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हाई कोर्ट के आदेशो की रोजाना धज्जियां उड़ाई जा रही है और प्रशासन आंखे मूँद कर बैठा है.

sach ka aaina
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हाई कोर्ट के आदेशो की रोजाना धज्जियां उड़ाई जा रही है और प्रशासन आंखे मूँद कर बैठा है.

आज हम आपको उत्तर-प्रदेश के हमीरपुर जिले के कुछेछा मोड़ के कानपुर, सागर राष्ट्रीय राज मार्ग 86 और राठ कस्बे के राज्य मार्ग 21 में होने वाली सच्चाई से रूबरू कराते हैं. हाईकोर्ट से किसी भी राष्टीय राज मार्ग और राज्य मार्गो में किसी भी तरह के बैरियर लगा कर वसूली न करने के स्पष्ट आदेश जारी हुए थे. फिर भी राष्टीय राज मार्ग 86 और राज्य मार्ग 21 से निकलने वाले सैकड़ो वाहन इस अवैध वसूली के चलते शिकार हो रहे हैं.

ये कैसे कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए ये अवैध वसूली करने वाले माफिया सड़क पर चलने वाले लोगों की नाक में दम किये हुए हैं. बीच सड़क में लाठी डंडों से लैस यहाँ से गुजरने वाली हर छोटी-बड़ी गाड़ी से वसूली करने वाले ये गुंडे कैसे दबंगई से गाडियों को रोक कर अवैध वसूली कर लेते है. जो विरोध करते हुए पैसे नहीं देता है उसकी तो मानो शामत ही आ जाती है. गाली गलौज और मारपीट करना इनके लिए कोई नई बात नहीं है. मजबूरन इनकी गुंडागर्दी के चलते यहाँ से गुजरने वाली हर गाड़ी 100 से 500 रुपये दे कर जाती है. प्रति ट्रक के हिसाब से अच्छा खासा गुंडा टैक्स हर घाट के रास्ते में बैरियर लगाकर वसूल किया जाता है. यह पूरी रकम सरकार में बैठे उन भ्रष्ट लोगों व भ्रष्ट अधिकारियों की जेब में पहुंचाई जाती है. और इसी कारणवश खनिज पदार्थों के भावों में इतने जबर्दस्त उछाल आये हैं. देखा जाए तो हाई कोर्ट के आदेशो की रोजाना धज्जियां उड़ाई जा रही है और प्रशासन आंखे मूँद कर बैठा है.
खुले आम सड़कों पर लाठी–डंडों की ताकत से अवैध वसूली हो रही है उत्तर-प्रदेश के हमीरपुर जिले के कुछेछा मोड़ के कानपुर, सागर राष्ट्रीय राज मार्ग 86 और राठ कस्बे के राज्य मार्ग 21 में जो मध्य-प्रदेश से बुंदेलखंड के महोबा – झाँसी जैसे कई शहरों को जोड़ता है जहाँ से सैकड़ो गाड़ियाँ रोजाना खनिज पदार्थों को लादकर इन मार्गो में बने अवैध बैरियर से गुजरतीं हैं. और इन गाड़ियों को यहाँ से निकलने का गुंडा टैक्स देना पड़ता है. जो यहाँ पर जिला पंचायत हमीरपुर के अड्डा पड़ाव की वसूली के नाम पर लगाया गया है. छोटे–बड़े वाहनों से रोजाना जबरन लाठी-डंडों की ताकत से लाखों रुपये की अवैध वसूली कर ये माफिया कानून को धता बताते हुए अवैध वसूली का कारोबार धड़ल्ले से चला रहे हैं.
वैसे तो इन बैरियरों को मौरंग की खदानों से 3 किलो मीटर के दायरे में कच्ची रास्तो पर होना चाहिए.  इन बैरियरों की व्यवस्था खनिज मौरंग लगे गाडियों के ड्राइवरो को पानी पिलाने और थोडा आराम करने के लिए की गयी थी. लेकिन अब यह बैरियर महज अवैध वसूली के अड्डे बन गये हैं. देखा जाए तो सारी सुविधाएं उपलब्ध करने के बाद ही सिर्फ खनिज मौरंग की गाडियों से अड्डा पड़ाव शुल्क लेने की परमिशन है जो महज 60-120  रूपये से जायदा नही होना चाहिए.  पर अब हर गाड़ी से वसूली और मोटी कमाई के लिए राष्ट्रीय राज मार्ग 86 और राज्य मार्ग 21 में ठेकेदारों द्वारा जिले में 8 स्थानों पर बैरियर लगा दिए गये है जिससे ये अराजक तत्व लाखों रुपये का गुण्डा टैक्स रोजाना वसूल कर अपना साम्राज्य स्थापित कर रहे है.
हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए यह गुंडे खुलेआम छोटी-बड़ी गाड़ियों से अवैध वसूली करके लाखो रुपये रोजाना अपनी जेबो में भरकर पुलिस प्रशासन की धज्जियां उड़ा रहे हैं. ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या जिला प्रशासन भी इस अवैध वसूली में शामिल है ? जिसके चलते इतनी धांधली हो रही है और प्रदेश सरकार कार्यवाही करने के बजाय शांत बैठी है.
अगर खुद हाई कोर्ट के आदेशों की माने तो किसी भी राष्ट्रीय राज मार्ग या राज्य मार्ग पर किसी भी तरह का बैरियर लगा कर अवैध वसूली करना गुंडा टैक्स वसूली कहलाता है जबकि ऐसे में ये माफिया जिला प्रशासन के सामने खुले आम वसूली कर रहे है और सबसे बड़ी चिंताजनक बात ये है कि इनकी दबंगई के आगे जिला प्रशासन भी बौना बना हुआ है.
जबसे अवैध वसूली कर रहे इन माफियाओं की गिद्ध दृष्टि इस राष्ट्रीय राज मार्ग पर पड़ी है तबसे अवैध वसूली का यह धंधा बाहुबलियों और धनबलियों के शिकंजे में जकड़ गया है.  देखा जाए तो अवैध वसूली कानून के राज पर भारी साबित हो रही है. कदम-कदम पर नियम तोड़े जाने से जग जाहिर है कि उत्तर-प्रदेश में अब पूरी तरह से जंगल राज हावी हो गया है. अगर अखिलेश सरकार को अपनी छवि की जरा भी चिंता है तो उन्हें इस पर नकेल कसने का काम अवश्य करना चाहिए.
गौरतलब हो कि अवैध वसूली के चलते सड़क पर ट्रकों की लंबी लाइन लग जाती हैं. छोटे वाहन चालकों का निकलना दूभर हो जाता है., अवैध वसूली की शिकायत अधिकारियों को किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. राष्ट्रीय राजमार्ग 86 सहित राज्य मार्ग 21 पर दर्जनों की संख्या में ओवरलोड ट्रकों की कतारें रोज लग जाती हैं. पास कराने वाले गिरोह द्वारा एक-एक करके एंट्री वसूली जाती है. उसके बाद आपस में इशारा करते ही ट्रकों को एक साथ रवाना कर दिया जाता है.
ये कैसी आजादी है जो सियासत की भेंट चढ़कर अपनी आवाज खो चुकी है. जहाँ ना आवाम को चैन से रहने का सुख है और न ही रास्तों को मापने का सुकून है. वो कहते हैं कि लोगों के बुनियादी मौलिक अधिकार सिर्फ तीन होते हैं- रोटी, कपड़ा और मकान, लेकिन आज इसके मायने ही बदल गये हैं. क्योंकि एक आम आदमी को जीने के लिए हर राह पर मुसीबत रास्ता रोके खड़ीं रहती है.
बहरहाल जो भी हो प्रदेश सरकार के इस पर रोक न लगाने को आजकल यही समझा जा रहा है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचारियों की खुले हांथों से मदद कर रही है. अवैध वसूली करने वाले इन माफियाओं के चलते कभी –कभी तो ऐसा लगता है जैसे भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी, लूट–पाट की गूंज संसद में बैठे इन नेताओं को सुनाई ही नहीं देती या फिर ये सुनना नहीं चाहते हैं. जब भी चुनाव आने वाले होते हैं तो भ्रष्टाचार को मिटा देंगें ऐसे नारों की गूँज इतनी तेज हो उठती है मानो लगता है कि ये राजनैतिक पार्टियाँ देश में बदलाव की बयार ले आएँगी लेकिन चुनाव के बाद सरकार को कुछ याद नहीं रहता है. वजह साफ़ है कि देश से भ्रष्टाचार, लूट – पाट, अराजकता जैसी चीजे हवा में बाते करने से समाप्त नहीं होंगी मौजूदा सरकार को चाहिए देश की खुशहाली को बरकरार रखने के लिए मुस्तैदी बरतें वरना अंत बड़ा ही भयावह होगा देश के विकास का, देश के भविष्य का और देश की आवाम का. सरकार को चाहिए कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर नियम विरुद्ध लगे अवैध बैरियर हटाकर वसूली बंद कराये….
सुनीता दोहरे ……..

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