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अगर इन निशाचरों पर तेरा कोई बस नहीं चलता तो फिर सुन ले ये उत्तर प्रदेश की हुकूमत हम तुझे नामर्द कहते हैं…

sach ka aaina
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अगर इन निशाचरों पर तेरा कोई बस नहीं चलता
तो फिर सुन ले ये उत्तर प्रदेश की हुकूमत
हम तुझे नामर्द कहते हैं.

मैं सदमें मे हूँ, लखनऊ ऐसा तो न था, ये कौन लोग थे ? एक सच्चा बेटा ऐसी हरकत तो नहीं कर सकता, तो क्या ये नराधम किसी माँ की औलाद नहीं हैं…. तो फिर किस कोख के जाए हैं ये पापी ?
ये सब सुनकर देखकर बहुत व्यथित हूँ !!!! क्योंकि मैं लखनऊ में रहती हूँ, क्योंकि उत्तर प्रदेश की सरकार अंधी हो गयी है, क्योंकि पुलिस प्रशासन अपनी आँखें मूंदकर बैठा है !!!!!
कारण…..लखनऊ के मोहनलालगंज में एक युवती की रेप के बाद निर्मम हत्या की घटना होने के बावजूद भी अखिलेश सरकार हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार नहीं कर रही है तथा घटना में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही नहीं कर रही है अखिलेश सिंह द्वारा सिर्फ ये कहकर पल्ला झाड लिया जाता है कि “महिलाओं से जुड़े अपराधों पर नजर रखिये एक हाईपावर कमिटी बनाइए, महिला अपराधों के लिए एक अलग सेल गठित करके उसकी अगुवाई एक डीजी स्तर की महिला अफसर को दीजिये” !
ये कहकर बस हो गया अखिलेश सरकार का कार्य पूरा !
देखा जाये तो इस घटना ने न सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली में हुये निर्भया काण्ड के जख्म को कुरेद कर रख दिया बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार सहित पूरे सूबे की पुलिस को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है! सूबे में ऐसे जघन्य दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं से आवाम खासी डरी हुई है अखिलेश सरकार की नाक के नीचे यानि की प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसे दुस्साहसिक कार्य ने सभी के रोंगटे खड़े कर दिये हैं। ऐसी स्थिति को झेलते हुए आवाम पूरी तरह से बौखलाई हुई है इसके चलते १८ जुलाई २०१४ को दिन में एनेक्सी पर महिलाओं के धावे से शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला रात तक जारी रहा यानि कि कहा जाये कि निर्भया काण्ड जैसा ही अपराध दोहराकर अपराधियों ने पूरे सूबे में हलचल मचा दी है लेकिन अखिलेश सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही ! इस तरह की दुस्हासिक बारदातों के चलते सूबे के मुख्यमंत्री को हत्यारों की गिरफ्तारी तथा घटना की जांच के लिए तत्काल कड़ा रूख अपनाना चाहिए था लेकिन नही किया गया !
लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके के पास एक स्कूल में एक और निर्भया कांड देखकर डर के मारे पसीना आ गया आपको इस रिपोर्ट के साथ में कुछ फोटो भी लगाकर दूंगी जिसे आप अगर देख लेंगे तो रूह काँप जाएगी आपकी, खून से लथपथ नग्न अवस्था में पड़ी ये युवती देश के उन भाइयों से क्या उम्मीद कर सकती है देश के इन ठेकेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, ये मैं जानती हूँ लेकिन फिर भी हकीकत से रूबरू करवाना चाहती हूँ  इन फोटो मैं वही रक्त है, जो बहता है तब एक बेटी, एक बहिन, एक त्यागमयी माँ पैदा होती है और बड़ी होकर हर रिश्ते को बखूबी निभाते हुए इस संसार की शोभा बढ़ाती है! लखनऊ के मोहनलालगंज जहाँ यह नृशंश वारदात हुई, जगह थोड़ी सुनसान थी पर इतनी भी नहीं कि सरकार पुलिस प्रशासन ऑंखें मूंद कर बैठा रहता और रही बात लखनऊ वालों की तो लखनऊ वालों के मन इतनें भी सूनें तो नहीं थे कि दर्द से कराहती, चीखँती एक औरत की गुहार उस सूनेपन की भेंट चढ़ जाती !
जरा देख लीजिए अखिलेश सरकार की लापरवाही ! इससे तो अच्छा अखिलेश जी अपनी पत्नी माननीय डिम्पल जी को इस देश का मुख्यमंत्री बना दे और एक बार उनके राज्य करने की क्षमता को भी देख लें कम से कम डिम्पल जी के नेत्रत्व में महिलाओं सहित पूरे सूबे की रक्षा हो सकेगी ! एक नहीं आप पाँचों ने उत्तर प्रदेश को पांचाली राज्य का नाम दे दिया है और पांच मिलकर भी उत्तर प्रदेश को नहीं चला पा रहे हैं लेकिन इस बात का मैं दावा करती हूँ कि डिम्पल जी का शासन आपसे कहीं बेहतर होगा वो नारी के दर्द को समझ सकेंगी क्योंकि वो एक नारी हैं और आप लोग मर्द होकर भी मर्द नहीं है ! आपकी सरकार को बस इतना ही कहूँगी कि……
अगर इन निशाचरों पर तेरा कोई बस नहीं चलता
तो फिर सुन ले ये उत्तर प्रदेश की हुकूमत
हम तुझे नामर्द कहते हैं…….

