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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (बापू) के विचारों की इस तरह हत्या किया जाना बहुत ही निन्दनीय है।….

sach ka aaina
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मैं “शराबबंदी संघर्ष समिति” की महिला अध्यक्ष होने के नाते इसका पुरजोर विरोध करती हूँ और साथ ही उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को ये याद दिलाना चाहती हूँ कि अगर प्रदेश की अवाम की भावनाओं को दरकिनार कर आप इसी तरह के बेतुके निर्णय लेकर कार्य करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब आप उँगलियों पर अपने शासन के दिन गिनते नजर आयेंगे …….

बड़े शर्म की बात है कि 19 मार्च को एक वर्ष पूरे होने के दिन उत्तर प्रदेश के सर्वेसर्वा योगी आदित्य नाथ ने शराब की दुकानों की लखनऊ में स्थित ऐतिहासिक गांधी भवन सभागार में नीलामी कराई। ये योगी आदित्य नाथ के लिए बड़े ही गौरव की बात होगी लेकिन भारत देश की जम्हूरियत के लिए ये एक शर्मनाक वाकया है l मैं “शराबबंदी संघर्ष समिति” की महिला अध्यक्ष होने के नाते इसका पुरजोर विरोध करती हूँ और साथ ही उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को ये याद दिलाना चाहती हूँ कि अगर प्रदेश की अवाम की भावनाओं को दरकिनार कर आप इसी तरह के बेतुके निर्णय लेकर कार्य करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब आप उँगलियों पर अपने शासन के दिन गिनते नजर आयेंगे l और साथ ही ये भी कहना चाहूंगी कि आपकी सरकार का कामकाज अगर ऐसा ही रहा जैसा आपकी ताजपोशी के दिन से अब तक है तो फिर आपके लिए बतौर मुख्यमंत्री आगे का सफर बहुत मुश्किल हो सकता है l योगी सरकार को ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सूत्र वाक्य को याद रखने की आवश्यकता है आज के बदतर हालातों को देखते हुए मुझे ये कहना पड़ रहा है कि, आपको कुर्सी मिलने से अब तक उत्तर प्रदेश सरकार की तस्वीर कुछ वैसी बनती हुई दिख रही है जैसे किसी बच्चे के हाथ में गेंद दे दी गई हो और मारे खुशी के वो इधर उधर उछाल रहा हो l 

विदित हो कि “शराबबंदी संघर्ष समिति” के अध्यक्ष जनाब मुर्तजा अली ने पहले ही सोमवार को ई-लाटरी के माध्यम से देसी शराब के ठेकों और मॉडल शॉप की दुकानें बांटी जाने का विरोध फोन के जरिये किया था l लेकिन योगी सरकार ने इस बात को नजर अंदाज़ करते हुए उत्तर प्रदेश की  आत्मा को जख्मी कर दिया है l क्यूंकि लखनऊ स्थित गांधी भवन रास्ट्रपिता महात्मा गांधी की पावन याद में बनाया गया था l ये विचारणीय है कि गांधी जी ने शराब के खिलाफ नशा मुक्त आंदोलन चलाया था जिसका शताब्दी वर्ष है, उसी राष्ट्र पिता की तस्वीर के नीचे शराब की दुकानों की नीलामी सरकार के चरित्र और संस्कार को दर्शाती है.

लखनऊ के केसरबाग स्थित गांधी भवन में सोमवार को ई-लाटरी के माध्यम से देसी शराब के ठेकों और मॉडल शॉप की दुकानें बांटी जा रही थीं। गौरतलब हो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शराबबंदी लागू कराने के लिए सड़कों पर उतर कर सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया था, आज के दौर में उन्हीं गांधी के आंगन में शराब की नदी बहाई जा रही है। राजधानी लखनऊ में आबकारी विभाग की तरफ से गांधी भवन में शराब के ठेके के लिए लॉटरी निकाली गई।

