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अमृता राय ने आखिर दिग्विजय सिंह में क्या देखा ????

sach ka aaina
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सुनीता दोहरे प्रबंध सम्पादक

अमृता राय ने आखिर दिग्विजय सिंह में क्या देखा ????

प्रत्येक की अपनी निजी जिंदगी होती है तथा उसका सम्मान होना चाहिए. भारत में निजी जिंदगी में तांक-झांक के कारण कई जिंदगियों में भूचाल आ रहे हैं तथा कई प्रतिभाएं मर रही हैं.. हमारे भारतीय समाज में स्वस्थ मानसिकता है ही कहाँ ? कई सारी बुराईयों के पीछे भी यह मानसिकता है , अभी कुछ समय से कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह और टीवी एंकर अमृता राय ने ट्वीटर पर धमाल मचा दिया है
कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने टीवी एंकर अमृता राय से रिश्‍ते की बात कबूल करते हुए ट्वीट कर कहा कि, मुझे यह स्‍वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि अमृता राय से मेरे रिश्‍ते हैं अमृता ने अपने पति से तलाक के लिए केस फाइल कर दिया हैएक बार तलाक की प्रक्रिया पूरी हो जाए तो हम इस रिश्‍ते को औपचारिक रूप दे देंगे, लेकिन अपनी निजी जिंदगी में किसी तरह की दखल की मैं निंदा करता हूं. और वहीँ दूसरी तरफ राज्यसभा की टीवी में एंकर अमृता राय ने भी ट्वीट करके अपने पति से अलग होने की बात कबूल कर ली है उन्‍होंने ट्वीट किया, मैं अपने पति से अलग हो गई हूं और हमने तलाक के लिए कागजात दाखिल कर दिए हैं उसके बाद मैंने दिग्विजय सिंह से शादी करने का फैसला किया है !!!!!
इन दोनों चर्चित व्यक्तियों की हरकत से इनकी कितनी बदनामी हो रही है इसका इन्हें शायद अंदाजा नहीं है इन दोनों के रिश्तों को लेकर ट्वीटर पर भी इनकी निजी तस्वीरें दिखाएँ जा रहीं हैं ! इतना सबहोता तो ठीक था लेकिनदिग्विजय सिंह और अमृता के निजी जीवन की जिस तरह की तस्वीरों को न्यूज चैनल पर दिखाया जा रहा है। ऐसे में लानत है IIMC के उन सीनियर्स पर जो देश के हर मीडिया में उच्च पदों पर विराजमान हैं। इनमे से कई IIMC में आनंद प्रधान सर से मीडिया इथिक्स की पढाई भी पढ़ चुके हैं, ये सब देख सुनकर क्या आपको नहीं लगता कि मीडिया की जिन घिनौनी प्रवृत्तियों पर आप लगातार ऊँगली उठाते रहे हैं, वह समय के साथ और अमानवीय और क्रूर होती जा रही हैं…….
लेकिन इन सब बातों का असर एक प्रतिष्ठित व्यक्ति जो अमृता राय की जिन्दगी से कभी जुड़ा था उसकी मान मर्यादा को कितनी ठेस पहुँच रही है इसका अंदाजा शायद इस कांग्रेसी नेता और अमृता राय को भी नहीं है !!
आनंद प्रधान जो मीडिया जगत की एक जानी मानी हस्ती हैं खुद उन्होंने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर पोस्ट लिखकर अपनी बात रखीं है कि……
((((((मैं एक बड़ी मुश्किल और तकलीफ से गुजर रहा हूँ यह मेरे लिए परीक्षा की घडी है मैं और अमृता लम्बे समय से अलग रह रहे हैं और परस्पर सहमति से तलाक के लिए आवेदन किया हुआ है एक कानूनी प्रक्रिया है जो समय लेती है लेकिन हमारे बीच सम्बन्ध बहुत पहले से ही खत्म हो चुके हैं अलग होने के बाद से अमृता अपने भविष्य के जीवन के बारे में कोई भी फैसला करने के लिए स्वतंत्र हैं और मैं उनका सम्मान करता हूँ उन्हें भविष्य के जीवन के लिए मेरी शुभकामनाएं हैं !!!!
मैं जानता हूँ कि मेरे बहुतेरे मित्र, शुभचिंतक, विद्यार्थी और सहकर्मी मेरे लिए उदास और दुखी हैं, लेकिन मुझे यह भी मालूम है कि वे मेरे साथ खड़े हैं मुझे विश्वास है कि मैं इस मुश्किल से निकल आऊंगा मुझे उम्मीद है कि आप सभी मेरी निजता (प्राइवेसी) का सम्मान करेंगे शायद ऐसे ही मौकों पर दोस्त की पहचान होती है उन्हें आभार कहना ज्यादती होगी,
लेकिन जो लोग स्त्री-पुरुष के संबंधों की बारीकियों और स्त्री के स्वतंत्र अस्तित्व और व्यक्तित्व को सामंती और पित्रसत्तात्मक सोच से बाहर देखने के लिए तैयार नहीं हैं, उसे संपत्ति और बच्चा पैदा करने की मशीन से ज्यादा नहीं मानते हैं और उसकी गरिमा का सम्मान नहीं करते, उनके लिए यह चटखारे लेने, मजाक उड़ाने, कीचड़ उछालने और निजी हमले करने का मौका है लेकिन वे यही जानते हैं उनकी सोच और राजनीति की यही सीमा है. उनसे इससे ज्यादा की अपेक्षा भी नहीं)))))))))
