लोग कहते हैं कि मैं अखिलेश का उत्तर प्रदेश हूँ, लेकिन मैं ये जानता हूँ कि मुझ पर सिर्फ शासन शराब का चलता है l आज मैं बहुत आहत हूँ और आहत होकर ही अपनी व्यथा लिख रहा हूँ l और आज मैं उत्तर प्रदेश के युवराज़ से गुहार लगाकर ये कहना चाहता हूँ कि, मैं उत्तर प्रदेश हूँ मुझे नशे से निजात चाहिए अखिलेश जी l आप चाहें तो सब कुछ कर सकते हैं l मैं देख रहा हूँ, कि हर जगह मेरे बच्चे, जो कभी संस्कारी थे, वो शराब की दुकानों के बाहर, सड़कों पर, खुले मैं, कहीं भी, कभी भी अपने हांथों में बोतल थामे लडखडाते नजर आते हैं मेरी एक नहीं सुनते l अपनी ही बहिन बेटियों को छेड़ते हुए वो राक्षस से नजर आते हैं जी करता हैं उनका गला घोंट दू लेकिन, क्या करूँ मेरे अपने हैं तो, ये कैसे कर सकता हूँ l मेरे अस्तित्व को रौंदने वाले मेरे ही बच्चे अब पियक्कड़ों की श्रेणी में आने लगे हैं l आपके झूठे राजस्व पैदा करने वाली शराब पीकर ये कैसे हो गये हैं l अब तो इनकी आत्मा भी द्रवित नहीं होती, जो ये मेरी आत्मा को छलनी करने में लगे हैं l आपकी सरकार भी मेरे नशेड़ी बच्चों को सारी नशे की चीज़े उपलब्ध करवाती है l जिसे देखो वही मेरे बच्चों का स्तेमाल करने की जुगाड़ में रहता है l सरकार और आबकारी विभाग राजस्व के लालच में दिन प्रतिदिन मेरे बच्चों का दोहन कर रही है, मेरे निरीह मासूम बच्चों को शराबी बना रही है l मैं निरा अकेला यहाँ कुचला और मसला जा रहा हूँ l मेरे बच्चे ये नही देखते कि दिन है या रात l बस शराबखोरी में लगे रहते हैं, हर रात सड़कों पर उनकी महफ़िलें लगतीं है और अपनी ही बहिन बेटियों की इज्जत नीलम करते हैं l जरा सी ख़ुशी मिली नहीं, जरा सा गम मिला नही, कोई त्यौहार हुआ नही, कि मेरे बच्चे शराब के नशे में डूब जाते हैं l अब तो हालत इतने बिगड़ गए हैं कि ये एक घिनौने पृवत्ति के तहत बलात्कार करके अपनी मानसिक विक्षिप्तता को दर्शा रहे हैं। इन पर मेरा कोई वश नहीं रहा है। कुछ मेरे बच्चे अब भी संस्कारी हैं l मैं सुनकर तब दंग रह जाता हूँ जब मेरे अपने संस्कारी बच्चों की बातें सुनता हूँ l क्यूंकि मेरी अपनी औलादें ही अपने भाइयों से कहतीं है कि, चल परे हट नशेडी कहीं का, भाई भाई मैं नहीं बनती l मेरी बहुएं रोज़ रात को अपने पियक्कड़ पति से मार खाकर कराहती नजर आतीं हैं l मेरे छोटे छोटे पोते पोती एक कोने में सुबकते हुए नजर आते हैं क्यूंकि रोज़ की कमाई से खाने वाले परिवार की आमदनी हर रात शराब की भेंट चढ़ जाती है और आप कहते हैं सरकार को राजस्व प्राप्त हो रहा है तो, ये कैसा राजस्व है जो मेरे नौनिहालों की मेहनत की कमाई को जहर बेचकर छीन लिया जा रहा है l आप क्या जाने मेरा दर्द l मेरा कलेजा मुंह को आ जाता है जब में ये द्रश्य देखता हूँ l अपने बच्चों को आपस में लड़ता देख, अब मैं टूट सा गया हूँ, मेरे बच्चे आपस में अपने भाई को भाई कहने में बहुत ही शर्मिंदगी महसूस करते हैं। मेरा नसीब अब ऐसा नहीं रहा कि प्रदेश के युवराज़ मेरे घर से इस नशीली घिनौनी नशे की चीज़ को बंद कर दें, मैं ये बखूबी जानता हूँ कि सरकार के कुछ तथकथित नुमाइंदे अपनी विलासताओं को पूरा करने के लिए मेरे बच्चों का भविष्य चौपट करने में लगे हैं l कभी आपका कठोर निर्णय मेरे ह्रदय पर घात करता है कभी आबकारी विभाग की थाह ही नही मिलती कि कितना राजस्व आता है जो, मेरे बच्चों की जान से ज्यादा कीमती है l अखिलेश जी ! मुझे आरिफ़ इमाम साहेब का एक शेर याद आ रहा है कि…
सुबू में अक्स – ए – रुख ए माहताब देखते हैं शराब पीते नही हम शराब देखते हैं किसी भी तौर उठे पर तिरी निगाह उठे जला के घर तुझे खाना खराब देखते हैं …..
मेरी बेटियां आये दिन सड़कों पर घूम रहे नशेड़ियों का शिकार होती रहती हैं l मैं कहता हूँ जब तक देश का नेतृत्व महिलाओं के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठायेगा, तब तक माहौल नहीं बदलेगा l आपकी सरकार को महिला सुरक्षा के मामले में अभी कई स्तरों पर काम करने की जरूरत है l आपकी सरकार और समाज के सामने महिला सुरक्षा को लेकर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न् लगा है l आपकी सरकार को सबसे पहले कानून व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है l जब तक यह मानसिकता रहेगी कि हम छूट सकते हैं, तब तक महिला अपराधों को रोका नहीं जा सकता l अखिलेश जी मैं ये बखूबी जनता हूँ कि शराब से आपकी सरकार जितना राजस्व अर्जित करती हैं, उससे ज्यादा उससे ऊपजी समस्याओं आदि पर व्यय भी कर देती है। इससे प्रदेश को आर्थिक नुकसान होता है l और दिखावे में आपकी सरकार शराबबंदी के खिलाफ राजस्व के घाटे का हौवा दिखा देती है l मेरी आपसे गुजारिश है कि कृपया इस मसले का हल निकालिए l मेरे मासूम बच्चों को इस आग से बचाइए l वरना आपका ये उत्तर प्रदेश एक दिन शराब से आने वाले राजस्व के झूठ की आग में झुलस कर समाप्त हो जायेगा l और रह जायेगी आपकी शराब और उससे मिलने वाला राजस्व जो कि ना के बराबर होता है l………….
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