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पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक में खनन माफ़िया और अरबों के लौह अयस्क घोटाले को लेकर घमासान मचा हुआ है। कर्मठ और ईमानदार छवि वाले जस्टिस संतोष हेगड़े ने लोक-आयुक्त के पद से इस्तीफ़ा भी दे दिया था, जो उन्होंने आडवाणी की मनुहार के बाद वापस ले लिया, मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा भी इस सारे झमेले से काफ़ी परेशान हैं लेकिन कुछ नहीं कर पा रहे हैं। पूरे मामले के पीछे सदा की तरह “बेल्लारी के कुख्यात” रेड्डी बन्धु हैं, जिन्हें भाजपा सहित सभी पार्टियाँ निपटाना चाहती हैं, लेकिन उनकी ताकत से सभी भयभीत और आशंकित भी हैं।
आईये देखते हैं कि आखिर मामला क्या है और रेड्डी बन्धु इतने ताकतवर कैसे हैं कि कोई उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पा रहा है – कर्नाटक के लोकायुक्त श्री संतोष हेगड़े ने पिछले कुछ माह से इन दोनों भाईयों के खिलाफ़ जाँच की है और पाया कि बिलिकेरे बन्दरगाह से 35 लाख टन का लौह अयस्क “गायब” कर दिया गया है। आप भी पढ़कर भौंचक हुए होंगे कि 35 लाख टन का लौह अयस्क कैसे गायब हो सकता है? लेकिन ऐसा हुआ है और भारत जैसे महाभ्रष्ट देश में कुछ भी सम्भव है। आपको याद होगा कि जादूगर पीसी सरकार ने एक बार ताजमहल “गायब” कर दिया था, लेकिन रेड्डी बन्धु उनसे भी बहुत बड़े जादूगर हैं, इन्होंने 35 लाख टन का अयस्क गायब कर दिया।
पहले आप यह जान लीजिये कि 35 लाख टन लौह अयस्क के मायने क्या हैं – न्यूयॉर्क की प्रसिद्ध एम्पायर स्टेट बिल्डिंग का वज़न अंदाजन साढ़े तीन लाख टन होगा, दूसरे शब्दों में कहें तो रेड्डी बन्धुओं ने लगभग दस एम्पायर स्टेट बिल्डिंग को हवा में “गायब” कर दिया है, कहाँ लगते हैं पीसी सरकार? मोटे तौर पर इसकी कीमत का अंदाज़ा भी लगा लेते हैं – आज की तारीख में लौह अयस्क की अंतर्राष्ट्रीय कीमत लगभग 145 डालर प्रति टन है, यदि इसे हम 130 डालर भी मान लें और इसमें से 30 डालर प्रति टन ट्रांसपोर्टेशन और अन्य खर्चों के तौर पर घटा भी दें तब भी 35 लाख टन के 100 डालर प्रति टन के हिसाब से कितना हुआ? चकरा गया दिमाग…? अभी रुकिये, अभी और चक्कर आयेंगे जब आपको मालूम पड़ेगा कि विधानसभा में मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा ने लिखित में स्वीकार किया है कि सन् 2007 में (जब भाजपा सत्ता में नहीं थी) 47 लाख टन लौह अयस्क का अवैध खनन और तस्करी हो चुकी है। है ना मेरा भारत महान…? तो ये है रेड्डी बन्धुओं की “असली ताकत”, मधु कौड़ा तो इनके सामने बच्चे हैं। “अथाह और अकूत पैसा” ही सारे फ़साद की जड़ है, रेड्डी बन्धुओं की जेब में कई विधायक हैं जो जब चाहे सरकार गिरा देंगे, ठीक उसी तरह जैसे कि विजय माल्या और अम्बानी की जेब में कई सांसद हैं, जो उनके एक इशारे पर केन्द्र सरकार को हिला देंगे, सो इन लोगों का कभी कुछ बिगड़ने वाला नहीं है चाहे कई सौ की संख्या में ईमानदार येदियुरप्पा, मनमोहन सिंह, शेषन, खैरनार, किरण बेदी आ जायें। बहरहाल, वापस आते हैं इस केस पर…