एक और सच्चाई सुन लीजिये जिन शब्दों को मैं लिखने जा रही हूँ उन शब्दों को लिखने में मुझे कोई संकोच, लाज-शर्म नहीं क्योंकि अब हद हो चुकी है पशुविकता की ! ऐसा नहीं कि इस तरह के केस उत्तर प्रदेश में नहीं हुए या हो नहीं रहे हैं ! दैनिक पेपर लाल रंगों से सने होते है देखकर कलेजा मुंह को आ जाता है उस समय तो लगता है कि सारे अपराधियों को चुन चुन कर मौत के घाट उतार दे ! मोहनलाल गंज काण्ड के बाद अब फिर केंडिल मार्च होगा और वही बची खुची केंडिल पांच छह साल की बच्चियों से बलात्कार के बाद उनके अन्दर डाली जायेंगी और कुछ वहशी सिरफिरे शराब पीकर बोतल तोड़ के महिलाओं और बच्चियों की योनी में डाल देंगे और कुछ लोहे की रॉड ! फिर चलेगी मीडिया जगत में एक लम्बी sssss बहस ! तो दोस्तों ये है एक अच्छी टीआरपी का खेल !…….और इसके साथ ही अदालत में चलेगी एक लम्बी बहस आरोपियों का वकील पीड़ित लड़की को दोषी बतायेगा और कुछ घिनौने किस्म के व्यक्ति सारा दोष लड़की के मत्थे मढ़ के खुद को समाज का ठेकेदार होने का सबूत दे देंगे !
लेकिन मैं कहती हूँ कि पापियों और दुस्कर्मियों का साथ देने वाले अपराधियों एक बार इस लड़की की जगह  अपनी बहन,  बेटी,  माँ या पत्नी को रखकर सोच लेना, अगर दिल होगा तुम कमीनों के, तो दिल जरुर फट जाएगा और आवाज़ आएगी, पकड़ो उन कातिलों को, जहाँ मिले  इन कमीनों को वहीँ मार दो….
सरकार किसी की भी हो, बनने के बाद विधानसभा और संसद तक सिमट के रह जाती है उत्तर प्रदेश सरकार का अब बस यही देखना बाक़ी रह गया है कि इन अत्याचारियों को सरकार अपने करकमलों द्वारा उचित इनाम सम्मान से कब विभूषित करेगी ! वैसे भी….
“राजनीति मे कौन किसका सगा होता है, धोखा वही देता है जिन पर भरोसा होता है”
धिक्कार है उस समाज पर जो अपने समाज की महिलाओं और उनके सम्मान संस्कार की रक्षा नहीं कर सकते, धिक्कार है उन दुष्कर्मियों पर जो कानून अपने हाथ में लेकर महिलाओं का शोषण बालात्कार या हत्या कर अपने को बलवान साबित करते हैं !!!!!!

सुनीता दोहरे प्रबंध सम्पादक

सुनीता दोहरे…..

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