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गलती नही, उसने गुनाह किया था.

sach ka aaina
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गलती नही, उसने गुनाह किया था.

बारह मार्च 1993 का ही वह काला दिन था, जब मुंबई में एक के बाद एक बारह बम धमाकों में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे। इन धमाकों से लगभग 27 करोड़ से अधिक राशि की संपत्ति नष्ट हो गई थी। यह पहला मौका था, जब देश ने सीरियल बम ब्लास्ट के दंश को झेला था।
बड़ी हैरानी की बात है कि इतने सारे लोगों को मारने वाला गुनाहगार खुद के अंतिम समय में कह रहा था कि यदि कोई गलती हो गयी हो तो मांफ कर देना l…….
मुम्बई हमले मे मारे गये लोग हिदुस्तानी थे और याक़ूब उन बेगुनाह लोगो को मारने वाला गुनाहगार था, ना कि सिर्फ पीड़ित परिवार का बल्कि उपर वाले का भी, क्यूंकि ज़िंदगी और मौत देना दोनो उसके हाथ मे है. मुंबई सीरियल ब्लास्ट में करीब 129 लोगों पर आरोप लगे थे लेकिन सुबूतों के अभाव में छूटे हुए लोगों के बाद 100 लोग दोषी पाए गये थे l इस मामले में टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन के साथ 10  अन्य को फांसी की सजा मिली थी,  मगर बाद में उन सबकी सजा उम्रकैद में बदल दी गई थी। हम उम्मीद करते है कि इन बचे हुए आतंकवादियों के कुकृत्य पर विचार करते हुए केंद्र सरकार इन सबको भी याकूब मेनन के पास भेजने का कार्य करेगी l
मुझे इसके हिमायतियों और उसके परिवार वालों से ये कहना है कि इसके परिवार वालों को और हिमायतियों को तो खुश होना चाहिये और भारतीय कानून की जय जयकार करनी चाहिये कि इसको पकड़े जाने के बाद भी 8035 दिन (22 साल) जीने का मौका दिया … किसी ओर देश मे पकड़ा जाता और ऐसे 500 लोगों को मारा होता तो हद से हद 35 दिन मे लटका दिया जाता.. या हो सकता है ऑन द स्पॉट ही कोई देशभक्त सजा दे देता……… आज उन मृत आत्माओं को शान्ती मिली होगी जोकि बम धमाकों में मारे गये थे.. एक राक्षस का अंत हुआ.
गौरतलब हो कि मुंबई सीरियल बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को आखिर में नागपुर सेंट्ल जेल में सुबह तडके 6.19 पर फांसी दे दी गई। हालांकि, उसे बचाने की कोशिश सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार तड़के तक जारी रही। सुनवाई के लिए कोर्ट रूम अभूतपूर्व रूप से रात में खोला गया और डेढ़ घंटे की सुनवाई के बाद करीब सुबह साढ़े चार बजे सुप्रीम कोर्ट ने मौत के वॉरंट पर रोक लगाने के लिए दायर की गई याचिका खारिज कर दी । जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच ने कोर्ट नंबर 4 में एक आदेश में कहा, ‘मौत के वॉरंट पर रोक लगाना न्याय का मजाक होगा। याचिका खारिज की जाती है। ज्ञात हो कि सन 1993 में मुंबई सीरियल बम धमाकों से दहल गई थी। इन धमाकों में 250 से ज्यादा लोग मारे गए और 713 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए थे। इस आतंकी हमले को दाऊद इब्राहिम ने अपने सहयोगी टाइगर मेमन के साथ मिलकर अंजाम दिया था, ताकि कुछ महीने पहले मुंबई में हुए हिंदू-मुस्लिम दंगों का बदला लिया जा सके।  129 लोगों पर आरोप लगे, जिनमें से 100 दोषी पाए गए। इस मामले में टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन के साथ 10 अन्य को फांसी की सजा मिली थी, मगर बाद में उन सबकी सजा उम्रकैद में बदल दी गई थी। इस मामले में सिर्फ याकूब को ही फांसी हुई। समय के झरोखों से सत्य का उदय हुआ, क्यूंकि समय की मांग यही थी. यानि कि मुंबई ब्लास्ट में याकूब मेमन के हिस्से आई फांसी की सजा।
वहीँ याकूब का भाई और दाऊद का दायां हाथ इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक नादिम मेमन अपराध की दुनिया में टाइगर मेमन के नाम से जाना जाता है। मुंबई धमाकों के लिए भारत को उसकी भी तलाश है। इंटरपोल और सीबीआई की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल टाइगर को मुंबई ब्लास्ट की सुनवाई कर रही स्पेशल टाडा कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त माना है। धमाकों से एक दिन पहले वह दुबई चला गया। कहा जाता है कि 2006 में उसने दुबई में एक रेस्तरां खोला था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि टाइगर 2010 में कराची में था और आईएसआई के लिए काम कर रहा था। हालांकि पाकिस्तान इस बात से इनकार कर चुका है।
तो आइये अब एक नजर डालते हैं ब्लास्ट से जुड़े बाकी लोगों पर कि किसको मिली है कितनी सजा औऱ कौन कौन अभी भी है कानून के फंदे से बाहर…..