मामले की शुरुआत तब हुई, जब एक और ईमानदार फ़ॉरेस्ट अफ़सर आर गोकुल ने कर्नाटक के बिलिकेरे बन्दरगाह पर 8 लाख टन का लौह अयस्क अवैध रुप से पड़ा हुआ देखा, उन्होंने तत्काल विभिन्न कम्पनियों और रेड्डी बन्धुओं पर केस दर्ज कर दिया। नतीजा – जैसे 35 लाख टन लौह अयस्क गायब हुआ, आर गोकुल को भी दफ़्तर से गायब कर दिया गया, उन्हें गायब किया रेड्डी बन्धुओं के खास व्यक्ति यानी “पर्यावरण मंत्री” जे कृष्णा पालेमर ने, जिन्होंने अपने मालिकों की शान में गुस्ताखी करने वाले भारत सरकार के नौकर को निलम्बित कर दिया। लोकायुक्त श्री हेगड़े जो कि अपने ईमानदार अफ़सरों का हमेशा पक्ष लेते रहे हैं, उन्होंने मामले में दखल दिया, और कर्नाटक सरकार को रेड्डी बन्धुओं पर नकेल कसने को कहा। अब भला येद्दियुरप्पा की क्या हिम्मत, कि वे रेड्डी बन्धुओं के खिलाफ़ कुछ कर सकें, उन्होंने मामले को लटकाना शुरु कर दिया। खुद येद्दियुरप्पा भले ही कितने भी ईमानदार हों, रेड्डी बन्धुओं के दबाव में उन्हें उनके मनचाहे मंत्री और अफ़सर रखने/हटाने पड़ते हैं, पिछली बार हुए विवाद में येद्दियुरप्पा सार्वजनिक रुप से आँसू भी बहा चुके हैं, लेकिन यह बात उन्हें भी पता है कि जिस दिन रेड्डी बन्धुओं का बाल भी बाँका हुआ, उसी दिन कर्नाटक सरकार गिर जायेगी, जैसे पिछली कुमारस्वामी सरकार गिरी थी, जब उन्होंने रेड्डी बन्धुओं से पंगा लिया था।
खैर, बार-बार आग्रह करने के बावजूद जब कर्नाटक सरकार ने हेगड़े की बातों और सुझावों पर अमल नहीं किया तो हताश और निराश हेगड़े साहब ने गुस्से में इस्तीफ़ा दे दिया, और भूचाल आ गया। कांग्रेस-जद(एस) को मुद्दा मिल गया और उन्होंने विधानसभा में धरना दे दिया, मानो वे सारे के सारे दूध के धुले हुए हों और भाजपा सरकार के दो साल के कार्यकाल में ही सारा का सारा लौह अयस्क गायब हुआ हो, इस नौटंकी में देवेगौड़ा और उनके सुपुत्र से लेकर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री धर्मसिंह और एस एम कृष्णा जैसे दिग्गज भी परदे के पीछे से खेल कर रहे हैं, जबकि इन सभी ने रेड्डी बन्धुओं की कृपा से करोड़ों का माल बनाया है, मीडिया भी इसे इतनी हवा इसीलिये दे रहा है क्योंकि यह भाजपा से जुड़ा मामला है, वरना मीडिया ने कभी भी सेमुअल रेड्डी के खनन घोटालों पर कोई रिपोर्ट पेश नहीं की। खैर जाने दीजिये… हम तो इस बात को जानते ही हैं कि मीडिया किसके “पंजे” में है और किसके हाथों बिका हुआ है। जस्टिस हेगड़े ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि चूंकि गोआ, विशाखापत्तनम और रामेश्वरम बन्दरगाह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते, इसलिये वहाँ की जाँच का जिम्मा सम्बन्धित राज्य सरकारों का है (और इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है), परन्तु मीडिया ने सिर्फ़ कर्नाटक की सरकार को अस्थिर करने की योजना बना रखी है।