अगर गौर किया जाए तो लखनऊ के केसरबाग स्थित गांधी भवन के मेन गेट के पास ही एक विशाल बोर्ड पर शराब से बचने का स्लोगन लिखा है,…. “शराब से सदा भयभीत रहना क्योंकि यह पाप और अत्याचारों की जननी है।“ यहां बापू की याद में और बापू के नाम पर बने प्रेक्षागृह में हर साल कई गोष्ठियां होती हैं। बापू के विचारों को आबकारी विभाग के द्वारा इस तरह से रौंदना एक निन्दनीय कार्य है। गांधीवादी विचारधारा को राजधानी में इस तरह से रौंद दिया गया। क्या आबकारी विभाग को और कोई जगह नहीं मिली कि शराब की ठेकेदारी की नीलामी करा सके। गांधीजी ने जीवन भर शराब के खिलाफ लड़ाई लड़ी लेकिन उन्हीं के नाम पर बने हुए भवन में शराब की दुकानों की नीलामी हो गई, ये भारत देश के वासिंदों के लिए बहुत ही दुख की बात है l कहने को बीजेपी सरकार रामराज की बात करती है ये कैसा रामराज है जहाँ स्वयं सरकार देश की गरिमा को धूमिल कर रही है l सरकार को इस तरह के अनुचित कार्यों को करने से पहले एक बार विचार अवश्य करना चाहिए था l शराब से कई परिवार उजड़ चुके हैं,  लेकिन यह धंधा बदस्तूर जारी रखने के लिए सरकार रोज़ नये टेंडर निकाल रही है।

विदित हो कि गांधी जी अपने पूरे जीवन नशे का विरोध करते रहे और उन्हीं के नाम पर बने गांधी भवन में देसी शराब के ठेके बांटे गए। आखिर किस अधिकारी ने गांधी भवन का नाम सुझाया था। बता दें कि इस भवन में कई स्थानों पर बापू के कई स्लोगन लिखें हैं जिसमें शराब को खराब बताया गया है। जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य बिहार ने गांधी जी के शराबबंदी अभियान को अमल में लाते हुए पूरी तरह से शराबबंदी कर दी। वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में योगी सरकार ने देश के गौरव गांधी जी का मजाक उड़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी l देखा जाये तो गांधी जी का नाम लेते ही लोगों के मन में अहिंसा का चरित्र उभरकर सामने आता है। गांधी जी ने जिस शराब को पूरे जीवन पाप और अत्याचार की जननी माना उन्हीं के नाम से बने भवन में आबकारी विभाग द्वारा शराब की ठेकेदारी के लिए ई-टेंडर की नीलामी की गई। आबकारी विभाग द्वारा बापू के नाम पर बने इस प्रेक्षागृह में बापू के विचारों की इस तरह हत्या किया जाना बहुत ही निन्दनीय है। योगी सरकार राजस्व की दुहाई देकर पहले खुद शराब बेचने के निर्णय के बाद अब नई दुकानों को खोलने के लिए नए हथकंडे अपना रही है.

इतना विरोध होने के बावजूद भी ई-नीलामी हेतु आवेदन 21 से 23 मार्च तक ऑनलाइन प्राप्त किये जा रहे हैं और आबकारी दुकानों की ई-नीलामी 26 मार्च को की जाएगी l गौरतलब हो कि प्रदेश सरकार ने प्रथम चरण की ई-लाटरी के माध्यम से दुकानों का व्यवस्थापन करने के बाद द्वितीय चरण की अवशेष दुकानों का व्यवस्थापन 26 मार्च, 2018 को ई-लाटरी के माध्यम से करने का निर्णय लिया है। उप आबकारी आयुक्त (लाइसेन्सिंग) ने जानकारी देते हुए बताया कि द्वितीय चरण की दुकानों की लाटरी हेतु दुकानों के नाम की विज्ञप्ति शीघ्र ही जिलाधिकारियों द्वारा प्रकाशित करवायी जायेगी। द्वितीय चरण के लिए 21 मार्च से 23 मार्च, 2018 तक ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। उप आबकारी आयुक्त (लाइसेन्सिंग) ने बताया कि प्रथम चरण की ई-लाॅटरी द्वारा चयनित आवंटियों को बेसिक लाइसेन्स फीस जमा करने के लिए शासन द्वारा 3 के बजाय 6 दिन का समय दिया गया है। उल्लेखनीय है कि ई-लाटरी के प्रथम चरण में प्रदेश की मदिरा की 22142 दुकानों के लिए लगभग 240000 आवेदन प्राप्त हुए हैं। जनपद में एक व्यक्ति को अधिकतम दो दुकानों के ही आवंटन की व्यवस्था के फलस्वरूप तीसरी दुकान आवंटित न होने तथा कतिपय दुकानों पर प्राप्त आवेदन पत्र त्रुटिपूर्ण होने के कारण कुछ दुकाने अव्यवस्थित रह गयी हैं। इन अव्यवस्थित दुकानों को अवशेष 3862 दुकानों, जिनके सापेक्ष प्रथम चरण में आवेदन प्राप्त नहीं हुए थे, के साथ 26 मार्च, 2018 को होने वाली द्वितीय चरण की ई-लाॅटरी के माध्यम से व्यवस्थित किया जायेगा.

