जलती अबला, लुटती अस्मत जब ही बच पायेगी, जब धरती के यमराजों की, चिता यहीं जल जायेगी रुक जाओ पापियों, कन्याधन की राशि यहीं मिट जायेगी तब धरती के यमराजों की, यहीं शान धरी रह जायेगी रोती सृष्टि फिर बिना नारि के, सहज नहीं बच पायेगी ये देख, सम्बन्धों में सरस ग्रंथि की बूंद सूख रह जायेगी अम्बर की सिला के चूनर, नारी जब ओढ़ के आएगी तब धरती के यमराजों की, चिता यहीं जल जायेगी वो ऊपर बैठा ईश्वर रोये, आगे सृष्टि कैसे चल पायेगी माता, पत्नी, बेटी, बहिना, फिर ये किसे कहां मिल पायेगी भ्रूण रूप में आई कन्या, जब शाप इन्हें दे जायेगी तब धरती के यमराजों की, चिता यहीं जल जायेगी अगर सन्तुलन बिगड़ गया, तो धरती माँ फट जायेगी हर कुरीति का उन्मूलन कर, वो फिर से सृष्टि सजाएगी अवनी तल पर देख पाप को, माँ शक्ती नये रूप में आयेगी तब धरती के यमराजों की, चिता यहीं जल जायेगी……… @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
ये खुदा जो तू न होता….
जो न होता तू मेरे दिल में, तो न कोई ख्वाब ही पलता तो फिर कहाँ होती ये मोहब्बतें, न ही कोई हसरतें होतीं बिना तेरी हुकूमत के यहाँ पे, पेड़ का पत्ता नहीं हिलता जो सर पे तेरा हाँथ ना होता, तो बड़ी ही उलझनें होतीं इस जहाँ को हे मेरे ईश्वर ! जो तेरा खौफ न होता तो संसार में माँ बहिन के रिश्तों की दरकतीं अस्मतें होती वो दिल में छल कपट, मन में नफरतों का दरिया रखते हैं जो तू न होता अगर दिल में, तो कहर बरपातीं ताकतें होतीं हैं सभी पे बड़ी ही रहमतें तेरी, जो धरती माँ की गोद दी तूने जो तेरी शक्ती न होती, तो आसमां की लगा दी कीमतें होतीं बस अब है यही तमन्ना, कि रूह की पाकीजगी हो इंशा की जो तू न होता अगर सबमें, तो कोख प्रेम की बंजर हो गयी होती सुनीता दोहरे….. @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
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