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.क्या यही है आज का भारत

ghyan
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आज भारत में किसी घटना का उबाल सडको पर आम हो गया है जब लोगो का नजरिया नहीं बदला है आज भात देश के लोग सडको पर तो चन्द्र शेखर आजाद नेहरु गाँधी जी के नारे तो जम कर लगते है लेकिन उनके किये हुए कार्यो पर अमल नहीं करते और न ही उनकी बिरोध की प्रक्रिया व उस प्रक्रिया से निकले निस्कर्स को भी लोग भूल रहे याद रहे जब गाँधी ने ब्रिटिस निति का जब बिरोध किया तो सैकड़ो लोगो ने बिरोध किया चाहे वो देश में स्वदेसी कपडे की बात हो या ऐसे ही सैकड़ो मुद्दे लेकिन गाँधी जी ने तब तक न तो खुद सास ली और न ही देश के उन लोगो को सास लेने दी जो चन्द दिनों के बाद अपने घरो को बापस चले जाते थे जब अपनी लडाई को उस दिन तक जरी रखा जब तक की देश में कुछ नया नहीं हो गया भारत देश जब गुलाम था तो यह ब्रिटिस सरकार निति थी जब सैकड़ो लोगो ने किसी गुलाम देश में चल रही निति को अपनी लड़ाई मान कर उसके खिलाफ आवाज उठाई और वो आवाज उस दिन तक चली जब तक की उस निति के खिलाफ कोई ठोस निस्कर्स नहीं निकल आया जब की इसी भारत के लोगो ने अपनी गुलामी को स्वतंत्रता में बदला केवल एक जूनून के साथ और पुरे भारत को आजादी दिलाई जब की आज का भारत ब्रिटिस सरकार के काल से भारत और भी बत्तर हो रहा है क्यों की लोगो ने अपनी प्रडाली को भारत के मीडिया तंत्र से जोड़ रखा है क्यों की आज देश की आवाज देश के लोगो से नहीं चलती आज देश की जनता तो केवल भारत में चल रहे मीडिया चैनल के माद्यम से चल रही ब्रेकिंग न्यूज़ पर देश जल्द ही उबलने लगता है और फिर चाँद दिनों के बाद देश में फिर सन्ति ,जब की लोग भूल जाते है और अपने कार्य में लग जाते है जब की देश में जब फिर कोई घटना होती है तो फिर से देश उबल जाता और चन्द दिनों उबल कर सान्त हो जाता क्या आज का भारत यही है आज की नयी पीडी भूल गयी सालो चली है किसी इतिहास हो बदलने की कबायत आज देश के लोग किसी घटना को ब्रेकिंग न्यूज़ की तरेह ही भूल जाते है जैसे देश में चल रहे मीडिया के पैट्रन पर आज देश चल रहा है जब उस घटना या देश में हुई कोई हैवानियत की सिकार पीड़ित ब्यक्ति के साथ चन्द दिनों तक ही लोग साथ चलते है और फिर भूल जाते है किसी के साथ आज पूरा देश खड़ा है और फिर चन्द दिनों के बाद पीड़ित को अपने पीछे सिर्फ अपना परिवार ही मिलता है कहा है देश की सम्बेदना और मानवता लॊग भूल जाते है लोगो की बात तो छोड़ दो देश की सरकार भी चन्द दिनों के बाद भूल जाती है देश को सर्मसार करने बलि कोई देश में घटना भी हुई थी और फिर घटना पहुच जाती है उसी कतार में जहा आज करोडो पीड़ित न्याय के मंदिर में अपनी जिंदगी गुजार देते है जब आज देश में एस न्याय प्रडाली से देश थक चूका है और सैकड़ो परिवार बर्वाद होने की कगार पर है जब आज की न्याय पद्दती तो केवल पीड़ित को ही परेशानी का सबक है क्योकि आज देश में न्याय चाहने बाला ब्यक्ति और पीड़ित अपने आप निर्दोष होने के बाद बी कोर्ट की तारीख कोर्ट की पेसी कोर्ट के बयान और न जाने क्या क्या परेसनियो का सामना कर आज देश न्याय पाने की आस लगये है जब की देश का आरोपी पछ तो बिलकुल ही मस्त है क्योकि पुलिस की अभीरछा सरकार का खाना व जाने आने के मुफ्त के साधन जब की पीड़ित को कोई भी सुबिधा नहीं होती जब बही पर देश का उबाल बा देश की न्यायिक संबिधान का रुख समझ नहीं आता की आखिर देश किसके साथ है और देश की न्याय प्रडाली .क्या यही है आज का भारत

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