Menu
blogid : 12009 postid : 73

टाइगर की छलांग और राहुल की रणनीति …

sach ka aaina
sach ka aaina
  • 221 Posts
  • 935 Comments

टाइगर की छलांग और राहुल की रणनीति …

बॉक्स…..मोदी जी आपने केवल “गुजरात” प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में राजनीतिक और प्रशासनिक सफलता हासिल की है. लेकिन प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदारी के पद पर रहकर देश चलाना अलग बात है. जहां केंद्र में पहले से इतनी घोटाले युक्त सरकार का दबदबा रहा हो….
मेरी नजर…….
“भाजपा” का भावी भविष्य कैसा होगा यह तय कर पाना उतना ही मुश्किल है जितना कि ये पुर्वानुमान लगाना कि इस साल मॉनसून कैसा रहेगा. जब राजनैतिक हवाएं तेज चल रही हों और ये पता हो कि २०१४ का बवंडर निकट आ गया है, तो कितने चपेटे में आयेंगे और कितने इस तूफ़ान में अपने पैर जमा के खड़े रहेंगे.
“वाजपेयी” जी का युग तो बहुत पहले ख़तम हो चुका है. रही बात मोदी की तो ऊँची बातें ठोंकने वाले भी कहाँ रुक पाते हैं. बहरहाल जैसा कि मौसम का हाल अभी है उससे तो ये लगता है कि मोदी और उनकी “भाजपा” की उदार छवि दोनों ही भूतकाल की बातें हो जाने वाली हैं. इसमें कोई दोराह नहीं की वाजपेयी जी की विचारधारा का पलायन हो चुका है. और इन हालातों को देखते हुए उग्र हिंदू छवि वाले नेताओं के तो वारे न्यारे हो गये. पर सोचना ये है कि तटस्थ छवि वाली चौकड़ी का क्या होगा. जब पक्ष यह साफ-साफ बताता हो कि भाजपा में किस प्रकार सेंध लग रही है और किस प्रकार से दो गुटों का प्रादुर्भाव हो रहा हो. इस सबसे तो यह आंकलन किया जा सकता है कि भाजपा की एकता अब अखंड नहीं रह गई है.
क्योंकि संघ तो पहले ही हार चुका है बस टाइगर का गुर्राना अभी बाकी है. टाइगर ने ऊँची उड़ान लेकर पिछले कई सालों से गुजरात पे कब्जा करके “कांग्रेस” को पटकनी देने की जुगाड़ लगानी शुरू कर दी है. अब चिंता ये है कि अपनी हस्ती के मुताबिक शोहरत वापस पाने की फिराक़ में यह घायल शेर कहीं जाग न जाये . जब पार्टी के अंदरूनी हिस्से में इतनी उहापोह हो तो सबसे दबंग और जुझारू नेता का जाग जाना बहुत अहमियत रखता है तो इसमें पार्टी के अड़ंगेबाज नेताओं का खिसिया जाना कौन सी बड़ी बात है. और इसी खिसियाहट को देखते हुए गुजरात का “टाइगर” जितनी शिद्दत से अपने प्रचार में जुटा हुआ है उतनी ही तेज़ी से “भाजपा” के अन्य बिगड़ैल नेता भी उस पर निशाना लगाने में जुटे हुए हैं. वैसे “टाइगर” को अपने “प्रधानमंत्री” बनने के स्वप्न को थोड़ा धीरे-धीरे देखना चहिए. क्योंकि अभी समय नहीं है स्वप्न देखने का. अगर स्वप्न ही देखते रहेंगे तो बाजी किसी और के हाँथ होगी. सन २०१४ के चुनाव को देखते हुए “भाजपा” किसके हाँथ में लगाम देगी ये तो पार्टी ही तय करेगी क्योंकि पार्टी का फैसला ही सर्वोच्च होग. मोदी जी आप खुद ही सारे फैसले कर लेंगे तो ये पार्टी की नीतियों के विरुद्द होगा.
तो भाई नरेंद्र मोदी जी जरा मेरी भी सुन लीजिये…..
“बड़ी सुख दे रही है आपको, जीत आपकी
नैनों के बीच पलती, एक हशीन ख्वाब सी
जरा जग-जग के ख्वाब देखिये हुजुर
धोखे-धोखे में कहीं टूट न जाये नींद आपकी
बिछी है जब चौपड़, तो पासे की चाल क्या
बिखरे हैं लोग जहाँ-तहां जरा जोड़ के तो देखिये
अपना नहीं तो बरसों से बनी पार्टी का सोचिये
जो रूठे है लोग उनको, मनाकर तो देखिये
जो न सुने आपकी, उनकी सुनकर तो देखिये
शिकायत ही सही, मगर दो लफ्ज बोलिए”
वैसे मोदी जी यह बात तो माननी पड़ेगी की आपने यह सिद्ध कर दिया है कि “भाजपा” की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे लोकप्रिय प्रत्याशी आप हैं. अब सवाल ये उठता है कि गठबंधन राजनीति के इस दौर में क्या “भाजपा” के सहयोगी दल आपको प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में स्वीकार करेंगे या नहीं. लेकिन तमाम लोकप्रियता के बावजूद ये भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि अभी तक आपने केवल गुजरात प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में राजनीतिक और प्रशासनिक सफलता हासिल की है. लेकिन प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदारी के पद पर रहकर देश चलाना अलग बात है. जहां केंद्र में पहले से इतनी घोटाले युक्त सरकार का दबदबा रहा हो…