आपको बता दूँ कि दाऊद इब्राहिम के ऊपर कानूनी तौर पर तो 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों का इल्जाम है लेकिन हत्या, वसूली, तस्करी, मैच फिक्सिंग और हथियारों की सप्लाई जैसे हर काले धंधे में उसके हाथ रंगे हुए हैं, लेकिन दाऊद अब तक कानून के गिरफ्त से बाहर है मुंबई धमाकों के मास्टरमाइंड शेख दाऊद इब्राहीम कासकर उर्फ दाउद इब्राहिम को भारत के साथ-साथ अमेरिका ने भी आतंकी घोषित कर रखा है। भारत मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद से ही दाऊद को पकड़ना चाहता है। माना जाता है कि मुंबई धमाकों से कुछ समय पहले ही दाऊद दुबई से कराची चला गया था और तब से वहीं रह रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस मामले में कभी भारत के साथ नजर नहीं आया। इंटरपोल की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल दाऊद के प्रत्यर्पण के लिए भारत पाकिस्तान से कई बार चर्चा कर चुका है। पाक हर बार दाऊद के पाकिस्तान में न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेता है। दाऊद के खिलाफ सभी सबूतों के होने के बाद भी भारत आज तक उसकी गिरफ्तारी का इंतजार कर रहा है। सत्य यही है कि इस घटना का मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम था, जो अब तक पाकिस्तान में छिपा हुआ है। आज तक भी इस मामले का मुख्य अभियुक्त दाउद इब्राहिम पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
उन दिनों याकूब के पिता अब्दुल रज्जाक मेमन और माता हनीफा मेमन माहिम की उसी 8 माले की बिल्डिंग में रहते थे। इसी बिल्डिंग में मुश्ताक उर्फ टाइगर मेमन ने मुंबई ब्लास्ट की साजिश रची। याकूब के पिता अब्दुल रज्जाक को 1994 में गिरफ्तार किया गया था। जेल में कुछ साल बिताने के बाद वह बीमार पड़ा तो उसे जमानत मिली। फिर 2001 में 73 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई। अयूब मेमन: अब्दुल और हनीफा का सबसे बड़ा बेटा अयूब फरार है। माना जाता है कि वह अपने भाई टाइगर के साथ पाकिस्तान में ही है।
विदित हो कि मुंबई धमाकों के 3 मुख्य आरोपियों में टाइगर और दाऊद के बाद तीसरा आरोपी है दाउद इब्राहिम के करीबी सहयोगी मोहम्मद मुस्तफा दौसा को 2003 में गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी साल मई में गैंगस्टर दौसा पर द्वारा कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान मॉडल्स बुलवाने और ऑडिशन करवाने का मामला सामने आया था। 2010 में आर्थर रोड जेल में दौसा अबू सलेम पर भी हमला कर चुका है, जिसके बाद दोनों को अलग-अलग जेलों में भेज दिया गया था। दौसा की पत्नी और 2 बच्चों का दुबई में सोने और इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनस है। इसा मेमन (लेफ्ट) और युसुफ मेमन (याकूब के भाई): इन पर आरोप साबित हुआ था कि माहिम में इनके ही फ्लैट में ब्लास्ट की साजिश रची गई थी। साथ ही यहां हथियार और विस्फोटक भी स्टोर किए गए थे। इसा को 2006 में उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। मेंटल डिसऑर्डर के शिकार युसुफ को भी उम्र कैद हुई थी। उसे मेडिकल आधार पर जमानत तो मिली है, लेकिन इस शर्त पर कि वह इस दौरान इलाज के लिए अस्पताल में ही रहेगा। इस मामले में याकूब की भाभी और सुलेमान मेमन की पत्नी रूबीना मेमन को भी सजा मिली है। धमाकों के दौरान रूबीना के नाम पर रजिस्टर्ड मारुति कार से हथियार और हैंड ग्रेनेड बरामद किए गए थे। याकूब की फैमिली के 3 सदस्य सुलेमान (भाई), हनीफा (मां) और राहीन (पत्नी) को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिए गए। और फिल्म अभिनेता संजय दत्त को हथियार रखने के आरोप में 5 साल की सजा हुई l इसी के साथ ही हथियारों को नष्ट करने के आरोप में युसुफ नुलवाला को 5 साल सश्रम कारावास और केरसी अदजानिया को 2 साल सश्रम कारावास की सजा हुई। रुसी मुल्ला को सजा तो नहीं हुई, लेकिन 1 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ा।