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सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट पर वैन की तैयारी में जुटी मनमोहन सिंह सरकार की जय। उनके उन सलाहकारों (लोकतंत्र के तथाकथित पहरूओं) की जय, जिन्होंने यह अनूठा सुझाव दिया है। दाद देनी होगी इस वुद्धि की। आखिर सच ही कहते हैं– विनाश काले विपरीत बुद्धि। अहंकार में चूर व्यक्ति को कभी सच नहीं दिखाई देता, एक नहीं, हजारों उदाहरण होंगे। पता नहीं मुएं इतिहास को यह कितनी बार साबित करना पड़ेगा। पिछले महीने महान नेत्री इंदिरा जी की जयंती थी, 19 नवंबर को। मैंने किसी अखबार में उनके सिपहसलार रहे राजेंद्र कुमार धवन का लेख पढ़ा। उन्होंने लिखा था कि इंदिरा जी को इमरजेंसी लगाने की सलाह देने वालों की चौकड़ी में शामिल पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय उस वक्त हंस रहे थे, जब वह शाह कमीशन के सामने पेश हुईं थीं। इसी तरह मनमोहन सिंह सरकार जब पूर्व होगी तब इसके सलाहकारों के लिए भी हंसने का मौका होगा। बेचारे मनमोहन। खुद को लंबरदार बताते हैं और हर बार लाचार नजर आते हैं। खुदरा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) का मसला ही ले लीजिए। पहले मुख्तार बने, लेकिन मजमा लूट ले गए प्रणब दा।
मेरे किसी साथी ने मुझे एक एसएमएस भेजा है। सिब्बल जी को समर्पित है यह।
मत कहो जिंदाबाद कि यहां मुर्दा लोग रहते हैं…
मत कहो मुर्दाबाद कि हम लोकतंत्र में रहते हैं
सिर्फ वोट दो, चोट की मत सोचो
नहीं तो पागलखाने में सड़ जाओगे
आओगे जेल से बाहर तो क्या अन्ना बन जाओगे…
(ऐसी खबरें आईं थीं कि शरद पवार को थप्पड़ मारने वाले हरविंदर सिंह को पागल खाने भेजा जा रहा है।)
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