिए तूने इंसानियत बहा डाली ………. उस कुकृत्य को करने से पहले अरे हमसे आकर पूछा तो होता, कि क्या तेरी असली पहचान है, हमसे पैदा होते हो और हमीं को छलते हो हमारे बिना क्या वजूद है तेरा, क्या हमारे बिना तेरी पहचान है हे पापी इंसान तूने आज के इस युग में नारी को जिन्दा लाश बना दिया है…… क्योकि हम बेटियों, बहिनों को तोड़ने वाले तो तुम सब केवल हैवान और शैतान हो तुम अब कभी पनप न पाओगे बिन बेटियों, बिन बहिनों के रह जाओगे ……….
{मन सपनों से बाहर आता है तो दिल कह उठता है}
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