फारूक पावले, अब्दुल गनी तुर्क और मुश्ताक तरानी (लेफ्ट टु राइट): शोएब घनसार, असगर मुकद्दम, शहनवाज कुरेशी, अब्दुल गनी तुर्क, परवेज शेख, मोहम्मद इकबाल मोहम्मद युसुफ शेख, नसीम बरमारे, मोहम्मद फारूक पावले, मुश्ताक तरानी और इम्तियाज घवाटे। ये 10 लोग मुंबई में जगह-जगह बम प्लांट करने और हैंड ग्रेनेड फेंकने के दोषी पाए गए थे। इनमें से इम्तियाज और नसीम को छोड़कर बाकी सबको मौत की सजा सुनाई गई थी। एचआईवी पॉजिटिव इम्तियाज को उसकी बीमारी की वजह से सजा में ढील दी गई थी। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने शोएब, असगर, शहनवाज, अब्दुल, परवेज, मुश्ताक और फारूक की फांसी को मौत तक उम्रकैद की सजा में तब्दील कर दिया। इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने 3 और दोषियों जाकिर हुसैन, अब्दुल अख्तर खान और फिरोज अमानी मलिक की फांसी की सजा को भी मौत तक उम्रकैद की सजा में तब्दील कर दिया। दो आरोपियों, बशीर खैरुल्ला और मोइन कुरेशी, को 2007 में उम्रकैद की सजा मिली है।दाऊद फांसे: साजिश में शामिल दाऊद फांसे को शुरू में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उसकी ज्यादा उम्र को देखते हुए उसे एकसाथ लगातार 2 उम्रकैद की सजा सुनाई गई। शरीफ अब्दुल गफूर परकर (दादाभाई) को आरडीएक्स उतरवाने के लिए अधिकारियों और पुलिस को रिश्वत देने का दोषी पाया गया और उसे 14 साल की सजा सुनाई गई। वही कस्टम अधिकारियों में आर के सिंह को 9 साल, मोहम्मद सुल्तान सैयद को 7 साल, जयवंत गौरव और एस एस तालवाडेकर को 8-8 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। ये रिश्वत लेकर आरडीएक्स को जाने देने के दोषी पाए गए। इनके अलावा एक्स पुलिस सब-इंस्पेक्टर विजय पाटिल को उम्रकैद और अशोक मुलेश्वर, पी एम महादिक, रमेश माली और एस वाई पालशिकर (सभी पुलिस कॉन्स्टेबल) को 2007 में 6 साल की जेल हुई।अन्य दोषी: इनके अलावा दूसरे दोषियों में जैबुन्निसा कैदरी, मंसूर अहमद, समीर हिंगोरा, इब्राहिम मूसा चौहान और एजाज पठान शामिल हैं, इनकी सजा को लेकर अभी कोई पुख्ता जानकारी मौजूद नहीं है।
इस न्याय के खिलाफ होने वालों से मैं सिर्फ इतना कहूँगी कि देश के प्रति समर्पित होना ही आपकी देशभक्ति है आप अपनी मानसिकता को बदलिए क्यूंकि याकूब मेमन की फांसी का बिरोध करके आप इस्लमियत की सोच को जाहिर कर रहे हैं कृपया माफ़ करना मैं जो लिख रही हूँ आप जैसे बहुत व्यक्तियों को मेरी ये पोस्ट पसंद न आये पर यह बात बिलकुल सत्य है कि हमारे देश मैं गद्दारो की कमी नहीं है चाहे वो कोई जाति क्यों न हो, खाता है देश की है और गुणगाता है दूसरे देश के. अब देखिये न इस फांसी पर कितने गद्दारों को एतराज है लेकिन उन बम ब्लास्ट मैं मारे गए आदमियो के लिए जरा भी अफ़सोस नहीं, ऐसे किस्म के व्यक्ति, इंसान के नाम पर कलंक हैं, निरीह निहत्थे लोग मारे गये, उसका आप जैसे लोगों को कोई गम नहीं पर, एक आतंकवादी को सजा मिले उसके लिए बहुत गम है. मुझे अपने देश पर गर्व है आज मैं गर्व से कहती हूँ कि फैसला जरा देर से आया पर दुरुस्त आया. इन आतंकवादियों को, इस देश मैं आतंक फ़ैलाने वालो को और साथ ही उन लोगों को जो देश में रहकर भी गुण दुसरे देश के गा रहे हैं उनको भी बस यही सजा होना चाहिये.
सुनीता दोहरे
प्रबंध सम्पादक

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