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अर्से बाद आप सभी से मुखातिब हूं। कुछ आलस्य और थोड़ी बहुत कार्य संबंधी व्यस्तता के चलते मन की बात मन में ही रखे रहा। आज लगा कि गलत कर रहा हूं, अपने साथ। इसलिए बैठ गया हाल के दिनों में हुए कुछ खट्टे-मीठे अनुभवों को आपसे साझा करने। जो कुछ भी हुआ उसे कुछ ऐसी विधा में लिखूंगा, जो लक्षणा कही जाती है। जैसे—एक राजा था। वह अपने हाथी से बहुत प्यार करता था। उसने राज्य में ढिंढोरा पिटवा रखा था कि कोई भी उसके हाथी से दुर्व्यहार न करे। और तो और जो उसकी मौत की खबर देगा, उसकी गर्दन तत्क्षण कटवा दी जाएगी। राजा के वरदहस्त से हाथी मस्त था,लेकिन एक दिन काल के क्रूर पंजों ने उसे राज्य की प्रजा से छीन लिया। राजा को यह अशुभ सूचना कौन दे…कौन गर्दन कटवाए। ऐसे ही तमाम सवाल प्रजा की जेहन में उमड़ -घुमड़ रहे थे। खैर एक बुजुर्ग उठे, कब्र में पैर लटके हुए थे, बोले मैं मर गया तो कुछ नहीं होगा। हाथी की लाश तो राजा हटवा ही लेगा। दरबार में पहुंचे हाथ जोड़ कर राजा से कहा—हे हर दिल राजा आप के लिए एक सूचना है। आपका ही नहीं हम सभी का प्यारा हाथी न खाता है, न पीता है, न सोता है, न जगता है न रोता है न गाता है न चलता है न फिरता है न उठता है…। अऱे रुको…राजा ने कहा। जब कुछ करता ही नहीं तो क्या वह मर गया। वुद्ध बोला-हुजूर मैं यह कैसे कहूं। यह तो आप ही कह सकते हैं।
—- अब अपने आसपास देखिए। कौन राजा है, कौन हाथी और कौन बुजुर्ग।
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पुनश्चः दैनिक जागरण लगातार 19 वीं देश में सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अखबार साबित हुआ है। जागरण परिवार का सदस्य होने के नाते यह मेरे लिए गौरव की बात है, साथ ही सभी सुधि पाठकों का आभार जताने का क्षण भी।
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