इतना सब होते हुए भी सरकार को कभी यह चिंता नहीं रहती है कि शराब का समाज पर कितना बुरा प्रभाव पढ़ रहा है, उसे तो हर समय अपना राजस्व बढ़ाने की चिंता रहती है। और ऐसा राज्स्व जो ना के बराबर मिलता हो, और जो मिलता भी है तो वो शराब के लिए किये गये विज्ञापनों पर न्योछावर हो जाता हो l आज बात अगर योगी सरकार की कही जाए तो नकारा सरकार का तमगा बड़ी आसानी से मिल सकता है l क्यूंकि जिले-जिले अवैध शराब के धंधे तेज़ी से फल फूल रहे हैं और वो भी पुलिस प्रशासन और योगी सरकार की छाँव तले l कई कारणों से चर्चा में रहने वाला आजमगढ़ आजकल अवैध शराब के कारोबार के कारण भी खूब नाम कमा रहा है। महराजगंज,  बडेलानरायनपुर,  सुखीपुर,  घुरघुटवा, टेमा,  इब्राहिमाबाद,  जेठवनी,  मठ,  गाजीपुर,  अल्पीपुरवा, धुनौली,  आदि गांवों में आबकारी विभाग व पुलिस की मिलीभगत से कच्ची शराब के  धंधेबाज बेखौफ हैै।  गांव-गांव में शराब की भट्टियां धधक रही हैं जो अक्सर गरीब पियक्कड़ो  की मौत का कारण भी बनती है। लखनऊ के नजदीकी जिले बाराबंकी में राम सनेही घाट कोतवाली कच्ची शराब के धंधे में अन्य किसी भी इलाके को पीछे छोड़ रखा है। क्षेत्र में कच्ची शराब बनाने का धंधा धीरे-धीरे कुटीर उद्योग बनता जा रहा है। देखा जाये तो शराब से जुड़ी समस्याएं किस तरह से विकराल रूप धारण कर चुकी हैं,  इसका अहसास यहां के  जिलों के गांवों का दौरा करके देखा जा सकता है। तीर्थनगरी  इलाहाबाद में ही अवैध शराब गांव-गांव में बन रही है।  यहां के सोरांव नवाबगंज,  नैनी,  बारा,  लालापुर व कौंधियारा में शराब का कारोबार उद्योग की तरह चल रहा है।  जिला कौशाम्बी के पूरामुफ्ती,  चरवा,  मंझनपुर,  सैनी,  करारी व सरायअकिल में भी यह धंधा फल-फूल रहा है।  वाराणसी के आसपास देसी दारू बनाने का धंधा लम्बे समय से चल रहा है। यही हाल कानपुर, आगरा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद आदि जिलों का है। ये सत्य है कि सामाजिक बुराई बन चुकी शराब समाज को धीरे धीरे खोखला कर रही है l शराबबंदी से किसी एक व्यक्ति विशेष व घर परिवार का नहीं अपितु सम्पूर्ण समाज प्रदेश व देश का भला निहित है.

सुनीता दोहरे

प्रबंध सम्पादक

इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़

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