“मोदी” जी आपकी अपनी एक अलग कार्यशैली है. गुजरात के चौमुखी विकास को देखते हुए जनता जानती है कि “भाजपा” आपको अगर पहले नम्बर पर रखकर २०१४ के चुनाव में उतारे तो “भाजपा” की रणनीति सफल होकर आपको प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा सकती है. लेकिन “मोदी” जी आपको एक बात और समझनी होगी की आपको “राहुल” से मुकाबले के पहले अपनी पार्टी के अनेक दिग्गजों से दो-दो हांथ करने होंगें. और आपको राहुल गाँधी से पहले पार्टी के भीतर ही एक बड़ी जंग लड़नी होगी.
अगर एक नजर राहुल और मोदी नाम के इन दोनों धुरंदरों के होने वाले लाभ और हानि पर डाली जाये तो जो तस्वीर उभर कर सामने आती है उसमें राहुल के पीछे युवा शक्ति यकीनन एक ताकत के रूप में खड़ी है जो राहुल को ताकत प्रदान करती है वहीं दूसरी तरफ जन आंदोलनों में राहुल की चुप्पी राहुल के विरोध में एक नकारात्मक स्थिति का निर्माण करती है. राहुल अघोषित रूप से पार्टी में प्रमुख की हैसियत का दर्जा रखने के कारण पार्टी के भितरघात से पूरी तरह सुरक्षित हैं.
देखा जाए तो घोटालों से कांग्रेस पार्टी का चोली दामन का साथ है. नित नए-नए घोटालों के खुलासों, युवराज का मौन, प्रधानमंत्री जी की बेबसी व पार्टी की “चोरी और सीना जोरी” की नयी नीति ने आम जनता के बीच पार्टी की लोकप्रियता के ग्राफ को निरंतर नीचे लाने का काम किया है या खुलकर कहा जाये तो पार्टी की फजीहत ही कराई है.
पिछले दिनों देश में हुए ऐतिहासिक जन आन्दोलन चाहे वो लोकपाल की मांग, ब्लैक मनी की वापसी की मांग या फिर बलात्कारियों को फांसी की सजा दी जाने की मांग को लेकर हो. कांग्रेस पार्टी का जन विरोधी रुख व खुद को युवाओं का अगुआ कहलाने वाला कांग्रेस का ये युवराज जब आम युवा सड़कों पर था तब इसकी गुमशुदगी ने जहां एक ओर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया वहीँ दूसरी ओर आम जनता के दिलों में कांग्रेस के लिए गुस्सा भर दिया. जिसका हश्र. पिछले माह सम्पन्न हुए बिहार राज्य, उत्तर-प्रदेश व गुजरात के विधान सभा चुनाव के परिणामों पर नजर डाली जाये तो एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि इन चुनावों में “कांग्रेस” पार्टी ने मुंह की खाई है जब की ये सारे चुनाव युवराज ने अपने पूरे परिवार के साथ योजना बध्द तरीके से लड़े थे. परन्तु मतदाताओं ने न तो कांग्रेस के हाथों में हांथ दिया और न ही युवराज के विकास के नारों पर मुहर लगाईं.
२०१४ के चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं, लेकिन आने वाले इन महीनों के दौर में राष्ट्रीय राजनीति के तहत काफी उथल-पुथल हो सकती हैं. राजनीति की बहती धारा की दिशा किस और बदल जाये ये कहना अभी कठिन है, लेकिन आने वाले २०१४ के चुनाव में मोदी बनाम राहुल का परिदृश्य उभरता दिखाई दे रहा है “कांग्रेस” के केन्द्रीय सरकार के कार्यकाल में नितदिन हुए घोटालों के खुलासों व अनेक जन आन्दोलनों ने कांग्रेस की कमर तोड़ कर रख दी है. जहां एक और मोदी हर मुद्दे पर मीडीया के समक्ष सार्वजानिक रूप से शेर की भाँति गरजते हैं वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस के युवराज अधिकतर देश में हुए किसी भी घटनाक्रम पर चूहे की भांति दस जनपथ की खो में घुसकर बैठ जाते हैं. मोदी की जिन्दादिली और राहुल गांधी की बुजदिली ने देश में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में माहौल पैदा करने में एक बड़ी भूमिका निभाई है…….
सुनीता दोहरे …
लखनऊ…

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply