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एम.बी.ए कविता

Sunny Rajan
Sunny Rajan
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एम.बी.ए वो है जो पक गया है,
फिनांस की पढ़ाई मे, मार्केटिंग की लड़ाई मे,
अधीनता की गहराई मे
सहयोग की बुनाई मे

एम.बी.ए वो है जो फस गया है
कॉर्परट पोर्ट्फोलीओ रणनीति के काल मे
प्लेस्मन्ट कम्पनी की चाल
परीक्षा और निर्दिष्टीकरण की मार मे

एम.बी.ए वो है जो
लंच मे करता है ब्रेकफास्ट,
दिन को आराम, रात को करता है काम

एम.बी.ए वो है जो पागल है,
रम और विस्की के प्यार मे,
सिगरेट पीने के जाल मे,
गाने सुनने की तकरार मे.

एम.बी.ए वही है जो,
सुरुवात मे करता पढ़ाई,
बाद मे करता घुमाई,
कक्षा मे मिलता आन-लाइन,
शाम मे मिलता आफ-लाइन

एम.बी.ए करने के जंजाल मे जो फसा,
सुख चैन से लुटा,
परन्तु एम.बी.ए जिसने किया,
पैसे ने उसको छुआ.

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