कभी-कभी व्यक्ति अपने विचारों से इतना ऊपर उठ जाता है कि उसके लिये कोई भी शब्द छोटा लगने लगता है अहसास होता है हम विचारों और भावनाओं से कितने दूर होते जा रहे हैं, हाँ मैं जानती हूँ कि आनन्द प्रधान जी को किसी सहानभूति की ज़रूरत नहीं है वो खुद मैं बहुत ही सुलझे हुए व्यक्ति हैं, लेकिन आपकी इस पोष्ट ने मुझे झकझोर दिया है, वो इसलिए कि कितने दिनों से इस दर्द को सहने के बाद आपने तब इस बात को जाहिर किया जब तक स्वयं इस कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह और अमृता राय ने खुद ट्वीटर पर कुबूल नहीं किया !!!!!
आनन्द सर, हम क्या सारी दुनियां ये बखूबी जानती है कि आपके लिए यह फैसला लेना हरगिज़ आसान नहीं रहा होगा क्योंकि सच्चाई को स्वीकार करते हुए उसका सामना करने की हिम्मत कम ही लोगों में होती है जो यकीनन आप में है, देखा जाए तो सच्चे अर्थों में आपने नारी की स्वतंत्रता का सम्मान किया हैं इसलिए ऐसे व्यक्तियों को ये समझना चाहिए कि उनकी मर्दानगी इसी में है कि वो दूस्र्रों की स्वतंत्रता का सम्मान व रक्षा करें न कि हनन करें !
वो कहते हैं कि भावनाओ को समझने और महसूस करने की शक्ति सिर्फ मनुष्यो में ही होती है तभी सभ्य समाज में एक मर्यादा होती है हम कभी कभी अपने मर्यादा को कब पार कर लेते हैं हमे इसका एहसास तक नहीं हो पाता और हम पशुवत व्यवहार करने लगते हैं हमें ये सब सोचने समझने का समय ही नहीं मिल पाता कि हम कितने लोगों की भावना को आहत कर रहे हैं हम इतने असंवेदनशील कैसे और कब हो जाते हैं ? ये सोचना बहुत ही आवश्यक हो गया है आज फेसबुक पर आनंद प्रधान जी का पोस्ट ह्रदय को स्पर्श करने वाला था पढ़कर थोड़ी देर तो मैं कुछ सोच ही नहीं पाई, नम आखों के साथ ये दर्द झलका, कि एक व्यक्ति के लिए ये कितना कष्टप्रद होगा जब उसका जीवनसाथी जिसने उसके साथ सात फेरे लेकर कसमें खाई हों, वो प्रेम का झूठा नाटक कर एक ऐसे व्यक्ति को अपना ले जहाँ उसकी जिन्दगी में काले अँधेरे के सिवा कुछ न हो और वो भी मात्र सियासत, शोहरत और धन का ढेर लगाने के लिए !!!!!! कभी-कभी सोचती हूँ कि क्या इसी देश में सीता माता जैसी महान नारियों ने जन्म लिया था ? सीता माता अपने पीछे एक आदर्श छोड़कर गयीं हैं क्या जनका दुलारी से इस देश की नारियों ने कुछ न सीखा !
इस बात में कोईं संदेह नहीं कि आपके विचार वर्षों तक पत्रकारिता के विद्यार्थियों को प्रेरणा देते रहेंगे ये महज एक घटनाक्रम है और इससे आपके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। दुनिया में लाखों लोगों के साथ ये सब हो रहा है मेरा मानना है कि इससे देश की आवाम और खास तौर मीडिया हाउस को कोई लेना देना नहीं होना चाहिए लेकिन मामला दिग्विजय सिंह से जुड़ा है तो टीआरपी जरूर मिलेगी लेकिन समाज का कोई हित होने वाला नहीं है ऐसे तो देश में हर दिन हजारों लोगों कीं पत्नियां अलग़ होती है किसी के साथ शादी रचाती हैं थानों के रजिस्टर ऐसी वारदातों से भरे पड़े है और यही मीडिया जगत गरीबो के मामलों को कभी तबज्जो नही देती है मै भी इस मीडिया व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण अंग हूँ इसलिए बेहतर जानती हूँ।
पत्रकारिता लाइन में होने के कारण आनद प्रधान जी एक बात तो मैं आपसे अवश्य कहूँगी कि किसी एक रिश्ते के अंत के साथ जीवन का अंत नहीं होताबल्कि एक नयी शुरुत होती है संबंध बनते हैं, संबंध टूटते हैंऔर संबंधो का टूटना दुख देता है पर संबंधो की लाश ढोने से अच्छा है कि अलग हो जाना ही बेहतर है !
अगर आप उनसे ईमानदारी से निपट रहे हैं, तो इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कह रहे हैं आप एक विद्वान व्यक्ति हैं, आप इस स्थिति का सामना सफलता पूर्वक करने में सक्षम हैं मेरा नैतिक समर्थन आपके साथ हैं
आप कल भी हमारे मार्गदर्शक थे आज भी है और कल भी रहेंगे। इन खोखली बातों से आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ये हम सब जानते हैं,  हमारे दिलों में आपके प्रति श्रद्धा सदैव रहेगी।

सुनीता दोहरे …….

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