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एक आम बात है जो कि किसी भी दक्षिण भारतीय से सुनने को मिल जाती है कि वे कितने पढ़े लिखे होते हैं और उत्तर भारतीय कैसे गंवार होते हैं जिनको सिर्फ अपना इतिहास ही पता होता है और दक्षिण भारतीय इतिहास नहीं पता होता। ऐसे ही एक पढ़े लिखे जानकार तमिल से कुछ दिन पहले बात हुई। जनाब को इतिहास आदि की अच्छी जानकारी है लेकिन सिर्फ दक्षिण भारतीय इतिहास की, परन्तु कहने को वे भारतीय इतिहास की जानकारी रखते हैं और उत्तर भारतीयों की तरह सिर्फ अपने इलाके के जानकार नहीं हैं।
कुछ देर उनसे चर्चा आदि हुई, कृष्णदेव राय और विजयनगर, विजयालय से लेकर राजा राजा तक आदि की बात हुई, राजा राजा की नौसेना और दक्षिण पूर्व एशिया के अभियानों आदि की। साहब को जानकर अचरज हुआ कि मुझे इन सब के विषय में पता है, शिवाजी, कान्होजी आदि के बारे में भी पता है।
इसके बाद विषय घूमा और पृथ्वीराज चौहान की बात हुई जिसके विषय में इन साहब को कुछ पता नहीं था। ऐसे ही महाराणा प्रताप, महाराजा रणजीत सिंह, हरी सिंह नलवा आदि के विषय में भी नहीं पता था। बस अकबर, शाहजहां और औरंगजेब के विषय में पता था।
यह जानकर मुझे कोई अचरज नहीं हुआ, ऐसे बहुत से तथाकथित जानकार मैंने देखे हैं जो समझते हैं कि उनको बहुत कुछ पता है लेकिन वास्तव में उनको भी सिर्फ अपने इलाके का ही पता होता है और जिन कूप-मंडूकों का वे परिहास करते हैं स्वयं भी वैसे ही कूप-मंडूक होते हैं
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