जस्टिस हेगड़े ने मुख्यतः इस बात की ओर ध्यान आकर्षित करवाया कि समुद्र तट से मीलों दूर अवैध खदानों में अवैध खनन हो रहा है। खदान से बन्दरगाह तक पहुँचने के बीच कम से कम 7 जगह प्रमुख चेक पोस्ट आती हैं, लेकिन किसी भी चेक पोस्ट पर लौह अयस्क ले जा रहे एक भी ट्रक की एण्ट्री नहीं है, ऐसा तभी सम्भव है जब पूरी की पूरी मशीनरी भ्रष्टाचार में सनी हुई हो, और भारत जैसे देश में यह आसानी से सम्भव है। जस्टिस हेगड़े ने अपने बयान में कहा है कि 35 लाख टन अयस्क की तस्करी रातोंरात होना सम्भव ही नहीं है, यह पिछले कई वर्षों से जारी है। मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा कह रहे हैं कि वे पिछले दस साल में हुई लौह अयस्क की खुदाई और तस्करी की पूरी जाँच करवायेंगे, लेकिन जब पिछले कुछ माह में सात-सात चेक पोस्टों से गुज़रकर बन्दरगाह तक माल पहुँचाने वाले ट्रकों की ही पहचान स्थापित नहीं हो पा रही तो दस साल की जाँच कैसे करवायेंगे? कौन सी एजेंसी यह कर पायेगी? राज्य की भ्रष्ट मशीनरी, जिसे रेड्डी बन्धुओं ने पैसा खिला-खिलाकर “चिकना घड़ा” बना दिया है, वह किसी लोकायुक्त, सीबीआई या पुलिस को सहयोग क्यों करने लगी? येद्दियुरप्पा कितने भी ईमानदार हों, जब पूरा सिस्टम ही सड़ा हुआ हो तो अकेले क्या उखाड़ लेंगे? बेल्लारी आंध्रप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है, यहाँ से सोनिया गाँधी (और पहले भी कांग्रेस ही) जीतती रही है, और रेड्डी बन्धुओं के सेमुअल रेड्डी और जगनमोहन रेड्डी से “मधुर सम्बन्ध” सभी जानते हैं।
कर्नाटक सहित भारत के सभी राज्यों में लोकायुक्त को सिर्फ़ “बिजूके” की तरह नियुक्त किया गया है, उन्हें कोई शक्तियाँ नहीं दी गईं, जबकि 1984 से ही इसकी माँग की जा रही है, न तो एस एम कृष्णा और न ही धर्मसिंह, किसी ने इस पर ध्यान दिया, क्योंकि उनकी भी पोल खुल सकती थी। उधर कांग्रेस के “दल्ले” राज्यपालों की परम्परा को निभाते हुए हंसराज भारद्वाज ने अपनी “चादर से बाहर पैर निकालकर” येदियुरप्पा को मंत्रियों पर कार्रवाई करने की सलाह दी है, जो कि राज्यपाल का कार्यक्षेत्र ही नहीं है। लेकिन इसमें कोई आश्चर्य नहीं है, क्योंकि देश को गहरे नीचे गिराने में कांग्रेस ने तो 1952 से ही महारत हासिल कर ली थी, तो उसकी संस्कृति में पले हुए भारद्वाज भी बूटा सिंह, रोमेश भण्डारी, सिब्ते रजी जैसी हरकत नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? ये बात अलग है कि भारद्वाज साहब में हिम्मत नहीं है कि वे मनमोहन सिंह से शरद पवार, ए राजा और कमलनाथ को मंत्रिमण्डल से बाहर करने को कह सकें, क्योंकि आज जैसे येदियुरप्पा मजबूर हैं, वैसे ही मनमोहन सिंह भी बेबस हैं… यही इस देश की शोकांतिका है।
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